क्यों तेजी से गर्म हो रही पृथ्वी? वैज्ञानिक हैरान! आप भी जान लीजिए वजह
Earth Warming: पृथ्वी के गर्म होने की दर 2023 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गयी, जिसमें आश्चर्यजनक रिकॉर्ड-तोड़ने वाली गर्मी का 92 प्रतिशत हिस्सा मनुष्यों के कारण था। टेक्सास टेक विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक और नेचर कंजर्वेंसी के मुख्य वैज्ञानिक कैथरीन हेहो ने कहा कि भविष्य हमारे हाथों में है। भौतिकी नहीं, बल्कि मनुष्य यह निर्धारित करेगा कि दुनिया कितनी तेजी से और कितनी गर्म होगी।
पृथ्वी क्यों हो रही गर्म?
Earth Warming: पृथ्वी के गर्म होने की दर 2023 में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गयी, जिसमें आश्चर्यजनक रिकॉर्ड-तोड़ने वाली गर्मी का 92 प्रतिशत हिस्सा मनुष्यों के कारण था। यह गणना शीर्ष वैज्ञानिकों ने की है। दुनिया भर के 57 वैज्ञानिकों के समूह ने पिछले साल की बहुत अधिक गर्मी के पीछे के कारण जानने और इसकी जांच करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित विधियों का उपयोग किया।
क्या जलवायु परिवर्तन में आ रही तेजी?
उन्होंने कहा कि तापमान तेजी से बढ़ने के बावजूद उन्हें जीवाश्म ईंधन के जलने की तुलना में मनुष्यों के कारण जलवायु परिवर्तन (Climate Change) में अधिक तेजी के सबूत नहीं दिखते। पिछले साल के रिकॉर्ड तापमान इतने असामान्य थे कि वैज्ञानिक इस बात पर बहस कर रहे हैं कि इसके इतना अधिक बढ़ने के पीछे क्या कारण था और क्या जलवायु परिवर्तन में तेजी आ रही है या अन्य कारक इसमें भूमिका निभा रहे हैं।
लीड्स यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक और अध्ययन के मुख्य लेखक पियर्स फोर्स्टर ने कहा, 'तापमान में वृद्धि हो रही है और चीजें ठीक उसी तरह से बदतर होती जा रही हैं जैसा हमने अनुमान लगाया था।' उन्होंने और उनके एक सह-लेखक ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के बढ़ते उपयोग से कार्बन डाइऑक्साइड बनने से इसकी काफी हद तक पुष्टि की जा सकती है।
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तापमान वृद्धि दर सबसे अधिक
फोर्स्टर ने कहा कि पिछले साल तापमान में वृद्धि की दर प्रति दशक 0.26 डिग्री सेल्सियस रही, जो इसके पहले के साल में 0.25 डिग्री सेल्सियस थी। यह कोई बड़ा अंतर नहीं है। हालांकि, इससे साल की तापमान वृद्धि दर अब तक की सबसे अधिक हो गई है। बावजूद इसके इस समूह के अलावा अन्य वैज्ञानिकों ने कहा कि यह रिपोर्ट एक और भी अधिक भयावह स्थिति को उजागर करती है।
विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय की जलवायु वैज्ञानिक एंड्रिया डटन (जो इस अंतरराष्ट्रीय अध्ययन दल का हिस्सा नहीं थीं) ने कहा, 'जलवायु को लेकर कदम उठाने का विकल्प चुनना एक राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है, लेकिन यह रिपोर्ट लोगों को याद दिलाती है कि वास्तव में यह मूल रूप से मानव जीवन को बचाने का विकल्प है।' उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह ऐसी चीज है जिसके लिए लड़ना चाहिए।
लेखकों की टीम को हर सात से आठ साल के प्रमुख संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक आकलन के बीच वार्षिक वैज्ञानिक अपडेट प्रदान करने के लिए बनाया गया था। इस टीम ने पाया कि पिछला साल 1850 से 1900 के औसत से 1.43 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था। इसमें से 1.31 डिग्री सेल्सियस वृद्धि मानवीय गतिविधियों के कारण और बाकी 8 प्रतिशत तापमान वृद्धि मुख्य रूप से अल नीनो प्रभाव के कारण थी।
पत्रिका 'अर्थ सिस्टम साइंस डेटा' में प्रकाशित रिपोर्ट में पाया गया कि 10 वर्ष की समयावधि में (जिसे वैज्ञानिक एकल वर्ष के रूप में गिनते हैं) विश्व पूर्व-औद्योगिक काल से लगभग 1.19 डिग्री सेल्सियस गर्म हो चुका है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जब तक दुनिया में कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस का उपयोग होता रहेगा पृथ्वी 4.5 वर्षों में उस बिंदु पर पहुंच जाएगी जहां यह तापमान वृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सीमा (1.5 डिग्री सेल्सियस) को पार करने से बच नहीं सकती।
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तापमान वृद्धि चिंता का विषय
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गई तो इससे दुनिया या मानवता का अंत नहीं होगा, लेकिन यह काफी चिंताजनक होगा। संयुक्त राष्ट्र के पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र में बड़े पैमाने पर परिवर्तन (1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि) हो सकता है।
स्विस यूनिवर्सिटी ईटीएच ज्यूरिख में भूमि-जलवायु गतिशीलता की प्रमुख और अध्ययन की सह-लेखिका सोनिया सेनेविरत्ने ने कहा कि पिछले साल तापमान में वृद्धि सिर्फ एक छोटी सी बढ़ोतरी से कहीं ज़्यादा थी। सितंबर में यह विशेष रूप से असामान्य था। सेनेविरत्ने ने कहा कि अगर यह तेजी से बढ़ता है तो यह और भी बुरा होगा, जैसे वैश्विक अंतिम बिंदु पर पहुंचना, यह शायद सबसे खराब परिदृश्य होगा, लेकिन जो हो रहा है वह पहले से ही बहुत बुरा है और इसका पहले से ही बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। हम संकट के बीच में हैं।
टेक्सास टेक विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक और नेचर कंजर्वेंसी के मुख्य वैज्ञानिक कैथरीन हेहो ने कहा कि भविष्य हमारे हाथों में है। भौतिकी नहीं, बल्कि मनुष्य यह निर्धारित करेगा कि दुनिया कितनी तेजी से और कितनी गर्म होगी।
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