बेहद कठिन है स्पेस स्टेशन की जिंदगी, 90 मिनट में होता है सूर्यास्त; जानें कैसे दिन काटते हैं अंतरिक्ष यात्री
International Space Station: भारतीय-अमेरिकी सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर दो माह से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं और अभी धरती पर वापसी के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना होगा। हालांकि, नासा ने दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी का समय निर्धारित किया है। इस बीच, हम आपको बताएंगे कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर (फोटो साभार: NASA)
- जून के शुरुआती सप्ताह में भरी थी उड़ान।
- 8 दिन बाद अंतरिक्ष यात्रियों की होनी थी वापसी।
- हीलियम लीक की वजह से स्पेस में फंसे हैं दोनों।
International Space Station: भारतीय-अमेरिकी सुनीता विलियम्स समेत दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की इस साल पृथ्वी पर वापसी नहीं होने वाली है। दो माह से सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं। दोनों ही 8 दिनों के मिशन के लिए बोइंग स्टारलाइनर की मदद से उड़ान भरी थी, लेकिन दो माह से ज्यादा वक्त बीत गया और अभी उन्हें लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में रहना होगा। तो चलिए समझते हैं कि ISS में रहना कितना मुश्किल है।
रेडिएशन का करना पड़ता है सामना
एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसएस में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को अपना ही पेसाब रिसाइकिल करके पीना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें रेडिएशन का सामना भी करना पड़ता है। अंतरिक्ष में समय गुजारना बेहद कठिन होता है। हालांकि, दोनों ही अंतरिक्ष यात्री इस तरह से लंबे मिशन के लिए तैयार थे। ब्रिटिश अंतरिक्ष यात्री मेगन क्रिश्चियन ने 'द सन' को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया।
यह भी पढ़ें: पृथ्वी के नजदीक से गुजरेंगे 'तबाही के देवता'; नग्न आंखों से देख सकेंगे आप, वैज्ञानिकों ने टिकाई अपनी निगाह
मेगन क्रिश्चियन के मुताबिक, दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को लंबे समय तक नहाने को नहीं मिलेगा। साथ ही अपना पेसाब रिसाइकिल करने पीना पड़ता है। हालांकि, सुनीता विलियम्स और बैरी विल्मोर दोनों ही इस तरह के लंबे मिशन के लिए तैयार थे।
90 मिनट में होता है सूर्यास्त
आईएसएस में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री डेढ़ घंटे के अंतराल में सूर्यास्त और सूर्योदय को देखते हैं। ऐसे में उन्हें हर 90 मिनट में यह नजारा देखने की आदत डालनी पड़ती है।
ISS में क्या-क्या सुविधाएं हैं?
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में मौजूदा समय में नौ लोग मौजूद हैं। वहां पर दो बाथरूम और छह स्लीपिंग रूम है, जिसका सभी अंतरिक्ष यात्री क्रमबद्ध तरीके से इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, भोजन और पानी का बड़ी सावधानी के साथ इस्तेमाल करना होता है, क्योंकि 421 किमी ऊपर मौजूद स्पेस स्टेशन में इसकी सप्लाई पृथ्वी से की जाती है। बकौल मेगन क्रिश्चियन, स्पेस स्टेशन में शॉवर की कोई सुविधा नहीं है। अंतरिक्ष यात्री गीले तौलिये का इस्तेमाल करते हैं।
अलग तरह का होता है टॉयलेट
स्पेस स्टेशन में पृथ्वी की तरह टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं होता है, बल्कि वहां का टॉयलेट अलग होता है। बकौल मेगन क्रिश्चियन, स्पेस स्टेशन में एक खास तरीके का सक्शन टॉयलेट का उपयोग किया जाता है, इस टॉयलेट में शरीर के तरल पदार्थ एकत्रित हो जाते हैं। दरअसल, अंतरिक्ष में जितना मुमकिन हो सकता है उतना रिसाइकिल किया जाता है।
बता दें कि स्पेस स्टेशन में पॉटी और टॉयलेट के लिए अलग-अलग तरह की व्यवस्था होती है। पॉटी के लिए कंटेनर के ऊपर रबरयुक्त शीट का इस्तेमाल होता है, जबकि टॉयलेट के लिए एक गली होती है, जिसमें अंतरिक्ष यात्री हलके होते हैं।
16 बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है ISS
आईएसएस एक दिन में 16 बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस वजह से अंतरिक्ष यात्री एक दिन में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देखते हैं और उन्हें इसकी आदत डालनी पड़ती है, जबकि धरती में ऐसा नहीं होता है। आसान भाषा में कहें तो आईएसएस लगभग 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है।
सुनीता विलियम्स की कब होगी वापसी?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन' (NASA) का मानना है कि बोइंग के नए कैप्सूल से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी जोखिम भरी हो सकती है। ऐसे में दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को अगले साल 'स्पेसएक्स' यान से वापस लाया जाएगा।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | नॉलेज (knowledge News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें
पहली बार Milky Way से परे तारे की 'Zoomed-In' तस्वीर हुई कैप्चर, मिले सुपरनोवा विस्फोट के संकेत
मद्रास राज्य के नाम बदलने के प्रस्ताव को लोकसभा में कब मिली थी मंजूरी? जानें आज की तारीख का इतिहास
साल के आखिरी माह इन मेटियोर शॉवर से जगमग होगा आसमान, जानें कब और कहां दिखेगी उल्का बरसात
आजाद भारत का पहला डाक टिकट कब हुआ था जारी? कितनी थी उसकी कीमत, जानें
दिल्ली सहित उत्तर भारत में 'दमघोंटू' हवा, पर दक्षिण भारत में क्यों साफ रहती है हवा; जानें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited