ब्रह्मांडीय दैत्य या कुछ और? अंतरिक्ष में अजीब तरह से घूमने वाली रहस्यमयी वस्तु की हुई खोज; नहीं दिख रहा प्रकाश

Black Hole: ब्रह्मांड, जिसके बारे में खगोलविद बहुत कम ही जान पाए हैं और लगातार उसके रहस्यों को सुलझाने की कोशिशों में लगे रहते हैं। इस बीच, सुदूर अंतरिक्ष में एक ऐसी अजीबोगरीब वस्तु देखी गई है जिसने ब्रह्मांडीय सिद्धातों पर ही सवाल खड़े कर दिये। वैज्ञानिक इस अजीबोगरीब वस्तु के बारे में जानने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

smallest black hole

रहस्यमयी वस्तु (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुख्य बातें
  • सुदूर अंतरिक्ष में दिखी रहस्यमयी वस्तु।
  • संभवत: इसे ब्लैक होल माना जा रहा है।
  • रहस्यमयी वस्तु का विज्ञानी नाम G3425 है।

Black Hole: सुदूर अंतरिक्ष में अजीब तरह से घूमने वाली एक वस्तु की खोज हुई है। संभवत: यह एक ब्लैक होल हो सकता है। खगोलविद इस ब्रह्मांडीय वस्तु की खोज से विस्मय में हैं। खगोलविदों ने विश्लेषण के आधार पर इस अजीबोगरीब वस्तु को G3425 नाम दिया है।

कहां दिखाई दी अजीबोगरीब वस्तु?

साइंस लाइव की रिपोर्ट के मुताबिक, पृथ्वी से लगभग 5,825 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक लाल विशालकाय तारा द्विधारीय साथी के साथ धीमी गति से परिक्रमा करते हुए देखा गया है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि उस अजीबोगरीब वस्तु वाले क्षेत्र से बिल्कुल भी प्रकाश नहीं आ रहा है, जहां द्विधारीय साथी होना चाहिए।

चीनी अकादमी ऑफ साइंसेज के सॉन्ग वांग के नेतृत्व में खगोलविदों की टीम ने पाया कि अदृश्य वस्तु का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का महज 3.6 गुना है। ऐसे में संभवत: यह एक ब्लैक होल हो सकता है। बकौल रिपोर्ट, डेटा में एक छोटा आकार एक रहस्यमय शून्य के बीच में है जिसे लोअर मास गैप के रूप में जाना जाता है।

यह भी पढ़ें: ब्रह्मांड के विस्तार की क्या है गति? खगोलविद भी नहीं समझ पा रहे रहस्य! गतिरोध दूर करने की जरूरत

हैरान क्यों हैं खगोलविद?

इस रहस्यमयी वस्तु का विज्ञानी नाम G3425 है, जो खगोलविदों को छोटे ब्लैक होल्स के बारे में काफी कुछ समझा सकता है। शोधकर्ताओं ने शोधपत्र में लिखा है कि G3425 की दुर्लभ खोज गैर-अंतरक्रियाशील बाइनरी में द्रव्यमान-अंतराल वाले ब्लैक होल के अस्तित्व का साक्ष्य प्रदान करती है, जिसे एक्स-रे उत्सर्जन के माध्यम से पता लगाना कठिन है। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि इसकी आश्चर्यजनक रूप से विस्तृत वृत्ताकार कक्षा का निर्माण वर्तमान द्विधारीय विकास और सुपरनोवा विस्फोट सिद्धांतों को चुनौती देता है।

कैसे बनते हैं ब्लैक होल?

आमतौर पर ब्लैक होल अति सघन वस्तुओं के एक समूह पर होते हैं और ऐसे ब्रह्मांडीय दैत्य मृत तारों के अवशेषों से बनते हैं। जब किसी तारे का ईंधन समाप्त हो जाता है और वह गुरुत्वाकर्षण की वजह से ढह जाता है तो ब्लैक होल बनते हैं। बकौल रिपोर्ट, सफेद बौने सूर्य के द्रव्यमान से लगभग आठ गुना बड़े तारों से बनते हैं और उनकी ऊपरी द्रव्यमान सीमा सूर्य के द्रव्यमान से लगभग 1.4 गुना होती है।

यह भी पढ़ें: दो आकाशगंगाओं के विलय को देख फटी रह गईं वैज्ञानिकों की आंखें; गैलेक्सी की चमक का भी खुला रहस्य

हालांकि, भारी पिंड और भी ज्यादा घने हो जाते हैं और वह न्यूट्रॉन तारे होते हैं, जिनका द्रव्यमान लगभग 2.3 सौर द्रव्यमान तक हो सकता है। खगोलविदों के मॉडलों के मुताबिक, 2.3 सौर द्रव्यमान से ऊपर एक न्यूट्रॉन तारा गुरुत्वाकर्षण के आंतरिक दबाव को नहीं झेल सकता है और ऐसे में उसे पूरी तरह से ढह जाना चाहिए, जिससे एक ब्लैक होल बन जाएगा।

बकौल रिपोर्ट, खगोलविद अबतक पांच सौर द्रव्यमान से कम के बहुत कम ब्लैक होल्स का पता लगाया है। ऐसे में खगोलविद या तो कम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल को खोज नहीं पा रहे हैं या कुछ उन्हें बनने से रोक रहा है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। नॉलेज (Knowledge News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

लेटेस्ट न्यूज

अनुराग गुप्ता author

टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited