क्या है UAPA? जिसके तहत अरुंधति रॉय के खिलाफ चलेगा केस

UAPA: लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर के एक पूर्व प्रोफेसर के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलेगा। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, जिसे आसान भाषा में यूएपीए कहते हैं। यह अधिनियम 1967 में पारित हुआ था और तब से लेकर अब तक इसमें चार बार संशोधन हो चुका है।

arundhati roy

अरुंधति रॉय

UAPA: लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर के एक पूर्व प्रोफेसर के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलेगा। बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। ऐसे में चलिए समझते हैं कि आखिर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम क्या है?

क्या है UAPA?

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, जिसे आसान भाषा में यूएपीए कहते हैं। इस कानून का उद्देश्य यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार को कोई खिलवाड़ न हो। यह अधिनियम 1967 में पारित हुआ था और तब से लेकर अब तक इसमें चार बार संशोधन हो चुका है।

कब-कब हुआ संशोधन?

1967 में पारित हुए यूएपीए कानून में 2004, 2008, 2012 और 2019 में बदलाव किए गए और समय के साथ यह कानून और भी ज्यादा सख्त होता गया। मोदी 2.0 में इस कानून में बदलाव के लिए संशोधन विधेयक पेश किया गया था, जिसे दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई थी। इस कानून के तहत एनआईए को कार्रवाई करने के असीमित अधिकार प्राप्त हैं।
UAPA देशभर में लागू है। इसके तहत कोई भी आरोपित चाहे वह भारतीय नागरिक हो या विदेशी या फिर अपराध का स्थान कुछ भी हो, वह इस अधिनियम के दायरे में आएंगे। इस अधिनियम के प्रावधान भारतीयों और विदेशियों दोनों पर ही लागू होते हैं।
यूएपीए के तहत संदिग्ध गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। यह एनआईए को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने की शक्ति देता है। इसके अतिरिक्त एनआईए संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकती है।

कब लागू हो सकता है यूएपीए

यूएपीए को विशेष हालात में लागू किया जा सकता है। इसका उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुत की रक्षा करना है। अगर कोई इसे कमजोर करने या हिंसा भड़काने की कोशिश करता है कि तो उस पर कार्रवाई का प्रावधान है।
यूएपीए की धारा 15 आतंकी गतिविधियों को परिभाषित करती है, जबकि धारा 16 को मुख्य माना गया है, क्योंकि धारा 16 में सजा का प्रावधान है। जिसके तहत मृत्युदंड से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा शामिल है।
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अनुराग गुप्ता author

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