पृथ्वी का कैसे मापते हैं तापमान? जल रहा लॉस एंजिलिस; सबसे गर्म साल रहा 2024
Earth Temperature: वर्ष 2024 को धरती का अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया। यह पहला कैलेंडर वर्ष था जिसमें वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया। अमेरिका के लॉस एंजिलिस शहर और उसके आसपास जंगलों में लगी भीषण आग अभी थमने का नाम नहीं ले रही है और दस जनवरी तक हजारों मकान, इमारतें और अन्य संरचनाएं जलकर राख हो चुकी हैं।
कैलिफोर्निया आग
Earth Temperature: वर्ष 2024 को धरती का अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया। यह पहला कैलेंडर वर्ष था जिसमें वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया। यूरोपीय संघ के पृथ्वी निगरानी कार्यक्रम ‘कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा’ द्वारा शुक्रवार को आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा की गई। ऐसा तब हुआ है जब कैलिफोर्निया के लॉस एंजिलिस के जंगलों में लगी आग लगातार फैल रही है - वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण यह आपदा और भी बदतर हो गई है।
यह रिकॉर्डतोड़ वैश्विक ताप मुख्य रूप से मनुष्य द्वारा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से प्रेरित है, जो जीवाश्म ईंधन को जलाने से उत्पन्न होती है। जब तक हम निवल-शून्य उत्सर्जन तक नहीं पहुंच जाते, वैश्विक ताप में बढ़ोती नहीं रुकेगी। स्पष्ट रूप से मनुष्यों के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से कमी करने की आवश्यकता कभी भी इतनी जरूरी नहीं रही।
एक असाधारण वर्ष
कोपरनिकस के निष्कर्ष अन्य प्रमुख वैश्विक तापमान डेटासेट के अनुरूप हैं, जो दर्शाता है कि 1850 में तापमान दर्ज करने की शुरुआत के बाद से 2024 सबसे गर्म वर्ष रहा। वर्ष 2024 में वैश्विक औसत तापमान 19वीं सदी के उत्तरार्ध के औसत तापमान (जिसका उपयोग पूर्व-औद्योगिक स्तरों को दर्शाने के लिए किया जाता है) से लगभग 1.6 डिग्री सेल्सियस ऊपर दर्ज किया गया।
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पिछले साल 22 जुलाई को दैनिक वैश्विक औसत तापमान 17.16 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया जो अपने आप में एक नया रिकॉर्ड था। अब हम पेरिस समझौते में परिभाषित 1.5 डिग्री सेल्सियस स्तर को पार करने के कगार पर हैं और पिछले दो वर्षों का औसत पहले से ही इस स्तर से ऊपर रहा है।
इन उच्च वैश्विक तापमानों के साथ-साथ 2024 के रिकॉर्ड वैश्विक वायुमंडलीय जल वाष्प स्तर का अभिप्राय अभूतपूर्व गर्म हवाओं के चलने और भारी वर्षा की घटनाओं से है जिससे लाखों लोगों को परेशानी हुई।
वैज्ञानिक पृथ्वी का तापमान कैसे मापते हैं?
धारती के वैश्विक औसत तापमान का अनुमान लगाना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। संगठनों के बीच तरीके अलग-अलग होते हैं, लेकिन समग्र तस्वीर एक ही है: वर्ष 2024 रिकॉर्ड में दुनिया का सबसे गर्म वर्ष रहा।
वर्ष 2024 का उच्च वैश्विक औसत तापमान मनुष्यों की ओर से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन के बिना संभव नहीं था। वर्ष के पहले भाग में जलवायु को प्रभावित करने वाले अल नीनो ने भी भूमिका निभाई। इसने पृथ्वी की सतह को गर्म कर दिया (विशेष रूप से मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र के एक बड़े हिस्से को) और धरती के सतह के वैश्विक औसत तापमान में 0.2 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हुई।
ऑस्ट्रेलिया के बारे में क्या रहा?
कोपरनिकस ने पाया कि 2024 अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर सभी महाद्वीपीय क्षेत्रों के लिए सबसे गर्म वर्ष था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया भी अपेक्षाकृत अधिक गर्मी महसूस की जा रही है और जलवायु भी कम सुहानी हुई है। मौसम विज्ञान ब्यूरो द्वारा पिछले सप्ताह की गई एक घोषणा के अनुसार, पिछला वर्ष को ऑस्ट्रेलिया के दूसरे सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया था।
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सबसे गर्म वर्ष 2019 था, जब अत्यधिक गर्म और शुष्क मौसम के कारण व्यापक रूप से झाड़ियों में आग लग गई। वर्ष 2019 के विपरीत, ऑस्ट्रेलिया में 2024 सामान्य से अधिक बारिश वाला वर्ष था।
क्या इसका मतलब यह है कि पेरिस समझौता विफल हो गया है?
वैश्विक पेरिस समझौते का लक्ष्य वैश्विक तापन को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है। इसलिए, यदि 2024 पूर्व-औद्योगिक स्तरों से लगभग 1.6 डिग्री सेल्सियस ऊपर था, तो आप सोच सकते हैं कि दुनिया इस लक्ष्य को पूरा करने में विफल रही है। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
पेरिस समझौते की सफलता को एक वर्ष से अधिक लंबी अवधि के तापमान के आधार पर मापा जाएगा। यह दृष्टिकोण जलवायु परिवर्तन की स्पष्ट तस्वीर बनाने के लिए प्राकृतिक जलवायु परिवर्तनशीलता और अल नीनो और ला नीना जैसे कारकों की जरूरत को समाप्त करता है।
हालांकि, 2024 के आंकड़े निश्चित रूप से एक बुरा संकेत हैं। यह दर्शाता है कि मानवता ने ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए काम किया है, 1.5 डिग्री सेल्सियस की तो बात ही छोड़ दें।
अधिक तापमान का होना तय
जलवायु परिवर्तन के बारे में समझने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि समय के साथ मनुष्य द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा लगभग उसी अवधि में वैश्विक तापमान में वृद्धि के समानुपाती होती है।
इस निकट-रेखीय संबंध का अर्थ है कि मानव गतिविधि से होने वाला प्रत्येक टन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लगभग समान मात्रा में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ का कारण बनता है। इसलिए जितनी तेजी से हम वैश्विक अर्थव्यवस्था को कार्बन से मुक्त करेंगे, उतनी ही जल्दी हम ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को रोककर इससे होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
(एंड्रयू किंग और डेविड करोली, मेलबर्न विश्वविद्यालय)
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