झूम के बरस रहे बदरा, पर बारिश कैसे होती हैं? किन संकेतों से लगाया जाता है अनुमान
Heavy Rainfall: बारिश, यह शब्द सुनने में ही काफी सुहावना लगता है, क्योंकि बीते कुछ समय से आसमान से बरस रही आग ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि बारिश होती कैसे है? या बादल कैसे बनते हैं? समय-समय मौसम विज्ञान विभाग हीटवेव, बारिश इत्यादि से जुड़ी हुई भविष्यवाणियां करता रहता है।
कैसे होती है बारिश?
- बारिश के सुहावना हुआ मौसम।
- वाष्पीकरण से बनते हैं बादल।
- बादल में ठंडी हवा टकराने से बनती हैं बूंदें।
Heavy Rainfall: दिल्ली एनसीआर में झमाझम बारिश से मौसम सुहावना हो गया है। पिछले काफी दिनों से चिलचिलाती धूप और उमस से लोग परेशान थे, लेकिन गुरुवार सुबह हुई बारिश के चलते तापमान पहले से बेहतर हो गया, लेकिन क्या आप लोगों ने कभी सोचा है कि यह बारिश होती कैसे है? हालांकि, आप लोगों को आमतौर पर इसके बारे में पता होगा, लेकिन अगर कोई आपसे पूरी प्रक्रिया के बारे में पूछ लें तो कम लोग ही इसे सही से समझा पाएंगे तो चलिए इसके बारे में पहले जान लेते हैं।
कैसे बनते हैं बादल?
पृथ्वी पर पानी भाप, तरल और ठोप रूप में मौजूद है। जब पानी सूर्य की वजह से गर्म होता है तो वह भाप बनकर वायुमंडल में चला जाता है। वायुमंडल में जब ऐसी भाप बहुत ज्यादा मात्रा में जमा हो जाती है तो वह बादल बनाती है। इसे वाष्पीकरण कहा जाता है। बता दें कि नदी, झील, समुद्र यहां तक कि पौधों औऱ मिट्टी से भी पानी भाप बनकर ऊपर उठता है या कहें वाष्पित होता है।
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कैसे होती है बारिश?
बादलों की हवा जैसे-जैसे ठंडी होती है तो वह पानी में बदलने लगती है और छोटी-छोटी पानी की बूंदों का निर्माण होने लगता है। इस प्रकिया को संघनन कहते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे यह छोटी-छोटी बूंदें आपस में मिलकर बड़ी बूंदें बनाती हैं। जिसकी वजह से उनका वजन बढ़ जाता है और वह बादलों में नहीं रह पाती हैं तब जाकर बारिश होती है। आसमान से धरती पर गिरने वाले पानी की इस प्रक्रिया को ही वर्षण करते हैं।
बारिश से लेकर वाष्पीकरण तक यह चक्र चलता ही रहता है, लेकिन वर्षण सिर्फ बारिश के रूप में हो यह जरूरी नहीं। पहाड़ी क्षेत्रों में हिमपात के रूप में यह प्रक्रिया होती है। वैसे इसके कई रूप हैं जैसे- हिमपात, ओलावृष्टि, ओस इत्यादि। इन बातों से आपको यह तो समझ में आ ही गया होगा कि सिर्फ बारिश के मौसम में ही बदरा नहीं बरसते हैं, बल्कि ठंड के मौसम में भी छोटी-छोटी बूंदें गिरती हैं जिन्हें हम ओस के रूप में देखते हैं।
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बारिश की प्रक्रिया?
- वाष्पीकरण
- संघनन
- संचयन
- वर्षण
कैसे लगाया जाता है बारिश का अनुमान?
बारिश का अनुमान लगाने के लिए मौसम विभाग के पास कई तकनीक मौजूद हैं। इसके जरिए वातावरण और जमीन की सतह का तापमान, ह्यूमिडिटी, हवा की गति और वायुमंडलीय दबाव इत्यादि को देखा जाता है। इसके लिए मौसम विभाग तमाम तरह के उपकरणों का इस्तेमाल करता है और मौसम की भविष्यवाणी करता है। इसके अलावा मौसम संबंधी सैटेलाइट की भी मदद ली जाती है। हालांकि, इनके माध्यम से महज अनुमान ही जताया जा सकता है कि कब और कितनी बारिश हो सकती है।
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