Eiffel Tower: किस धातु से तैयार किया गया था एफिल टॉवर? जानें इसके बारे में सबकुछ

Eiffel Tower Interesting Facts in hindi: दो साल, दो माह और पांच दिन में बनकर तैयार होने वाला एफिल टावर वास्तुकला का एक नायाब उदाहरण है। साल 1887 में एफिल टावर को बनाने का काम शुरू हुआ था और 31 मार्च, 1889 में यह बनकर तैयार हो गया था। शुरू में इसका रंग लाल होता था, लेकिन समय के साथ ही इसके रंग में भी परिवर्तन देखने को मिला है।

Eiffel Tower Interesting Facts.

एफिल टॉवर के रोचक तथ्य

Eiffel Tower:एफिल टॉवर आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इसको देखने के लिए पेरिस में पर्यटकों का तांता लगता है और लोगों के मन में एक बार एफिल टॉवर घूमने का ख्याल भी जरूर आता है। अक्सर देखा गया कि जब किसी ऊंची इमारत, स्टैच्यू या फिर ब्रिज की बात होती है तो एफिल टॉवर की ऊंचाई से उसकी तुलना जरूर की जाती है। ऐसे में आज हम एफिल टॉवर के अनसुने तथ्यों पर बात करेंगे और विस्तार से चर्चा करेंगे कि यह कब, किसने और किस धातु से बनाया था।

एफिल टॉवर की रोचक बातें (Interesting Facts about Eiffel Tower)Interesting Facts about Eiffel Tower
No

1एफिल टॉवर जब बनकर तैयार हुआ था तब उसका रंग भूरा होता था, लेकिन एक दशक बाद इसका रंग बदलकर पीला कर दिया गया।2एफिल टॉवर को पेंट करने में तकरीबन 60 टन पेंट का इस्तेमाल होता है।3हर सात साल में एफिल टॉवर को रंगा जाता है, ताकि लोहे को जंग लगने से बचाया जा सके।4एफिल टॉवर फ्रांस के पेरिस में स्थित है।5दुनिया के ज्यादातर पर्यटक एफिल टॉवर घूमने की इच्छा प्रकट करते हैं और यहां पर सर्वाधिक तस्वीरें क्लिक करते हैं।

एफिल टॉवर की खासियत

दो साल, दो माह और पांच दिन में बनकर तैयार होने वाला एफिल टॉवर वास्तुकला का एक नायाब उदाहरण है। साल 1887 में एफिल टॉवर को बनाने का काम शुरू हुआ था और 31 मार्च, 1889 में यह बनकर तैयार हो गया था। शुरू में इसका रंग भूरा होता था, लेकिन समय के साथ ही इसके रंग में भी परिवर्तन देखने को मिला है।

फ्रांसिसी क्रांति की शताब्दी के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाना था। ऐसे में इस मेले के लिए एक भव्य प्रवेश द्वार बनाया जाना था। जिसकी कवायद साल 1886 में शुरू हुई। प्रवेश द्वार बनाने के लिए तो 'एक्सपोजिशन यूनिवर्सल' नामक कंपनी ने एक प्रतियोगिता का आयोजन कराया था। इस प्रतियोगिता में एक से बढ़कर एक डिजाइन पेश किए गए, लेकिन 107 डिजाइनों में से एक डिजाइन ऐसा था जिसको चुना गया और आज दुनियाभर से लोग उसे देखने आते हैं।

यह भी पढ़ें: लू के थपेड़े और चिलचिलाती धूप… ये हैं दुनिया की पांच सबसे गर्म जगहें, जानें कितना रहा तापमान

एक्सपोजिशन यूनिवर्सल ने गुस्ताव एफिल के डिजाइन को चुना। इस डिजाइन को एक नायाब ढाचे में तब्दील करने के लिए दो साल, दो माह और पांच दिन तक लोगों ने अथक परिश्रम किया था। बता दें कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के अंदरुनी हिस्से को भी गुस्ताव एफिल ने डिजाइन किया था। एफिल टॉवर मूल रूप से 300 मीटर ऊंचा है, लेकिन ऊपर लगे एंटीना को मिला दिया जाए तो ऊंचाई 334 मीटर बताई जाती है।

तीन मंजिला है एफिल टॉवर

पेरिस में बने एफिल टॉवर का इतिहास (Eiffel Tower History) बेहद रोचक है। तीन मंजिला एफिल टॉवर के ऊपरी माले में पहुंचने के लिए 1665 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।

  • पहली मंजिल - पहली मंजिल की ऊंचाई जमीन से 58 मीटर है।
  • दूसरी मंजिल - दूसरी मंजिल की ऊंचाई जमीन से 115 मीटर है।
  • तीसरी मंजिल - तीसरी मंजिल की ऊंचाई जमीन से 275 मीटर है।

यह भी पढ़ें: न कोई मोड़, न कोई ढलान... दो घंटे में 256 किमी का सफर; ये है दुनिया का सबसे अनोखा Highway

एफिल टॉवर को 20 साल के लिए बनाया गया था, लेकिन 300 कारीगरों ने इसे इतनी सिद्दत से बनाया था कि 20 साल बाद भी इसमें कोई खामी नजर नहीं आई और यह तमाम परीक्षणों (Test) में खरा उतरा था। यही वजह है कि आज एफिल टॉवर एक मजबूत स्तंभ के तौर पेरिस की शान बढ़ा रहा है। वहीं, गुस्ताव एफिल ने इसमें रेडियो एंटीना और वायरलेस ट्रेलीग्राफ ट्रांसमीटर भी लगाया था, जो कारगर साबित हुआ।

एफिल टावर में किस धातु का किया गया इस्तेमाल?

फ्रांस की संस्कृति के प्रतीकों में से एक एफिल टॉवर लोहे से बनाया गया है। इसमें 18,038 लोहे के टुकड़े और 25 लाख कीलों का इस्तेमाल किया गया है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | नॉलेज (knowledge News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

अनुराग गुप्ता author

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited