Direct Action Day: जब हिंसा की आग में जल उठा कलकत्ता और महिलाओं के साथ हुई थी बर्बरता, चारों तरफ छाया रहा मातम
Direct Action Day: 16 अगस्त की तारीख शायद ही कभी भुलाई जाए, क्योंकि इस तारीख के नाम एक दुखद इतिहास दर्ज है। कलकत्ता की सड़कें खून से सनी हुई थीं। इस हिंसक झड़प में करीब पांच हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई और 15 हजार लोग घायल हुए। महिलाओं को भी नहीं बक्क्षा गया।
डायरेक्ट एक्शन डे
- मुस्लिम लीग ने किया था प्रत्यक्ष कारवाई दिवस का एलान।
- सांप्रदायिक दंगों ने बंगाल की धरती को किया था लाल।
- महिलाओं के साथ जमकर हुई थी बर्बरता।
Direct Action Day: इतिहास के पन्ने में आज की तारीख 16 अगस्त एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। तारीख थी 16 अगस्त, साल था 1946 जब कोलकाता में हिंसा भड़क उठी। दरअसल, 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग (Muslim League) ने प्रत्यक्ष कारवाई दिवस का एलान किया। मुस्लिम लीग के इस ऐलान के बाद कोलकाता में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी, भीषण दंगे शुरू हो गए। उस दिन सड़कों पर हिंसा और खूनी संघर्ष देखा गया। शहर में हिंदू और मुसलमानों के बीच भयानक झड़प हुईं।
कलकत्ता भीषण हत्याकांड
इस घटना को कलकत्ता दंगा या कलकत्ता का भीषण हत्याकांड के नाम से जाना जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसक झड़प में करीब पांच हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई और 15 हजार लोग घायल हुए। दावा किया जाता है कि इस दिन भीड़ ने हिंदुओं को चुन चुनकर निशाना बनाया था। हजारों हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं सामने आई थी। जान बचाने के लिए बड़ी संख्या में हिंदुओं ने पलायन कर लिया था। इस दंगे के दौरान गोमांस की दुकानों पर हिंदू लड़कियों और महिलाओं के नग्न शरीर गौमांस की दुकान पर हुक से लटकाए गए थे।
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खून से रंग गईं सड़कें
यह घटना भारत के विभाजन की ओर बढ़ने का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना की ओर से प्रत्यक्ष कारवाई दिवस का आह्वान किया गया था। प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस का उद्देश्य भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण के लिए दबाव बनाना था। हिंसा की इस लहर में पूरा कोलकाता जल उठा। लोगों में डर काा माहौल हो गया, लोग अपने घरों में कैद हो गए, शहर की सड़कें खून से रंग गईं।
मुस्लिम लीग ने किया था 'डायरेक्ट एक्शन डे' का ऐलान
16 अगस्त 1946 को कोलकाता में मुस्लिम लीग के नेता हसन शहीद सुहरावर्दी ने 'डायरेक्ट एक्शन डे' का ऐलान किया, सुहरावर्दी उस वक्त बंगाल के मुख्यमंत्री भी थे। इस दिन कोलकाता और उसके आसपास के क्षेत्रों में इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ जुटी और हिंदुओं के खिलाफ हमले शुरू हो गए। सुहरावर्दी ने आदेश दिया था कि सभी मुसलमान अपनी दुकान बंद रखेंगे और हिंदू अपने दुकान और दफ्तर खुले रखेंगे। दोपहर की नमाज हुई और फिर शुरू हुआ आतंक का खेल।
लाशों से पटी थीं सड़कें
दोपहर की नमाज के बाद सुहरावर्दी और ख्वाजा नजीमुद्दीन ने हिंदू-विरोधी भाषण दिए और फिर हिंदुओं का कत्लेआम शुरू हो गया। महज 24 घंटे में पांच से ज्यादा हिंदुओं की हत्या कर दी गई। सड़कें हिंदुओं की लाशों से पटी पड़ी थीं। हिंदू बहन-बेटियों के साथ सामूहिक बलात्कार किए गए, उनके शवों को सार्वजनिक स्थानों पर फेंक दिया गया। इस पूरे हिंसा के दौरान सुहरावर्दी ने पुलिस को एक्शन को रोक दिया और दंगाइयों को खुली छूट दी। सेना के जवानों ने हिंसा को नियंत्रित करने की कोशिश की। लेकिन, वे हिंसा को रोकने में असमर्थ साबित हुए।
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'डायरेक्ट एक्शन डे' के बाद, कांग्रेस मुस्लिम लीग के आगे झुक गई और भारत के विभाजन को स्वीकार कर लिया। इसके बाद 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का निर्माण हुआ। यह दिन भारत के इतिहास में एक दर्दनाक अध्याय के रूप में याद किया जाता है, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी।
(इनपुट: आईएएनएस)
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