क्या है DNA टेस्टिंग, जिसकी मदद से कुवैत में जले हुए शवों की हो सकती है पहचान

DNA Test: कुवैत के मंगफ क्षेत्र में स्थित एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में भीषण आग लगने की वजह से 45 भारतीय समेत 49 मजदूरों की मौत हो गई। बता दें कि मृतकों का शव इतनी ज्यादा बुरी तरह से जल गया है कि महज हड्डियां ही शेष बची हुई हैं। ऐसे में जिन भारतीयों की पहचान नहीं हो सकी है उनकी डीएनए टेस्टिंग करा सकते हैं।

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डीएनए टेस्ट

DNA Test: कुवैत के मंगफ क्षेत्र में स्थित एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में भीषण आग लगने की वजह से 45 भारतीय समेत 49 मजदूरों की मौत हो गई और 50 अन्य घायल हो गए। इस भीषण हादसे के बाद घटना की जांच के आदेश दिए गए। कुवैत के गृह मंत्री शेख फहद अल-यूसुफ अल सबाह ने अल-मंगफ इमारत के मालिक तथा चौकीदार को पकड़ने के भी निर्देश जारी किए हैं।
विदेश मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह भारतीय वायुसेना के विमान से मृतकों के शवों को स्वदेश ला रहे हैं। 45 भारतीयों के शव में से कुछ शव इतने ज्यादा बुरी तरीके से जल गए हैं कि उनकी पहचान कर पाना काफी मुश्किल है। ऐसे में इन शवों की पहचान आखिर कैसे की जाएगी आज इस पर चर्चा करेंगे। मृतकों के शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्टिंग का सहारा लिया जा सकता है।

क्या है DNA टेस्टिंग?

डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड, जिसे आसान भाषा में डीएनए कहा जाता है। इसे जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing) भी कहते हैं। इसकी मदद से किसी व्यक्ति के डीएनए का परीक्षण किया जाता है। दरअसल, डीएनए हमारे शरीर में पाया जाने वाला एक अणु है, जो हमारे माता-पिता, पूर्वजों या हमारे वंश के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध कराने में मदद करता है। इसकी संरचना कुंडलीनुमा सीढ़ियों जैसी दिखती है। हर हिस्सों में दो लंबे धागे होते हैं, जो एक-दूसरे से लिपटे हुए होते हैं। इन दोनों से मिलकर बनने वाला शेप ही डबल हेलिक्स कहलाता है।

क्या माता-पिता का DNA एक होता है?

अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि क्या माता-पिता का डीएनए एक जैसा होता है? इसका जवाब है- नहीं, माता-पिता के डीएनए अलग-अलग होते हैं, लेकिन इन दोनों के डीएनए से मिलकर बच्चे का एक यूनिक डीएनए बनता है। ऐसे में परिजनों और बच्चे के डीएनए मिलान से यह साबित हो जाता है कि आखिर किस माता-पिता का यह बच्चा है।
अमूमन डीएनए जांच के लिए रक्त, लार या बालों के नमूने लिये जाते हैं। हालांकि, कुवैत के मामले में हड्डियों के सैंपल एकत्रित किए जा सकते हैं, क्योंकि भीषण आग में मृतकों का शरीर बुरी तरह से जल गया है और महज हड्डियां ही शेष बची हुई हैं।

DNA जांच की प्रक्रिया

सैंपल से डीएनए को निकाला जाता है। इसके बाद डीएनए की मात्रा को बढ़ाया जाएगा ताकि एनालिसिस किया जा सके। इसी आधार पर डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट में सामने आई जानकारी को माता-पिता से मैच कर अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाती है। डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने में हफ्तेभर से ज्यादा का समय लग सकता है।
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अनुराग गुप्ता author

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