बल्ब और ट्यूबलाइट में क्या अंतर है? ट्यूबलाइट में ज्यादा प्रकाश क्यों होता है?

आप लोगों ने जरूर कभी-न-कभी बल्ब और ट्यूबलाइट बाजार से खरीदी होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बल्ब और ट्यूबलाइट के भीतर कौन से फिलामेंट का इस्तेमाल होता है। हालांकि, इस बदलते दौर में बल्ब और ट्यूबलाइट में भी बदलाव देखा गया है और अब अत्याधुनिक तकनीक वाले बल्ब और ट्यूबलाइट बाजार में उपलब्ध हैं, जो काफी ब्राइटनेस वाली रोशनी के साथ आते हैं।

बल्ब और ट्यूबलाइट में अंतर

International Day of Light: अक्सर बेहतर रोशनी के लिए आप लोगों ने घरों में बल्ब और ट्यूबलाइट का इस्तेमाल किया होगा। समय के साथ-साथ यह बल्ब और ट्यूबलाइट अत्याधुनिक हो गए और इनके साथ एलईडी शब्द जुड़ गया। आप लोगों के जहन में यह सवाल जरूर होगा कि बल्ब और ट्यूबलाइट के बीच में आखिर अंतर क्या होता है और इनमें से ज्यादा बिजली की खपत किसमें होती है।

तेजी से दौड़ती भागती दुनिया में बल्ब (Bulb) और ट्यूबलाइट (Tube light) अत्याधुनिक हुए जिसकी वजह से इनके वॉट भी कम हो गए। अक्सर आप लोग बाजार में जब बल्ब और ट्यूबलाइट खरीदने जाते हैं तो दुकानदार को यह जरूर कहते हैं कि आपको कितने वॉट का बल्ब या ट्यूबलाइट चाहिए। उदाहरण के लिए समझ लीजिए कि आपने दुकानदार से 9 वॉट और 12 वॉट के दो बल्ब मांगे और दोनों को अलग-अलग कमरों में लगाया और उससे आपको यह अहसास हुआ कि 9 वॉट के बल्ब की रोशनी कम है, जबकि 12 वॉट के बल्ब की ज्यादा। जी हां, जितना ज्यादा वॉट उतनी चमकदार रोशनी, लेकिन महज वॉट का ही अंतर नहीं होता है बल्ब और ट्यूबलाइट में तो चलिए अंतरराष्ट्रीय प्रकाश दिवस के मौके पर बल्ब और ट्यूबलाइट के बारे में विस्तार से समझते हैं।

बल्ब और ट्यूबलाइट में अंतरपहले सीएफएल बल्ब का इस्तेमाल होता था। इन बल्बों में पारा होता था, लेकिन अब तकनीक बदल गई है और नॉर्मल के बाद सीएफएल और अब एलईडी बल्ब का इस्तेमाल होने लगा। एलईडी जिसे 'लाइट एमिटिंग डायोड' (Light Emitting Diode) कहते हैं। कांच वाले नॉर्मल बल्ब जहां पीले रंग की रोशनी देते थे। वहीं एलईडी ज्यादा ब्राइटनेस के साथ सफेद रोशनी से युक्त होते हैं और जहां पर भी यह जलते हैं उस जगह को रोशन कर देते हैं।

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