'लोकी' को निगल कर हमारी 'मिल्की-वे' ने मिटाई भूख! 20 अजीब तारों को देख खगोलविदों के खड़े हुए कान
Milky Way Galaxy: ब्रह्मांडीय दुनिया में हमेशा कुछ न कुछ ऐसा घटित होता है, जो खगोलविदों से लेकर अंतरिक्ष प्रेमियों तक सभी को हैरान करता है। हाल ही में खगोलविदों ने मिल्की-वे की डिस्क में मौजूद सामान्य तारों की तुलना में 20 अनोखे तारों की आबादी का अध्ययन किया, जो दर्शाता है कि यह तारे बेहद प्राचीन हैं और दूसरी बौनी आकाशगंगा के हिंसक विलय से मिल्की-वे में स्थानातंरित हुए होंगे।
मिल्की-वे आकाशगंगा
मुख्य बातें
- सरल और शांत नहीं है मिल्की-वे का इतिहास।
- डिस्क में मिले 20 अनोखे तारों की आबादी।
- बेहद प्राचीन तारों की धातु एक जैसी है।
Milky Way Galaxy: ताकतवर जानवर हमेशा अपने से कमजोर और छोटे जानवरों का शिकार करते आए हैं और यही जंगल का नियम है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्रह्मांडीय दुनिया में भी ऐसा ही नियम काम करता है। हमारी अपनी घरेलू मिल्की-वे आकाशगंगा का अतीत भी हिसंक रहा है। मिल्की-वे सरल-शांत स्वभाव के शांत विकसित नहीं हुई, बल्कि कई छोटी आकाशगंगाओं के निगलकर विकसित हुई है या यूं कहें कि छोटी आकाशगंगाओं को खुद में समाहित कर खुद का विस्तार किया है।
मिल्की-वे के तारों का आयु, आकार और धातुओं में काफी भिन्नता है। एक साथ पैदा होने वाले तारों में कई गुण होते हैं, क्योंकि वे सभी एक ही आदिम गैस बादल से जन्म लेते हैं, लेकिन भले ही तारे एक साथ पैदा हुए हों, पर वे अपनी कक्षाओं में भटकते हुए तेजी से बिखर जाते हैं। इसलिए खगोलविद अलग-अलग आबादी की पहचान करने के लिए धातुओं की प्रचुरता जैसे सूक्ष्म अंतरों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
20 तारों की अनोखी आबादी
एस्ट्रोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक, खगोलविद इस तकनीक के माध्यम से उन तारों की आबादी का पता लगा सकते हैं, जो हमारी आकाशगंगा में पैदा ही नहीं हुए, लेकिन हिंसक विलय के दौरान हममें शामिल हो गए थे।
मिल्की-वे आकाशगंगा
तस्वीर साभार : iStock
हाल ही में arXiv प्रीप्रिंट सर्वर पर प्रकाशित एक पेपर के मुताबिक, खगोलविदों की एक टीम ने सूर्य के आसपास परिक्रमा कर रहे 20 तारों की एक अनोखी आबादी का अध्ययन किया। हालांकि, इन तारों में बेहद कम धातुओं की मौजूदगी है। इसका मतलब साफ है कि ये तारे अविश्वसनीय रूप से प्राचीन हैं और सभी में लगभग समान मात्रा में धातु है, जो यह दर्शाता है कि इनकी उत्पत्ति एक साथ हुई होगी।
हालांकि, आधे तारे आकाशगंगा में चारों ओर एक ही दिशा में चक्कर लगा रहे हैं, जबकि अन्य आधे तारे विपरीत दिशा में परिक्रमा कर रहे हैं।
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अभी और रिसर्च की है जरूरत
20 तारों की अनोखी आबादी मिल्की-वे की डिस्क में मौजूद सामान्य तारे से कहीं ज्यादा पुराने हैं जिसका मतलब है कि यह तारे हमारी आकाशगंगा में पैदा नहीं हुए थे। आकाशगंगाओं के अंदर तत्वों के विकास और वितरण के सिमुलेशन से पता चलता है कि इन तारों का सबसे संभावित जन्मस्थान एक छोटी बौनी आकाशगंगा रही होगी जिसका वजन मिल्की-वे के वर्तमान द्रव्यमान का लगभग दो फीसद रहा होगा।
खगोलविदों ने इन घुसपैठिये तारों की मूल आकाशगंगा का नाम नॉर्स पैराणिक कथाओं के देवता 'लोकी' के नाम पर रखा। हालांकि, यह बता पाना बेहद मुश्किल है कि 'लोकी' और मिल्की-वे का विलय कब हुआ होगा।
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अनुराग गुप्ता author
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