क्या है डार्क वेब? जिसके बारे में सुनते ही खड़े हो जाते हैं सभी के कान, जहां से लीक हुआ NEET का पेपर
Dark Web: नीट पेपर लीक परीक्षा मुद्दे पर सड़क से लेकर संसद तक घमासान मचा हुआ है। टेलीग्राम और डार्क वेब पर नीट और नेट परीक्षा का पेपर लीक हुआ है। इससे जुड़े पहलुओं की जांच की जा रही है। ऐसे में समझते हैं कि डार्क वेब आखिर क्या होता है। क्या इसका इस्तेमाल करने वालों की लोकेशन ट्रैक की जा सकती है?
डार्क वेब क्या है
- डार्क वेब में लीक हुआ था नीट-यूजी का पेपर।
- गैरकानूनी गतिविधियों के लिए होता है इस्तेमाल।
- सड़क से लेकर संसद तक पेपर लीक को लेकर मचा घमासान।
Dark Web: नीट पेपर लीक (NEET Paper Leak) से जुड़े मुद्दों को लेकर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानी की संसद में विपक्ष ने हो हल्ला मचाया रखा है। वहीं, सीबीआई ने इस मामले में पहली गिरफ्तारियां कर ली हैं। सीबीआई ने पटना से दो लोगों को हिरासत में लिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेट और नीट परीक्षा के पेपर डार्क वेब पर लीक हुए हैं और गृह मंत्रालय की निगरानी में इसकी जांच चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि डार्क वेब आखिर क्या है?
क्या है डार्क वेब?
डार्क वेब अपने नाम की तरह बहुत ज्यादा डार्क है। यह इंटरनेट का वो हिस्सा है जिसे गूगल क्रोम (Google Chrome) या फायरफॉक्स (Firefox) जैसे सामान्य ब्राउजरों से एक्सेस नहीं किया जा सकता है। यहां पर वैध और अवैध तमाम तरीके की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। यह इंटरनेट पर मौजूदा एक काला बाजार है।
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आपको बता दें कि हम लोग इंटरनेट कंटेंट का महज चार फीसदी हिस्सा ही इस्तेमाल करते हैं, जबकि बाकी का 96 फीसद हिस्सा डार्क वेब और डीप वेब के भीतर आता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर गैरकानूनी गतिविधियों के लिए किया जाता है। साथ ही इन गतिविधियों को ट्रैक करना बेहद मुश्किल है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि रेगिस्तान में कोई सुई ढूढ़ रहा है।
यूजर को ट्रैक करना बेहद मुश्किल
डार्क वेब का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को ट्रैक करना बेहद मुश्किल है। यह यूजर की गोपनीयता को बनाए रखने में मदद करता है और आईपी ट्रैक करने वाले को अलग-अलग स्थानों पर लोकेशन दर्शाता है। अगर डार्क वेब पर किसी चीज की डील करनी है तो यहां पर वर्चुअल करेंसी की जरूरत होती है, जैसे- बिटकॉइन इत्यादि।
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डार्क वेब का खतरा
डार्क वेब पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा सुरक्षा मानकों की कमी होने की वजह से मालवेयर का अंदेशा बना रहता है कि कहीं कोई मालवेयर आपके सिस्टम को न नुकसान पहुंचा दें या आपका डेटा चुरा लें। आपको भले ही लगता हो कि डार्क वेब पर आपकी गोपनियता कायम रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं है कि आप पूरी तरह से यहां पर सुरक्षित हैं।
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