क्या है ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम, जिसके फेल होने से कंचनजंगा एक्सप्रेस के उड़े परखच्चे

Automatic Signal System: देश ने फिर ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम के फेल हो जाने की वजह से एक रेल हादसा देखा। ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम, जिसे स्वचालित सिग्नल प्रणाली भी कहा जाता है। इसके विफल हो जाने की वजह से बीते दिनों देश एक और रेल हादसे का गवाह बना। दरअसल, इस प्रणाली दो स्टेशनों के बीच लगाई जाती है।

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कंचनजंगा एक्सप्रेस

Automatic Signal System: देश ने फिर ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम के फेल हो जाने की वजह से एक रेल हादसा देखा। दरअसल, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार की सुबह एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मारी जिसकी वजह से सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के चार डिब्बे बेपटरी हो गए। इस हादसे में 10 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि 41 अन्य घायल बताए जा रहे हैं।

क्या है ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम?

ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम, जिसे स्वचालित सिग्नल प्रणाली भी कहा जाता है। इसके विफल हो जाने की वजह से बीते दिनों देश एक और रेल हादसे का गवाह बना। दरअसल, ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम के तहत दो स्टेशनों के बीच सिग्नल लगाए जाते हैं जिसकी बदौलत एक रूट पर एक से ज्यादा ट्रेनों का संचालन हो सकें। हालांकि, विभिन्न सेक्शन में सिग्नल की दूरी अलग-अलग हो सकती है।

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बता दें कि ट्रेन यातायात ज्यादा होने और किसी प्रकार की कोई तकनीकी समस्या नहीं होने की स्थिति में हर एक किमी के दायरे में सिग्नल लगाए जाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर किसी सिग्नल में तकनीकी समस्या उत्पन्न होती है तो उस सिग्नल के पीछे चल रही ट्रेनों को सूचना मिल जाती है और पीछे चल रही ट्रेन अपनी जगह पर रुक जाएगी। हालांकि, रेलवे अभी पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम को लागू नहीं कर पाया है। अभी ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम के साथ-साथ एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम भी विभिन्न जगहों पर काम कर रहा है।

ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम से पूर्णत: लागू हो जाने पर एक रूट पर एक किमी के दायरे में एक के पीछे एक ट्रेन का संचालन हो सकेगा। हालांकि, दार्जिलिंग जिले में सोमवार को ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम विफल हो गया था।

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क्यों हुआ हादसा?

रेल हादसे को लेकर एक आंतरिक दस्तावेज सामने आया, जिससे पता चलता है कि मालगाड़ी को सभी लाल सिग्नलों को पार करने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम 'विफल' हो गया था। समाचार एजेंसी भाषा ने रेलवे के एक सूत्र के हवाले से बताया कि दस्तावेज, टीए 912 नामक एक लिखित प्राधिकार, मालगाड़ी चालक को रानीपत्रा के स्टेशन मास्टर द्वारा जारी किया गया था, जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने के लिए अधिकृत किया गया था।

क्या सिग्नल नियमों का हुआ उल्लंघन?

मालगाड़ी चालक को लाल सिग्नल पार करने की अनुमति दी गई थी इस पर रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चालक को टीए 912 प्राधिकरण जारी किया गया था। प्रोटोकॉल के अनुसार, जब स्वचालित प्रणाली पर लाल सिग्नल का सामना करना पड़ता है तो चालक को अच्छी दृश्यता की स्थिति में 15 किमी प्रति घंटे और खराब दृश्यता की स्थिति में 10 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति को पार नहीं करते हुए सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। चालक ने गति सीमा को पार कर लिया, जिसकी वजह से ट्रेनों की टक्कर हुई।

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अनुराग गुप्ता author

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