शर्मीला स्वभाव और अलग-थलग रहने की आदत! शोम्पेन जनजाति के बारे में कितना जानते हैं आप

Shompen Tribe: लोकतंत्र के महापर्व में पहली बार शोम्पेन जनजाति के लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। 73 साल के चुनावी इतिहास में यह पहली बार था जब शोम्पेन जनजाति के सात लोगों ने वोट डाला। शोम्पेन जनजाति के लोग बेहद शर्मीले होते हैं और इन्हें दूसरे लोगों से बातचीत करना पसंद नहीं होता है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, शोम्पेन जनजाति की संख्या 229 है।

Shompen people

शोम्पेन जनजाति

Shompen Tribe: लोकतंत्र के महापर्व में पहली बार शोम्पेन जनजाति के लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। 73 साल के चुनावी इतिहास में यह पहली बार था जब शोम्पेन जनजाति के सात लोगों ने वोट डाला। चुनाव आयोग ने बकायदा इनकी तस्वीर को भी 'एक्स' पर साझा की।

शोम्पेन जनजाति की रोचक बातें:

  • शोम्पेन जनजाति के सात लोगों ने पहली बार वोट डाला।
  • साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, इस जनजाति के लोगों की संख्या 229 है।
  • अपनी अनूठी भाषा के लिए यह लोग जाने जाते हैं। हालांकि, शोम्पेन भाषा को उन्हीं के लोग समझ सकते हैं।
  • शोम्पेन जनजाति के लोग शर्मीले किस्म के होते हैं और वह बाहरी लोगों से बातचीत करने से कतराते हैं।
  • शोम्पेन जनजाति के लोगों ने शोम्पेन हट नामक पोलिंग बूथ में मताधिकार का इस्तेमाल किया।
  • शोम्पेन भी मंगोलियन जाति से ताल्लुक रखते हैं।

जानें शोम्पेन जनजाति को

शोम्पेन जनजाति ग्रेट निकोबार द्वीप समूह के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय (PVTGs) में शामिल है। PVTGs जनजाति वह होती हैं, जो खुद को अलग-थलग रखती हैं और बाहरी लोगों के साथ घुलना मिलना इन्हें पसंद नहीं होता। मछली पकड़ना, शिकार करना इनका मुख्य पेशा है।

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शोम्पेन जनजाति के लोग बेहद शर्मीले होते हैं और इन्हें दूसरे लोगों से बातचीत करना पसंद नहीं होता है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, शोम्पेन जनजाति की संख्या 229 है। जनजातीय समूहों में घर के सबसे बड़े बुजुर्ग का दबदबा होता है और वही महिलाओं और बच्चों की देखरेख करते हैं।

शोम्पेन जनजाति की भाषा

शोम्पेन जनजाति अपनी अनूठी बोली के लिए भी जानी जाती है। शोम्पेन भाषा को महज जनजातीय इलाकों में रहने वाले ही समझ पाते हैं। सनद रहे कि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय को 1973 में ढेबर आयोग के द्वारा आदिम जनजातीय समूह (PTG) के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। हालांकि, 2006 में भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर PVTG कर दिया था।

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'शोम्पेन हट पोलिंग बूथ में किया था वोट'

शोम्पेन जनजाति के लोगों ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए अपने मताधिकार का पहली बार इस्तेमाल किया। शोम्पेन जनजाति के लोगों ने 'शोम्पेन हट' नामक पोलिंग बूथ में वोट डाला और फिर चुनाव आयोग के उस कटआउट में फोटो भी क्लिक कराई जिसमें लिखा था- मतदान जरूर करें।

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अनुराग गुप्ता author

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