विमान हादसे से बचाव के लिए होता है एडवांस सिस्टम, पर कैसे हुआ हादसा? समझिए TCAS का पूरा गणित

US Plane Crash: अमेरिका में रोनाल्ड रीगन वाशिंगटन एयरपोर्ट पर बुधवार रात कम ऊंचाई पर उड़ते समय एक यात्री विमान और एक सैन्य हेलीकॉप्टर टकराकर पोटोमैक नदी में गिर गए। अधिकारियों ने कहा कि विमान और हेलीकॉप्टर में सवार कोई भी व्यक्ति जिंदा नहीं बचा। हालांकि, ऐसी तकनीक मौजूद है, जो उड़ान के समय दूसरे विमानों से बचने में मदद करने के लिए डिजाइन की गई है तो चलिए उसके बारे में जानते हैं।

US Aircraft Down

अमेरिका में कैसे हुआ हादसा?

US Plane Crash: अमेरिका में रोनाल्ड रीगन वाशिंगटन एयरपोर्ट पर बुधवार रात कम ऊंचाई पर उड़ते समय एक यात्री विमान और एक सैन्य हेलीकॉप्टर टकराकर पोटोमैक नदी में गिर गए। 'अमेरिकन एयरलाइंस' की उड़ान संख्या एए5342 के साथ हुए इस हादसे में विमान में सवार 60 यात्रियों और चालक दल के चार सदस्यों की मौत हो गई, जबकि हेलीकॉप्टर में सवार तीन सैन्य कर्मियों की भी जान चली गई। हेलीकॉप्टर नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था। अधिकारियों ने कहा कि विमान और हेलीकॉप्टर में सवार कोई भी व्यक्ति जिंदा नहीं बचा।

इससे एक महीना पहले दक्षिण कोरिया में संभवत: किसी पक्षी के टकराने के कारण एक यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सवार 181 यात्रियों में से दो को छोड़कर सभी की मौत हो गई थी। इन दोनों घटनाओं ने दुनिया भर का ध्यान विमानन सुरक्षा की ओर आकर्षित किया है।

अमेरिका में हाल में हुई दुर्घटना के बारे में बात की जाए तो ऐसी तकनीक मौजूद है, जो उड़ान के समय दूसरे विमानों से बचने में मदद करने के लिए डिजाइन की गई है। इसे 'ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम' (TCAS) के नाम से जाना जाता है तो आइए जानते हैं कि यह प्रणाली कैसे काम करती है और इस मामले में यह दुर्घटना को रोकने में क्यों विफल रही?

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क्या है टीसीएएस?

टीसीएएस एक विमान सुरक्षा प्रणाली है, जो 'ट्रांसपॉडर' से लैस विमानों के लिए आस-पास के हवाईक्षेत्र की निगरानी करती है। ये ऐसे उपकरण हैं, जो आने वाले इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को सुनते हैं और प्रतिक्रिया देते हैं। इस प्रणाली को कभी-कभी एसीएएस (एयरबोर्न कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम) भी कहा जाता है। यह बाहरी हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली से स्वतंत्र रूप से संचालित होती है। इसका उद्देश्य पायलटों को आस-पास के विमानों और उड़ान के समय संभावित दुर्घटना के बारे में तुरंत सचेत करना है। वर्ष 1974 में इस तकनीक के विकास के बाद से इसमें काफी प्रगति हुई है।

टकराव के जोखिम पर आता है अलर्ट

टीसीएएस-1 के नाम से जानी जाने वाली पहली पीढ़ी की तकनीक से विमान के आस-पास की चीजों पर नजर रखी जाती है। यह किसी भी नजदीकी विमान की दिशा और ऊंचाई के बारे में जानकारी प्रदान करती है। अगर टक्कर का जोखिम है तो यह "ट्रैफिक एडवाइजरी" या टीए के नाम से जानी जाने वाली सूचना उत्पन्न करती है। जब टीए जारी की जाती है तो पायलट को खतरे के बारे में सूचित किया जाता है, लेकिन पायलट को खुद ही सबसे बेहतर बचाव कार्रवाई तय करनी होती है।

टीसीएएस-2 के नाम से जानी जाने वाली दूसरी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी एक कदम आगे होती है। यह पायलट को उतरते समय, ऊपर जाते समय, मुड़ते समय या गति को समायोजित करते समय विशिष्ट निर्देश प्रदान करती है कि कैसे निकटवर्ती विमान से टक्कर से बचा जाए। ये नयी प्रणालियां एक दूसरे से संवाद करने में भी सक्षम हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक विमान को दी जाने वाली सलाह समन्वित हो।

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टीसीएएस से लैस होना चाहिए विमान

वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाना वाला कोई भी विमान शिकागो कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार, टीसीएएस से लैस होना चाहिए। गैर-वाणिज्यिक विमानों के लिए कन्वेंशन के तहत विशिष्ट प्रावधान हैं। सैन्य हेलीकॉप्टर शिकागो कन्वेंशन के प्रावधानों के अधीन नहीं आते (हालांकि उन्हें घरेलू कानूनों और विनियमों का पालन करना होता है)। कई बार ऐसी जानकारियां मिली हैं कि सैन्य हेलीकॉप्टर में टीसीएएस नहीं था।

कम ऊंचाई पर उड़ान के समय टीसीएएस की सीमाएं होती हैं। भले ही दुर्घटना में शामिल सैन्य हेलीकॉप्टर में टीसीएएस लगा हो या नहीं, फिर भी तकनीक की सीमाएं तो होती ही हैं। 300 मीटर से कम ऊंचाई पर उड़ान भरते समय इस प्रणाली में परेशानी होती है।

क्या कम ऊंचाई पर कारगर नहीं है TCAS?

अमेरिकन एयरलाइंस की उड़ान एए5342 की अंतिम दर्ज की गई ऊंचाई लगभग 90 मीटर थी। विमान से टकराने वाले अमेरिकी सैन्य हेलीकॉप्टर की अंतिम दर्ज की गई ऊंचाई लगभग 60 मीटर थी। यह कोई संयोग नहीं है कि टीसीएएस कम ऊंचाई पर बहुत कारगर नहीं है। वास्तव में, इस प्रणाली को ऐसे ही तैयार किया गया है। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि यह प्रणाली 'रेडियो अल्टीमीटर डेटा' पर निर्भर करती है, जो ऊंचाई को मापता है और कम उंचाई पर कम कारगर हो जाता है। एक और समस्या यह है कि इतनी कम ऊंचाई पर मौजूद विमान टक्कर से बचने के लिए और नीचे नहीं उतर सकता।

(क्रिस्टल झांग, आरएमआईटी विश्वविद्यालय)

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अनुराग गुप्ता author

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