एक विमान हवा में कितना दबाव झेल सकता है? क्या झुक सकते हैं विंग्स
Plane Secrets: एक विमान हवा में आखिर कितना दबाव झेल सकता है? फ्लाइट टर्बुलेंस की घटना सुनने, पढ़ने या देखने के बाद जरूर आपके ज़हन में यह सवाल उठा होगा। दरअसल, एक विमान हवा में काफी अधिक दबाव झेल सकता है। इसे कुछ इस प्रकार डिजाइन किया जाता है कि हवा के दबाव की वजह से कोई समस्या न उत्पन्न हो।
विमान के रहस्य
- तेज हवाओं का सामना करने में सक्षम होते हैं विंग्स।
- बड़े एयरबस में लगे विंग्स 5.2 मीटर तक झुक सकते हैं।
- निर्माण के समय कई जांच से गुजरता है विमान।
Plane Secrets: अगर आप लोगों ने कभी-न-कभी विमान में यात्रा की होगी तो फ्लाइट टर्बुलेंस (Flight Turbulence) से वाकिफ होंगे, लेकिन क्या आपको यह पता है कि आखिर एक विमान हवा में कितना दबाव झेल सकता है? क्योंकि फ्लाइट टर्बुलेंस के दौरान ज़हन में कई तरह के नकारात्मक विचार आने लगते हैं। कई बार तो यात्रियों को महसूस होता है कि कहीं यह उनकी आखिरी यात्रा तो नहीं, लेकिन आप घबराइये नहीं। हम आपको इसके बारे में विस्तार से समझाएंगे।
कितना दबाव झेल सकता है विमान?
आसमान में चाहे जितनी तेज हवा चल रही हो विमान में लगे विंग्स उनका आसानी से सामना कर सकते हैं। एक बड़े एयरबस में लगे विंग्स 5.2 मीटर तक झुक सकते हैं, जो तेज हवाओं से पार पाने में काफी मददगार होते हैं। यह ताकतवर विंग्स हवा के झोकों से मुकाबला करने के लिए ही तत्पर रहते हैं।
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विमान हवा में काफी अधिक दबाव झेल सकता है। हालांकि, यह विमान के डिजाइन, निर्माण सामग्री और उड़ान परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है, क्योंकि निर्माण के समय एक विमान को कई जांच से गुजरना होता है। इससे यह पता लगाया जाता है कि विमान के पुर्जे अपने जीवनकाल में कितना दबाव सह सकते हैं।
विमान के रहस्य
एक विमान को हवा के तेज दबाव, टर्बुलेंस, इंजन थ्रस्ट इत्यादि दबावों का सामना करने के लिए डिजाइन किया जाता है। हालांकि, विमान का निर्माण हल्की सामग्रियों जैसे एल्यूमीनियम, कार्बन फाइबर और टाइटेनियम से किया जाता है। ताकि विमान जरूरी सुरक्षा मानकों पर खरा उतर सकें।
क्या है टर्बुलेंस?
हवा के प्रवाह में दबाव और गति में हुए अचानक परिवर्तन से पैदा होने वाली स्थिति को टर्बुलेंस कहा जाता है। इसकी वजह से विमान को हवा में झटके महसूस होते हैं और वह हिचकोले खाने लगता है। कई बार तो टर्बुलेंस की वजह विमान बहुत तेज हिलने लगता है और ऐसी स्थिति यात्रियों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
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