नहीं होगा मलेरिया, आपस में ही लड़ मरेंगे मच्छर! अफ्रीकी देश जिबूती में हुए इस प्रयोग को कितना जानते हैं आप
Mosquito: जिबूती में विज्ञानियों ने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) मच्छरों को वातावरण में छोड़ा है। इन मच्छरों की खासियत यह है कि वह काटते नहीं हैं। ऐसे में यह मच्छर मादा मच्छरों को प्रौढ़ होने से पहले ही खत्म कर देते हैं। इन मच्छरों को ब्रिटेन की एक लैब में तैयार किया गया है।
क्या काटते हैं मच्छर
Mosquito: मच्छरों की मार से हर कोई आहत है। इन दिनों एक ओर भीषण गर्मी से हर कोई आहत है तो दूसरी ओर मच्छरों से। शाम के वक्त खुले इलाके में चैन की हवा लेने की अगर कोई सोचता है तो मच्छरों के आतंक से दुखी हो जाता है और अंतत: उसे वापस अपने घरों में लौटना होता है, लेकिन अफ्रीकी देश तो मच्छरों और उनसे होने वाली बीमारियों से सबसे ज्यादा आहत हैं। अफ्रीकी देश जिबूती में विज्ञानियों ने एक नई योजना तैयार की है। जिसके तहत जंगली मादा मच्छरों के खात्मे का प्लान परवान चढ़ चुका है।
वातावरण में छोड़े गए मच्छर
जिबूती में विज्ञानियों ने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) मच्छरों को वातावरण में छोड़ा है। इन मच्छरों की खासियत यह है कि वह काटते नहीं हैं। ऐसे में यह मच्छर मादा मच्छरों को प्रौढ़ होने से पहले ही खत्म कर देते हैं। इन मच्छरों को ब्रिटेन की एक लैब में तैयार किया गया है।
मच्छर
तस्वीर साभार : iStock
कौन से मच्छर काटते हैं?
अक्सर लोग यह सोचते हैं कि हर मच्छर काटते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है। महज मादा मच्छर ही काटते हैं और उनकी वजह से मलेरिया सहित अन्य बीमारियां पनपती है। ऐसा पहली बार हुआ है जब ब्रिटेन की ऑक्सीटेक कंपनी ने अपनी लैब में इन मच्छरों को पैदा किया और फिर पूर्वी अफ्रीका के वातावरण में छोड़ दिया। हालांकि, अफ्रीकी महाद्वीप की बात की जाए तो ब्राजील, पनामा जैसे देशों में यह पहले हो चुका है।
जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छर
जेनेटिकली मॉडिफाइड मच्छरों पर अमेरिका भी स्टडी कर चुका है। दरअसल, यह मच्छर जब वयस्क अवस्था में पहुंच जाते हैं तो वे मादा मच्छरों के साथ मिलन के लिए परिपक्व हो जाते हैं। ऐसे में यह मच्छर मादा मच्छरों की मादा संतानों को जीवित रहने से रोकता है और वह वयस्क होने से पहले ही मर जाती हैं। जिसकी वजह से बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों की संख्या कम हो जाती है।
मच्छर
तस्वीर साभार : iStock
मच्छरों से उत्पन्न होने वाली बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए अपनाई जा रही योजना कोई नई नहीं है, बल्कि लंबे समय से इस पर काम चल रहा है।
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अनुराग गुप्ता author
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