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22 करोड़ KM दूर इस अनोखे ग्रह पर कभी बहता था समंदर, वैज्ञानिकों की नई खोज ने सुलझाई गुत्थी

Red Planet: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 'मैरिनर-9' अंतरिक्ष यान से 1970 के दशक में हासिल तस्वीरों ने मंगल पर पानी से बनी सतहों की मौजूदगी का खुलासा किया था। मंगल से जुड़े रहस्य खंगालने वाले यान ग्रह के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हैं, जिसमें भूविज्ञान, मिट्टी और वायुमंडल शामिल है। वे अक्सर पानी की मौजूदगी के किसी भी निशान की तलाश में रहते हैं।

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मंगल पर कभी बहता है समंदर (फोटो साभार: Copilot AI)

Red Planet: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 'मैरिनर-9' अंतरिक्ष यान से 1970 के दशक में हासिल तस्वीरों ने मंगल पर पानी से बनी सतहों की मौजूदगी का खुलासा किया था। इसी के साथ वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय से अबूझ पहेली रही यह गुत्थी सुलझ गई थी कि लाल ग्रह पर कभी पानी मौजूद था या नहीं।

तब से इस बात के कई प्रमाण मिले हैं कि मंगल पर एक दौर में पानी की अहम भूमिका हुआ करती थी। उदाहरण के लिए मंगल ग्रह के उल्कापिंडों के अध्ययन में वहां 4.5 अरब साल पहले पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। पिछले कुछ वर्षों में लाल ग्रह पर बने 'इंपैक्ट क्रेटर' (किसी क्षुद्रग्रह या उल्कापिंड के किसी ग्रह या चंद्रमा जैसी ‍विशाल ठोस वस्तु की सतह से टकराने पर बनने वाला गड्ढा) भी वहां सतह के नीचे बर्फ की मौजूदगी के संकेत देते हैं।

लाल ग्रह पर पानी कब आया?

आज के समय में मंगल को लेकर सबसे ज्यादा कौतुहल का विषय यह है कि लाल ग्रह पर पानी कब आया, यह कितनी मात्रा में उपलब्ध था और वहां कितने समय तक रहा। वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिशों में भी जुटे हैं कि क्या लाल ग्रह पर कभी महासागर हुआ करते थे?

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