नासा के चंद्रमा 'यूरोपा' में जीवन की तलाश में निकला अंतरिक्ष यान; जानें मिशन की बड़ी बातें

Europa Clipper Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सोमवार को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से 'यूरोपा क्लिपर मिशन' को लॉन्च किया। दरअसल, यूरोपा क्लिपर मिशन 10 अक्टूबर को लॉन्च होने वाला था, लेकिन अमेरिका में आए 'मिल्टन' तूफान की वजह से यह मिशन लॉन्च नहीं हो सका था।

यूरोपा क्लिपर मिशन (फोटो साभार: NASA)

मुख्य बातें
  • कैनेडी स्पेस सेंटर से यूरोपा क्लिपर मिशन लॉन्च।
  • बृहस्पति तक पहुंचने में लगेंगे साढ़े पांच साल।
  • 10 अक्टूबर को होने वाली थी लॉन्चिंग।

Europa Clipper Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा 'यूरोपा' (Europa Moon) पर छिपे विशाल महासागर में जीवन के लिए उपयुक्त हालात को तलाशने वाला मिशन सोमवार को लॉन्च किया। पिछले दिनों अमेरिका में आए 'मिल्टन' तूफान की वजह से नासा का मिशन कुछ वक्त के लिए टल गया था। हालांकि, फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से 'यूरोपा क्लिपर मिशन' सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है।

बृहस्पति तक पहुंचने में लगेगा कितना समय?

'यूरोपा क्लिपर' को बृहस्पति ग्रह तक पहुंचने में लगभग साढ़े पांच साल का समय लगेगा। संभावित तारीख की अगर बात की जाए तो यूरोपा क्लिपर 11 अप्रैल, 2030 तक बृहस्पति ग्रह तक पहुंच सकता है। यह अंतरिक्ष यान 'गैस के दानव' के आर्बिट में दाखिल होगा और दर्जनों विकिरण युक्त किरणों से गुजरता हुआ यूरोपा के करीब पहुंचेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा की बर्फीली परत के नीचे एक गहरा वैश्विक महासागर मौजूद है, जहां पानी और जीवन हो सकता है। यूरोपा की ओर जा रहे अंतरिक्ष यान को बनाने में लगभग 5 बिलियन डॉलर की लागत आई है।

सबसे बड़ा अंतरिक्ष यान

दूसरे ग्रहों की परिस्थितियों को भांपने वाला यह अबतक का सबसे बड़ा अंतरिक्ष यान है, जो यूरोपा की सतह के 25,000 किमी के दायरे पर रहकर छानबीन करेगा। इसमें रडार, कैमरे सहित नौ वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए हैं जिसको मिलाकर अंतरिक्ष यान का वजह लगभग 6000 किलो है।
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