भला ऐसे कैसे! पृथ्वी की ओर बार-बार क्यों आ रहे सैटेलाइट? क्या सौर गतिविधियां कर रही प्रभावित
Solar Activity: पिछले कुछ समय से सैटेलाइट के पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। हाल ही में कर्टिन यूनिवर्सिटी के बिनार स्पेस प्रोग्राम के तीन छोटे ऑस्ट्रेलियाई सैटेलाइट पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते ही राख हो गए। इसके लिए सूर्य में होने वाली तेज गतिविधियां को जिम्मेदार माना जा रहा है।
सूर्य में हो रहे धमाके
- सूर्य पर लगातार हो रहे धमाके।
- सौर चक्र अधिकतम में पहुंचा सूर्य।
- सौर गतिविधियों ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की चिंता।
Solar Activity: कर्टिन यूनिवर्सिटी के बिनार स्पेस प्रोग्राम के तीन छोटे ऑस्ट्रेलियाई सैटेलाइट पिछले सप्ताह पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते ही जलकर तबाह हो गए। ऐसा होना हमेशा से ही तय था। जब कोई सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा (2,000 किमी या उससे कम) में होता है तो वह कक्षीय क्षय (Orbital Decay) का अनुभव करता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सैटेलाइट धीरे-धीरे सतह की ओर खिंचता चला जाता है और अंतत: जलकर तबाह हो जाता है।
सैटेलाइट का काल बन रही सौर गतिविधि
साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, बिनार स्पेस प्रोग्राम के तीन क्यूब सैटेलाइट (क्यूबसैट) समय से पहले ही वायुमंडल में दाखिल हो गए। इसके लिए सूर्य में होने वाली तेज गतिविधियां को जिम्मेदार माना जा रहा है। हालांकि, बिनार-2, 3 और 4 के नाम से जानी जाने वाली सैटेलाइट ही अकेले सौर गतिविधियों की शिकार नहीं हुई है। पिछले कुछ सालों में बढ़ी हुई सौर गतिविधियां सैटेलाइट ऑपरेटर्स के लिए सिरदर्दी बढ़ा रही हैं और लगातार इसमें इजाफा ही हो रहा है।
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सूर्य इतना सक्रिय क्यों है?
सौर गतिविधि में सौर कलंक, सौर ज्वालाएं और सौर वायु जैसी घटनाएं शामिल हैं। यह गतिविधि सूर्य के लगातार बदलते चुंबकीय क्षेत्र की वजह से होती हैं और लगभग हर 11 साल में यह पूरी तरह से पलट जाता है। इस चक्र के मध्य बिंदु पर सौर गतिविधि अपने उच्चतम स्तर पर होती है। इस 11 वर्षीय सौर चक्र के दरमियां सौर गतिविधियां अपने चरम पर होती हैं। हालांकि, सूर्य पिछले कुछ महीनों से सौर चक्र 25 से गुजर रहा है।
वायुमंडल से टकराता सौर तूफान
पिछले कुछ महीनों में कई बार सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने की घटनाएं सामने आई हैं जिसकी वजह से सैटेलाइट, जीपीएस, पॉवरग्रिड के प्रभावित होने का खतरा मंडरा रहा है।
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बता दें कि सूर्य से निकलने वाली अतिरिक्त ऊर्जा बाहरी वायुमंडल में अवशोषित हो जाती है जिसकी वजह से वह बाहर की ओर फैल जाती है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी से हजार किमी से कम दूरी पर स्थित सभी सैटेलाइट को वायुमंडलीय खिंचाव का अत्यधिक अनुभव होता है। यह एक ऐसा बल है, जो उनकी कक्षा को बाधित करता है और उन्हें ग्रह की सतह की ओर गिरने के लिए मजबूर करता है।
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