गर्म हो रहे मौसम से पक्षी परेशान! 50 वर्षों में इन पक्षियों की चोंच हुई लंबी; सिकुड़ रहे पंख
Global Warming: ऑस्ट्रेलिया में तापमान बढ़ रहा है। पक्षियों में आकार परिवर्तन और शरीर के छोटे होने से संकेत मिलता है कि वे उच्च तापमान से निपटने के लिए खुद को कैसे ढाल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन न सिर्फ पक्षियों को प्रभावित करता है, बल्कि उनके पर्यावरण को भी प्रभावित करता है।
रेड नॉट्स
Global Warming: वन्य जीव के लिए जलवायु परिवर्तन कुछ हद तक उस 'अंतिम बॉस' जैसा है जिसका सामना नायक किसी वीडियो गेम में करता है: बड़ा, विशाल और अपरिहार्य। इस भयंकर दुश्मन ने वन्यजीवों को अपने रहने के स्थान और तरीके को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। उच्च तापमान वन्यजीवों पर इतना दबाव डालता है कि पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हें बदलने और खुद को ढालने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
पक्षियों के शरीर में हुआ परिवर्तन
हम यह बेहतर ढंग से समझना चाहते थे कि ऑस्ट्रेलियाई पक्षियों में परिवर्तन का यह स्वरूप किस प्रकार सामने आ रहा है। हमारे दो हालिया शोधों से पता चला है कि तापमान वृद्धि के कारण, समय के साथ ऑस्ट्रेलियाई पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियों के शरीर छोटे और चोंच बड़ी हो गई हैं।
जब हम आकार बदलने की बात करते हैं तो हम ‘वेयरवुल्फ’ (एक व्यक्ति जो कुछ समय के लिए भेड़िये में बदल जाता है) या ‘एंट-मैन’ की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम शरीर के आकार के छोटे होने और चोंच, पूंछ जैसे उपांगों के बड़े होने की बात कर रहे होते हैं।
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इससे जीवों को ज्यादा गर्मी को अधिक कुशलता से सहन करने में मदद मिलती है। जिस प्रकार रेडिएटर में गर्म पानी की पाइप परिधि के माध्यम से आंतरिक गर्मी को फैलाने में मदद करती है, उसी प्रकार पक्षियों की चोंच रक्त वाहिकाओं से जुड़ी होती है जो गर्मी को शरीर से चोंच तक स्थानांतरित करती है, जहां से यह पर्यावरण में घुल जाती है। इस तरह रेडिएटर और चोंच दोनों के लिए, संरचना के सतह क्षेत्र को बढ़ाने से गर्मी का लोप अधिकतम हो जाता है।
जलवायु परिवर्तन भी है एक वजह
शरीर के आकार और गर्मी के लोप के बीच संबंध के कारण यह अनुमान लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वक्त के साथ जानवरों के शरीर का आकार बदल जाएगा। डीकिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने तीन वर्ष पहले एक शोधपत्र प्रकाशित किया था, जिसमें विश्व भर में विभिन्न प्रजातियों में होने वाले ऐसे परिवर्तनों के उदाहरण पेश किए गए थे।
अब, हम ऑस्ट्रेलियाई पक्षियों पर केंद्रित हाल में प्रकाशित दो अध्ययनों के साथ इसको विस्तार दे रहे हैं। हमने जलवायु परिवर्तन के कारण समय के साथ शरीर के आकार के छोटा होने और चोंच के आकार में वृद्धि की पहचान की है। संयुक्त रूप से, इन अध्ययनों में ऑस्ट्रेलिया भर से पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं। उदाहरण के लिए, रेड नॉट्स और शार्प-टेल्ड सैंडपाइपर्स जैसे प्रवासी पक्षियों की चोंच का आकार पिछले 50 वर्षों में बढ़ गया है।
सिल्वर गल की चोंच का बढ़ा आकार
पक्षियों की एक विस्तृत श्रृंखला में बड़ी चोंच और शरीर के छोटे आकार का एक ही पैटर्न पाया गया है। इनमें बत्तखों से लेकर ऑसीन (सॉन्ग बर्ड) तक शामिल हैं। सिल्वर गल और कॉमन ब्रोंजविंग दोनों की चोंच का आकार पिछली शताब्दी के मुकाबले बढ़ गया है।
तापमान में बढ़ोतरी दर्ज
ऑस्ट्रेलिया में तापमान बढ़ रहा है। पक्षियों में आकार परिवर्तन और शरीर के छोटे होने से संकेत मिलता है कि वे उच्च तापमान से निपटने के लिए खुद को कैसे ढाल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन न सिर्फ पक्षियों को प्रभावित करता है, बल्कि उनके पर्यावरण को भी प्रभावित करता है।
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ऑस्ट्रेलिया जैसे गर्म वातावरण में ज्यादा वक्त तक उच्च तापमान रहने से भोजन की कमी हो सकती है। यह छोटे पक्षियों के विकास में बाधा डाल सकता है। इस तरह, गर्म तापमान के बाद भोजन की कमी और विकास के अवरुद्ध होने के कारण शरीर और चोंच दोनों का आकार कम हो जाएगा।
मौसम के हिसाब से खुद को ढाल रहे जानवर
अत्यधिक तापमान की अल्पकालिक अवधि में, बड़ी चोंच होना एक बोझ हो सकता है। वातावरण से गर्म हवा वास्तव में चोंच में चली जाएगी, जिससे पक्षी के शरीर का तापमान बहुत अधिक हो जाएगा, जिसके संभावित घातक परिणाम हो सकते हैं।
हालांकि, यह देखना आकर्षक हो सकता है कि आकार बदलना इस बात का प्रमाण है कि जानवर जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर अपने आप को सफलतापूर्व ढाल रहे हैं। यह एक अपरिपक्व निष्कर्ष होगा: यह हमें दिखाता है कि कुछ प्रजातियां प्रतिक्रिया दे रही हैं, लेकिन हम नहीं जानते कि ये परिवर्तन उनके अस्तित्व की संभावनाओं को कैसे प्रभावित करते हैं।
(सारा राइडिंग एवं मैथ्यू साइमंड्स, डीकिन विश्वविद्यालय और एलेक्जेंड्रा मैकक्वीन, मोनाश विश्वविद्यालय)
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