क्या ब्रह्मांड में होगी तीरंदाजी और घुड़सवारी? जटिल संरचनाओं वाला नजारा देख हो जाएंगे हैरान
Olympics in Universe: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने हबल स्पेस टेलीस्कोप और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से कैप्चर की गई दो अलग-अलग तस्वीरों को जारी किया है। इन दोनों तस्वीरों में ब्रह्मांड का दुर्लभ नजारा दिखाई दे रहा है, जो ओलंपिक के खेलों की याद दिलाता है।
वुल्फ-रेएट 140 और हॉर्सहेड नेबुला (फोटो साभार: NASA)
- गैस और धूल की जटिल संरचना है हॉर्सहेड नेबुला।
- हॉर्सहेड नेबुला लगभग 1,600 प्रकाश वर्ष दूर है।
- घुमावदार छल्लों से बना वुल्फ-रेएट 140।
Olympics in Universe: इस बार ओलंपिक की मेजबानी फ्रांस कर रहा है। पेरिस में घुड़सवारी से लेकर तीरंदाजी तक तमाम खेलों का आयोजन हो रहा है, लेकिन ओलंपिक की झलकियां ब्रह्मांड में भी दिखाई दे रही हैं। जी, हां। अनंत ब्रह्मांड में मौजूद नेबुला अपनी खास संरचनाओं के लिए जाने जाते हैं।
आप लोगों ने कभी ब्रह्मांड में ईश्वर का उठता हुआ हाथ देखा होगा तो कभी अन्य डरावना नजारा, लेकिन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने दो अलग-अलग स्पेस टेलीस्कोप की मदद से कैप्चर की गई अद्भुत तस्वीर जारी की है।
यह भी पढ़ें: सुदूर अंतरिक्ष में जीत का जश्न मना रहा 'मिस्टिक माउंटेन' और NASA कर रहा ओलंपिक की बात; भई माजरा क्या है?
हॉर्सहेड नेबुला (Horsehead Nebula)
बकौल नासा, गैस और धूल के विशाल बादलों की संरचना को हबल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से कैप्चर किया गया है। यह नजारा पृथ्वी से लगभग 1,600 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। हबल ने इस तस्वीर को कैप्चर करने के लिए इन्फ्रारेड लाइट का इस्तेमाल किया गया था। नासा के मुताबिक, पॉमेल हॉर्स और घुड़सवारी ने हमें हॉर्सहेड नेबुला के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया है। हबल ने गैस और धूल की अद्भुत संरचना को कैप्चर कर मेडल योग्य काम किया है।
वुल्फ-रेएट 140 (Wolf-Rayet 140)
नासा ने वुल्फ-रेएट 140 की दुर्लभ तस्वीर जारी करते हुए कहा कि इस सप्ताह ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले तीरंदाजों को वुल्फ-रेएट 140 का नजारा जाना-पहचाना लग सकता है। घुमवदार वुल्फ-रेएट 140 में कम से कम 17 धूल के छल्लों से बना है। यह खास नजारा पृथ्वी से लगभग 5,000 प्रकाश वर्ष दूर का है। दरअसल, यह दुर्लभ नजारा तारों के मिलन से बनता है। इस नजारे को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने कैप्चर किया है।
कैसे बने घुमावदार छल्ले?
वुल्फ-रेएट 140 के धूल के छल्ले बनने की प्रक्रिया भी बेहद रोचक है। बकौल नासा, वुल्फ-रेएट 140 का हर एक छल्ला तब बना जब दो तारे एक-दूसरे के करीब आए। तारों की कक्षाएं एक-दूसरे को लगभग आठ साल में एक बार पास लाती है। हालांकि, ब्रह्मांड में कोई तीरंदाजी और घुड़सवारी नहीं हो रही है। हां, यह जरूर है कि कुछ जटिल संरचनाओं को कल्पनाओं के आधार पर एक-दूसरे से जोड़ा जाता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | नॉलेज (knowledge News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों ...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited