ऑटो पायलट मोड क्या होता है? एयरक्राफ्ट में ऑटोपायलट कैसे करता है काम और क्या हैं इसके फायदे

ऑटोपायलट मोड के बारे में अगर आप लोगों को जानकारी नहीं है तो हम आपको इसके बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं। ऑटोपायलट मोड आखिर काम कैसे करता है और इसके क्या फायदे हैं। बता दें कि ​टेकऑफ करने के कुछ वक्त बाद विमान का ऑटोपायलट मोड सक्रिय हो जाता है और लैंडिंग से पहले इसे बंद कर दिया जाता है। इसके बाद पायलट मैन्युअली विमान का संचालन करते हैं।

क्या होता है ऑटोपायलट मोड

Autopilot Mode: क्या आपने विमान में कभी सफर किया है? अगर नहीं किया तो कोई बात नहीं। दरअसल, हम आपको विमान से जुड़ी हुई एक अहम जानकारी देना चाहते हैं। विमान को उड़ाने के लिए पायलट की जरूरत होती है और पायलट अपने हिसाब से विमान का संचालन करता है, लेकिन अगर हम आपको यह कहें कि विमान इतना ज्यादा अत्याधुनिक होता है कि पायलट उसको एक तय रूट पर सेट कर दें तो बिना किसी हस्तक्षेप के वह आसमान में उड़ता रहेगा और ऐसे मौकों पर पायलट आराम कर लेते हैं। विमान के अलावा यह सुविधा विभिन्न प्रकार के वाहनों में भी मौजूद है।

आज के दौर में विमानों को ऐसे डिजाइन किया जाता है कि वह खुद-ब-खुद उड़ सकें। यह विचार सोचने में कितना बढ़िया और डरावना दोनों ही है। एक ओर मानवीय त्रुटि की संभावना कम हो जाएंगी तो दूसरी ओर विमान के भीतर लगे सिस्टम के फेल होने का डर भी महसूस होगा, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं। ऐसे में हम आपको ऑटोपायलट मोड के बारे में समझाएं कि आखिर वह होता क्या है? और काम कैसे करता है।

क्या है ऑटोपायलट मोड?

विमानों में ऑटोपायलट का इस्तेमाल टेकऑफस, क्रूजिंग और लैंडिंग जैसे मौकों पर किया जाता है। जिसकी वजह से पायलटों को ज्यादा थकान नहीं होती है और वह पेचीदा कामों पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें। यूं तो पायलट विमान को मैन्युअली चलाने के लिए ट्रेंड हैं, लेकिन वह उन चीजों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं, जो ऑटोपायलट नहीं कर सकते हैं। जैसे- सफर की शुरुआत और उसके अंतिम स्थान के बारे में जानकारी देना, लैंडिंग कैसे की जाए इसके बारे में विचार करना और यदि कोई आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उससे कैसे निपटा जाए, इत्यादि।

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