इस अनोखे सुपरअर्थ पर हो सकता है सल्फर युक्त वायुमंडल, जेम्स वेब को मिले संकेत
Exoplanet: अनंत ब्रह्मांड में असंख्य ग्रह मौजूद हैं, लेकिन खगोलविदों ने अबतक 5000 से ज्यादा एक्सोप्लैनेट की खोज की है। एक्सोप्लैनट उन ग्रहों को कहा जाता है, जो हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित है। इन्हीं में से एक अनोखे एक्सोप्लैनेट में जेम्स वेब अवलोकनों में सल्फर युक्त वायुमंडल के संकेत मिले हैं।
एक्सोप्लैनेट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
- 35 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है अनोखा एक्सोप्लैनेट।
- पृथ्वी से आकार में डेढ़ गुना ज्यादा बड़ा है ये बाह्यग्रह।
- साल 2019 में हुई थी L 98-59 d की खोज।
Exoplanet: सौरमंडल के बाहर दूसरे तारों की परिक्रमा करने वाले 5000 से ज्यादा एक्सप्लैनेट के बारे में खगोलविदों को पता है और नए एक्सोप्लैनेट को तलाशने का काम भी जारी है। साथ ही खगोलविद लगातार खोजे गए एक्सोप्लैनेट के बारे में और ज्यादा जानने की कोशिशों में जुटे हैं, जैसे- उनका आकार, वे किस चीज से बने हैं और क्या उनमें वायुमंडल है इत्यादि।
सल्फर युक्त वायुमंडल के मिले संकेत
सबसे उन्नत जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की टीम को पृथ्वी से लगभग डेढ़ गुना बड़े और 35 प्रकाश वर्ष दूर स्थित ग्रह पर सल्फर युक्त वायुमंडल के संकेत मिले है। अगर इसकी पुष्टि होती है तो यह वायुमंडल वाला सबसे छोटा ज्ञात एक्सोप्लैनेट होगा। इस वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड गैसों की संभावित उपस्थिति पिछली हुई या ज्वालामुखीय सतह का संकेत देती है।
किस एक्सोप्लैनेट की हो रही चर्चा?
साल 2019 में खोजा गया L 98-59 d नामक एक्सोप्लैनेट एक सुपर-अर्थ है, जो पृथ्वी से थोड़ा बड़ा और भारी है। हालांकि, यह एक्सोप्लैनेट एक आम प्रकार का ग्रह है जिसे हमने अपनी आकाशगंगा के अन्य तारों के आसपास देखा है।
लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, खगोलविद ट्रांसमिशन स्पेक्ट्रोस्कोपी की मदद से वायुमंडल की संरचना का पता लगाने की कोशिश करते हैं। यह एक सिद्ध तकनीक है जिसका उपयोग पहले किसी एक्सोप्लैनेट के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए किया गया है।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से L 98-59 d ग्रह का विश्लेषण करने वाली टीम में शामिल एक खगोलविद के मुताबिक, अवलोकनों के आधार पर एक्सोप्लैनेट के वायुमंडल का संचरण स्पेक्ट्रम हासिल किया गया जिसकी बदौलत सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड से भरे वायुमंडल की संभावित उपस्थिति का संकेत मिला।
बता दें कि जेम्स वेब अवलोकनों ने पहले एक एक्सोप्लैनेट पर सल्फर डाइऑक्साइड के संकेत देखे थे, लेकिन यह एक गैसीय दानव था, ना कि L 98-59 d जैसा कोई संभावित चट्टानी ग्रह। हालांकि, छोटे चट्टानी ग्रहों पर वायुमंडल का पता लगाना बेहद कठिन है, क्योंकि ग्रह मेजबान तारों की तुलना में बहुत छोटे हैं और साथ ही उनके मेजबान तारों से निकलने वाला तीव्र रेडिएशन अक्सर वायुमंडल को तबाह कर देता है।
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