क्या ग्रेट बैरियर रीफ को बचाने में मददगार साबित हो सकती है वैज्ञानिकों की नई खोज? जानें समुद्री दुनिया के रहस्य

Great Barrier Reef: इंसानों की तरह ही मूंगे भी अलग-अलग तरह से तनाव से निपटते हैं। 'द ग्रेट बैरियर रीफ' ने 2016 से लेकर अब तक पांच 'मास ब्लीचिंग' घटनाओं का सामना किया है। एक तो इस साल की शुरुआत में ही दर्ज की गई है। इन घटनाओं के बाद पृथ्वी पर ज्ञात मौसम इतिहास का सबसे गर्म साल दर्ज किया गया।

ग्रेट बैरियर रीफ

मुख्य बातें
  • इंसानों की तरह ही तनाव से निपटते हैं मूंगे।
  • मूंगे की भी होती हैं अलग-अलग क्षमताएं।
  • वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा समुद्र का तापमान।

Great Barrier Reef: इंसानों की तरह ही मूंगे (Corals) भी अलग-अलग तरह से तनाव से निपटते हैं। यहां तक कि एक ही प्रजाति के मूंगे, जो साथ-साथ बढ़ते हैं, उनकी भी लू सहित अन्य तनावपूर्ण परिस्थितियों को झेलने की क्षमता अलग-अलग होती है। मंगलवार को प्रकाशित शोध में हमें मूंगे में अलग-अलग ताप-सहिष्णुता (Heat-Tolerant) के नये आश्चर्यजनक परिणाम मिले। वैश्विक स्तर पर समुद्र का तापमान बढ़ने के मद्देनजर यह अंतर महत्वपूर्ण है।

इस साल की शुरुआत में दुनिया की चौथी 'मास ब्लीचिंग' घटना (मूंगा विरंजन की घटना, जो मुख्यत: समुद्र के तापमान के लंबे समय तक गर्मी के सामान्य अधिकतम तापमान से ज्यादा होने के कारण घटती है) होने की घोषणा की गई। 'द ग्रेट बैरियर रीफ' ने 2016 से लेकर अब तक पांच 'मास ब्लीचिंग' घटनाओं का सामना किया है, जिनमें से आखिरी घटना बीती गर्मियों में घटी। इन घटनाओं के बाद पृथ्वी पर ज्ञात मौसम इतिहास का सबसे गर्म साल दर्ज किया गया।

शोधकर्ताओं का क्या मानना है?

दुनिया की प्रवाल भित्तियों को स्वस्थ एवं क्रियाशील बनाए रखने के लिए वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में बड़े पैमाने पर कमी लाने की जरूरत है, ताकि समुद्र के गर्म होने की दर घटाई जा सके। मानव जाति इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रही है और सकारात्मक हस्तक्षेपों के जरिये मूंगों को उनके गर्म होते वातावरण में अधिक समय तक जीवित रहने में सक्षम बनाया जा सकता है।

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