सांसों के साथ माइक्रोप्लास्टिक छोड़ रही डॉल्फिन, हर जगह मौजूद है यह कचरा; नई स्टडी ने चौंकाया

Microplastic Pollution: फ्लोरिडा में सारासोटा खाड़ी और लुइसियाना में बारातारिया खाड़ी में ‘बॉटलनोज’ डॉल्फिन अपनी सांसों के साथ माइक्रोप्लास्टिक फाइबर छोड़ रही हैं। ऐसा दावा एक नए शोध में किया गया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि महासागरों में प्लास्टिक के कई खरब कण होते हैं, जो अपशिष्ट जल या हवा के माध्यम से उनके अंदर पहुंचते हैं।

डॉल्फिन

मुख्य बातें
  • प्लास्टिक कणों को सांस के जरिए ग्रहण करती हैं डॉल्फिन।
  • माइक्रोप्लास्टिक फेफड़ों में पैदा कर सकती हैं सूजन।

Microplastic Pollution: पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित नए शोध के अनुसार, फ्लोरिडा में सारासोटा खाड़ी और लुइसियाना में बारातारिया खाड़ी में ‘बॉटलनोज’ डॉल्फिन अपनी सांसों के साथ माइक्रोप्लास्टिक फाइबर छोड़ रही हैं। प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े जमीन, हवा और यहां तक कि बादलों समेत पूरे ग्रह पर फैल गए हैं।

एक अनुमान के अनुसार, अकेले महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक के 170 ट्रिलियन बिट्स होने का अनुमान है। दुनिया भर में, शोध से पता चला है कि लोग और वन्यजीव मुख्य रूप से खाने और पीने के साथ-साथ सांसों के जरिए भी माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं।

यह शोध क्यों है महत्वपूर्ण?

मनुष्यों में, सांस के जरिए अंदर जाने वाली माइक्रोप्लास्टिक फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकती हैं, जिससे ऊतक (टिशू) को नुकसान, ज्यादा बलगम बनना, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, घाव और संभवतः कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। चूंकि डॉल्फिन और मनुष्य समान प्लास्टिक कणों को सांस के जरिए ग्रहण करते हैं, इसलिए डॉल्फिन को भी फेफड़ों की ऐसी ही समस्याएं हो सकती हैं।

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