New Criminal Laws: मर्डर केस में नहीं लगेगी धारा 302, फिर किस नियम के तहत सजा सुनाएंगे माय लॉर्ड

New Criminal Laws: देशभर में एक जुलाई को तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए। इन कानूनों ने ब्रिटिश कालीन कानूनों की जगह ली। इसी के साथ ही एक जुलाई से देशभर में नई प्राथमिकियां भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के तहत दर्ज की गईं। हालांकि, जो मामले यह कानून लागू होने से पहले दर्ज किए गए हैं उनके अंतिम निपटारे तक उन मामलों में पुराने कानूनों के तहत मुकदमा चलता रहेगा।

New Criminal Laws

नए आपराधिक कानून

मुख्य बातें
  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023
  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023

New Criminal Laws in India: देश के इतिहास में एक जुलाई की तारीख सुनहरे अक्षरों से अंकित हो गई, क्योंकि अंग्रेजों के जमाने के कानूनों की जगह अब तीन नए आपराधिक कानूनों ने ली।

बता दें कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 एक जुलाई से पूरे देश में प्रभावी हो गए हैं। इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है।

बदली हत्या की धारा?

आप लोगों ने टेलीविजन या फिर अखबारों में हत्या की धारा 302 के बारे में जरूर पढ़ा या देखा होगा। धारा 302 के तहत ही हत्या के दोषी को फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जाती थी, लेकिन अब नए कानून के तहत इसकी प्रासंगिकता समाप्त हो गई है। इस धारा के तहत अब केस दर्ज नहीं होगा। एक जुलाई से देशभर में नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी होने के साथ ही धारा 302 के बदलकर 103 हो गई है। अब दफा 103 के तहत ही माय लॉड सजा सुनाएंगे।

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पुराने मामलों का क्या होगा?

बहुत सारे लोगों के ज़हन में एक सवाल बार-बार आ रहा है कि आखिर पुराने मामलों का क्या होगा? इसका जवाब बेहद आसान है। नए आपराधिक कानून एक जुलाई से प्रभावी हुए हैं। ऐसे में नए कानून के तहत दर्ज मामलों में नए कानून के तहत ही ट्रायल होगा, लेकिन 30 जून तक दर्ज मामलों का ट्रायल आईपीसी और सीआरपीसी के तहत ही होगा। मतलब साफ है एक जुलाई के पहले दर्ज हुए मामलों में पहले की व्यवस्था के हिसाब से ही सुनवाई होगी और उसमें किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं हुआ है।

नए आपराधिक कानूनों में क्या कुछ बदला?

अपराधIPC (पहले)BNS (अब)
हत्या 302103
आपराधिक षड्यंत्र120(बी)61
हत्या का प्रयास 307 109
लापरवाही से मौत 304(ए)106
दहेज हत्या 304 (बी) 80
सरकारी कामकाज में बाधा 353 132
छेड़खानी 354 74
अपहरण 363 137
फिरौती अपहरण 364(ए) 140
रेप37564
गैंगरेप 376 70
चोरी 379 303
लूट 392 309
डकैती 395 310
धोखाधड़ी 420 318
दहेज प्रताड़ना 498 (ए) 85
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नए कानून की मुख्य बातें?

भारतीय दंड संहिता में कुल 511 धाराएं थीं, लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता में यह धाराएं कम होकर महज 358 ही बची हैं। नए आपराधिक कानूनों में काफी कुछ बदल गया है। इसमें 20 नए अपराधों को शामिल किया गया है और 33 अपराधों में सजा की समयसीमा बढ़ा दी गई है।

पहले सीआरपीसी में कुल 482 धाराएं थीं, लेकिन अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के प्रभावी होने के बाद बीएनएसएस में कुछ 531 धाराएं हैं। इस कानून में कई धाराओं और उपधाराओं को शामिल किया गया है, जबकि कुछ धाराओं को निरस्त कर दिया गया। वहीं, भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं।

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अनुराग गुप्ता author

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