पृथ्वी की ओर आने वाले ज्यादातर उल्का कहां से आते हैं? वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सोर्स
Meteoroid: पृथ्वी पर लगातार उल्कापिंडों का हमला हो रहा है और हम ज्यादातर उल्कापिंडों के बारे में नहीं जानते हैं। दरअसल, ज्यादातर उल्कापिंड छोटे आकार के होते हैं और पृथ्वी के वायुमंडल में टकराने की वजह से जलकर तबाह हो जाते हैं, लेकिन कुछ उल्कापिंड पृथ्वी से टकराते हैं। माना जाता है कि ये उल्कापिंड क्षुद्रग्रह बेल्ट से आते हैं।
उल्कापिंड
- पृथ्वी पर लगातार हो रहा उल्कापिंडों का हमला।
- ज्यादातर उल्कापिंडों के बारे में नहीं होती जानकारी।
- क्षुद्रग्रह बेल्ट से आते हैं उल्कापिंड।
Meteoroid: पृथ्वी पर लगातार उल्कापिंडों की बौछार होती रहती है और अब ओरियोनिड्स उल्का बौछार का समय आ गया है। आमतौर पर बूढ़ी दादी और नानियों की कहानियों में 'टूटते तारों' का जिक्र होता है जिसको देखकर 'मुराद मांगने' का चलन है। कहा तो यहां तक जाता है कि टूटते हुए तारों को देखकर मांगने वाली मुराद पूरी होती है। खैर ये तो कहानियों की बात हुई, लेकिन विज्ञान जगत में इन्हें उल्का कहा जाता है।
पृथ्वी पर लगातार उल्कापिंडों का हमला हो रहा है। हम उनमें से ज्यादातर के बारे में नहीं जानते हैं, क्योंकि हमें दिखने से पहले ही वह हमारे वायुमंडल में जल जाते हैं, लेकिन यह उल्का आखिर आते कहां से हैं। दरअसल, पृथ्वी पर टकराने वाले ज्यादातर उल्कापिंड मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद क्षुद्रग्रह बेल्ट से आते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने उल्कापिंडों और उनकी उत्पत्ति के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह से बदल दिया है।
दिमाग हिला देगी ये रिसर्च
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सभी ज्ञात उल्कापिंडों में से 70 फीसद महज तीन युवा क्षुद्रग्रह परिवारों (करिन, कोरोनिस और मासालिया) से उत्पन्न होते हैं। सीएनआरएस, यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला (ईएसओ, यूरोप) और चार्ल्स विश्वविद्यालय (चेक गणराज्य) के शोधकर्ताओं ने उल्कापिंड से जुड़ा हुआ यह अध्ययन किया।
यह भी पढ़ें: 'लोकी' को निगल कर हमारी 'मिल्की-वे' ने मिटाई भूख! 20 अजीब तारों को देख खगोलविदों के खड़े हुए कान
करिन, कोरोनिस और मासालिया नामक क्षुद्रग्रह परिवार लगभग 5.8, 7.5 और 40 मिलियन साल पहले मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट में टकराव से पैदा हुए थे। इनमें से अकेले मासालिया परिवार को 37 फीसद ज्ञात उल्कापिंडों का सोर्स माना जाता है।
हालांकि, हमारे पास 70,000 से ज्यादा उल्कापिंडों के रिकॉर्ड हैं, लेकिन महज 6 फीसद की ही उनकी संरचना से स्पष्ट पहचान हो पाई है। ये 'अकोन्ड्राइट' चंद्रमा, मंगल या वेस्टा से आते हैं, जबकि शेष 94 फीसद उल्कापिंडों की उत्पत्ति एक पहेली बनी हुई थी, जिनमें अधिकांश साधारण 'चोन्ड्राइट' हैं।
यह भी पढ़ें: मंगल ग्रह पर दिखा 'इंसानी चेहरा'! NASA रोवर की खोज से हर कोई हैरान
क्षुद्रग्रह परिवार
लेकिन तीन युवा क्षुद्रग्रह परिवार इतने सारे उल्कापिंड का सोर्स क्यों देते हैं? इसका जवाब क्षुद्रग्रह परिवारों के जीवन चक्र में निहित है। हाल ही में हुई टक्करों से टूटे क्षुद्रग्रहों के युवा परिवार अधिक टुकड़ों से बने हैं, जिसका अर्थ है कि उनके टुकड़ों की मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट से बाहर निकलने की अधिक संभावना है, जो संभवत: पृथ्वी की ओर बढ़ सकते हैं। जैसे-जैसे क्षुद्रग्रह परिवार पुराने होते जाते हैं उनके टुकड़े कम होते जाते हैं जिससे उल्कापिंडों का सोर्स कम होता जाता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। नॉलेज (Knowledge News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें
पहली बार Milky Way से परे तारे की 'Zoomed-In' तस्वीर हुई कैप्चर, मिले सुपरनोवा विस्फोट के संकेत
मद्रास राज्य के नाम बदलने के प्रस्ताव को लोकसभा में कब मिली थी मंजूरी? जानें आज की तारीख का इतिहास
साल के आखिरी माह इन मेटियोर शॉवर से जगमग होगा आसमान, जानें कब और कहां दिखेगी उल्का बरसात
आजाद भारत का पहला डाक टिकट कब हुआ था जारी? कितनी थी उसकी कीमत, जानें
दिल्ली सहित उत्तर भारत में 'दमघोंटू' हवा, पर दक्षिण भारत में क्यों साफ रहती है हवा; जानें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited