बंगला खाली न करने पर 10 लाख तक का जुर्माना, जानिए कौन जारी करता है नोटिस?
MPs Bungalow: चुनाव हारने वाले सांसदों को सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे, जबकि नवनिर्वाचित सांसदों और मंत्रियों को नए आवास आवंटित किए जाएंगे। उन्हें वरिष्ठता के आधार पर बंगले आवंटित किए जाएंगे। वहीं, सांसदी समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर सरकारी बंगला खाली करना होता है और खाली नहीं करने की स्थिति में जुर्माने का भी प्रावधान है।
सरकारी बंगला खाली कराने की प्रक्रिया
MPs Bungalow: लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है और नई सरकार का भी गठन हो गया। इस बार कई ऐसे सांसद हैं जिन्हें फिर से संसद पहुंचने का मौका मिला, जबकि कुछ सांसद इस बार चुनाव हार गए। वहीं, कई नेता ऐसे भी हैं जिन्हें पहली बार सांसद बनने का मौका मिला है। इन सांसदों को अब सरकारी बंगले मुहैया कराये जाएंगे, जबकि चुनाव हारने वाले सांसदों को सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे तो चलिए समझते हैं कि आखिर सरकारी बंगले कैसे खाली कराए जाते हैं? इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है।
कैसे होता है बंगले का आवंटन?
चुनाव हारने वाले सांसदों को सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे, जबकि नवनिर्वाचित सांसदों और मंत्रियों को नए आवास आवंटित किए जाएंगे। उन्हें वरिष्ठता के आधार पर बंगले आवंटित किए जाएंगे।
कहां आवंटित किए जाते हैं बंगले?
सरकारी बंगले पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति, मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, सांसदों और राजनयिकों इत्यादि को दिए जाते हैं। इन बंगलों के आवंटन, रखरखाव की जिम्मेदारी डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट (DoE) की होती है। मंत्रियों और सांसदों को सरकारी बंगलों का आंवटन सैलरी और वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है।
साल 1922 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत डायरेक्टरेट ऑफ स्टेटस विभाग बनाया गया। यह विभाग भारत सरकार की संपत्तियों का प्रबंधन और प्रशासन देखता है। हालांकि, सांसदों को सरकारी आवास मुहैया कराने के मामले में डायरेक्टरेट ऑफ स्टेटस के साथ ही लोकसभा और राज्यसभा की हाउसिंग सोसाइटी की भी भूमिका होती है।
कितने दिनों में बंगला खाली करना पड़ता है?
नेताओं के सरकारी बंगले खाली कराने को लेकर साल 2019 में एक नया कानून बनाया गया था। इस कानून के मुताबिक, सांसदों की संसद सदस्यता खत्म होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर बंगला खानी करना होगा। ऐसा नहीं करने पर डायरेक्टरेट ऑफ स्टेटस कारण बताओ नोटिस जारी करता है और नोटिस जारी करने के तीन दिन बाद बंगला खाली कराने की सरकारी प्रक्रिया शुरू हो जाती है। बंगला खाली न करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। ऐसी स्थिति में 10 लाख रुपये का हर्जाना भरना पड़ सकता है।
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