ग्रह या फिर स्पेस में तैर रही कॉटन कैंडी? जेम्स वेब ने केप्लर-51 तारा सिस्टम में खोजा एक और बाह्यग्रह
Kepler-51 Star System: सबसे उन्नत और शक्तिशाली जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने केप्लर-51 तारा सिस्टम में एक और ग्रह की खोज की है। पेन स्टेट की खगोलविद जेसिका लिब्बी-रॉबर्ट्स ने कहा कि 'सुपर पफ' ग्रह बहुत असामान्य हैं, क्योंकि उनका द्रव्यमान और घनत्व बहुत कम होता है। आसान भाषा में कहें तो केप्लर-51 तारा की परिक्रमा करने वाले सभी ग्रह कॉटन कैंडी जैसे हैं।

केप्लर-51 स्टार सिस्टम
- केप्लर-51 प्रणाली में खोजे जा चुके थे तीन ग्रह।
- कॉटन कैंडी जितने हल्के हैं यह ग्रह।
- जेम्स वेब ने अब खोज निकाला चौथा ग्रह।
Kepler-51 Star System: सबसे उन्नत और शक्तिशाली जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने केप्लर-51 तारा सिस्टम में एक और ग्रह की खोज की है। पृथ्वी से लगभग 2615 प्रकाश वर्ष दूर सिग्नस तारामंडल में केप्लर-51 तारा मौजूद है, जिसे हम केओआई-620 के नाम से भी जानते हैं।
केप्लर-51 तारा पहले से ही शनि ग्रह के आकार के तीन 'सुपर-पफ' एक्सोप्लैनट केप्लर-51बी, केप्लर-51सी और केप्लर-51डी की मेजबानी कर रहा है और अब जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने चौथा एक्सोप्लैनेट खोज निकाला है।
केप्लर के पहले ग्रह की कब हुई थी खोज?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के केप्लर स्पेस टेलीस्कोप द्वारा 2012 में पहली बार खोजे गए इन ग्रहों का कक्षीय अवधि अनुपात 1:2:3 (क्रमशः 45 दिन, 85 दिन और 130 दिन) के करीब है। इनका द्रव्यमान पृथ्वी से कई गुना अधिक है तथा इनका वायुमंडल हाइड्रोजन/हीलियम युक्त है।
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पेन स्टेट की खगोलविद जेसिका लिब्बी-रॉबर्ट्स ने कहा कि 'सुपर पफ' ग्रह बहुत असामान्य हैं, क्योंकि उनका द्रव्यमान और घनत्व बहुत कम होता है। आसान भाषा में कहें तो केप्लर-51 तारा की परिक्रमा करने वाले सभी ग्रह कॉटन कैंडी जैसे हैं। जिसका मतलब साफ है कि यह अबतक खोजे गए कुछ सबसे हल्के ग्रहों की एक पूरी प्रणाली हो सकती है।
कैसे बने ऐसे अनोखे ग्रह?
केप्लर-51 के ग्रहों के पास हाइड्रोजन और हीलियम का छोटा-सा केंद्र और विशाल वायुमंडल हो सकता है, लेकिन ये विचित्र ग्रह कैसे बने और कैसे उनके वायुमंडल को युवा तारे के तेज रेडिएशन से कोई नुकसान नहीं पहुंचा, यह एक रहस्य बना हुआ है।
लिब्बी-रॉबर्ट्स ने कहा कि हमने इन तमाम सवालों के जवाब हासिल करने के लिए इनमें से एक ग्रह का अध्ययन करने के लिए जेम्स वेब का इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब हमें तारा प्रणाली में मौजूद चौथे कम द्रव्यमान वाले ग्रह के बारे में बातचीत करनी है।
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इस विचित्र ग्रह प्रणाली के चौथे ग्रह की खोज तब हुई जब पेन स्टेट और ओसाका विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक टीम ने केप्लर-51डी की जांच शुरू की। इस बीच, शोधकर्ताओं की टीम हैरान रह गई जब केप्लर-51डी अपने मूल तारे के सामने से गुजरते हुए पारगमन करते हुए दिखाई दिया।
पारगमन खगोलविदों के लिए उपयोगी है, क्योंकि जब तारों का प्रकाश किसी ग्रह के वायुमंडल से होकर गुजरता है तो उस वायुमंडल में मौजूद विभिन्न तत्व विशिष्ट तरंगदैर्घ्य पर प्रकाश को अवशोषित करते हैं। आसान भाषा में कहें तो वह अपना फिंगरप्रिंट छोड़ते हैं।
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