ऐसा कैसे! धरती में है 'नर्क का द्वार', जहां 50 सालों से धधक रही आग

Door to Hell: तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में दरवाजा गांव के पास एक विशाल गड्ढा है जहां पर दशकों से आग धधक रही है। यह गड्ढा 69 मीटर चौड़ा और 30 मीटर गहरा है। ​दुनियाभर से पर्यटक नर्क का द्वार देखने के लिए आते हैं। काराकुम रेगिस्तान के उत्तर में धधक रही यह आग इतनी तेज है कि रात के समय कई किमी दूर से इसकी रोशनी दिखाई देती है।

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नर्क का द्वार कहां है?

Door to Hell: स्वर्ग और नर्क, दोनों के ही बारे में हमें बचपन से कहानियां सुनने को मिल रही हैं। अमूमन यह कहा जाता है कि आपके अच्छे कर्म आपको स्वर्ग और बुरे कर्म आपको नर्क लेकर जाएंगे। कई बार को लोग यह भी कहते हैं कि जैसे तुम्हारे कर्म हैं, तुम नर्क में जलोगे। हालांकि, इन दोनों जगहों को किसी ने नहीं देखा है, लेकिन हम आपको नर्क के द्वार की कहानी जरूर बता सकते हैं।

कहां है नर्क का द्वार?

नर्क का द्वार तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में दरवाजा गांव के पास स्थित है। तुर्कमेनिस्तान पहले सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद यह अलग राष्ट्र बन गया। खैर तुर्कमेनिस्तान पर फिर कभी बात करें। आज काराकुम रेगिस्तान में स्थित 69 मीटर चौड़े और 30 मीटर गहरे गड्ढे पर विस्तार से बात करेंगे जहां पिछले कई वर्षों से आग धधक रही है।
गड्ढे में दशकों से धधक रही आग को ही दुनिया भर में 'नर्क का द्वार' कहा जाता है, क्योंकि इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानों जिस शैतान के बारे में हमने कहानियों में सुना था वह हथियार लेकर बाहर निकल रहा हो। इस जगह की आग दशकों से नहीं बुझी है और लगातार जल रही है।

क्या है असल कहानी

70 के दशक में सोवियत संघ के भूविज्ञानी काराकुम के रेगिस्तान में कच्चे तेल की खोज कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें यहां पर गैस का भंडार मिला। यह वो दौर था जब नेचुरल गैस निकालने की होड़ हुआ करती थी, लेकिन खोज के दौरान इलाके की जमीन धंस गई और यहां पर गड्ढे बन गए। जिससे मीथेन गैस का रिसाव होने लगा। ऐसे में भूविज्ञानियों को मीथेन गैस के रिसाव को रोकने का एक तरीका सूझा।

गड्ढे में कैसे लगी आग?

दरअसल, भूविज्ञानियों को लगा कि गड्ढे से रिसाव हो रही मीथेन गैस में अगर आग लगा दी जाए तो यह वातावरण में नहीं फैलेगी। ऐसे में भूविज्ञानियों ने गड्ढे में आग लगा दी। उन्हें लगा कि मीथेन गैस कुछ हफ्तों में समाप्त हो जाएगी और आग खुद-ब-खुद बुझ जाएगी, लेकिन पांच दशक से यह आग लगातार धधक रही है।

नर्क का द्वार देखने आते हैं पर्यटक

दुनियाभर से पर्यटक नर्क का द्वार देखने के लिए आते हैं। काराकुम रेगिस्तान के उत्तर में धधक रही यह आग इतनी तेज है कि रात के समय कई किमी दूर से इसकी रोशनी दिखाई देती है। इस जगह को लेकर कई किवदंतियां भी हैं। कुछ लोग इस जगह को शापित मानते हैं।
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अनुराग गुप्ता author

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