पृथ्वी ने 2687 साल पहले झेला था 'विनाशकारी' सौर तूफान का कहर, हालिया रिसर्च में हुआ ये खुलासा
Solar Storm: पिछले कुछ समय से सौर तूफान मानो हमारे जीवन का हिस्सा हो गया हो, क्योंकि इसकी वजह से ऑरोरा उत्पन्न होती है और अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान केंद्र आए दिन ऑरोरा का अलर्ट जारी करता रहता है। कुछ तूफान तो इतने ज्यादा शक्तिशाली होते हैं कि लंबे समय तक ऑरोरा देखने का मौका मिलता है।
सौर तूफान
Solar Storm: सौर तूफान पृथ्वी के लिए कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ समय से सौर तूफानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से पृथ्वी की आर्बिट में मौजूद सैटेलाइट्स को भी भारी नुकसान पहुंचा है। हाल ही में तीन छोटे ऑस्ट्रेलियाई सैटेलाइट पृथ्वी के वायुमंडल में दाखिल होते ही जलकर राख हो गए। इस साल हमने सौर तूफानों की बौछार देखी है, कुछ तूफान इतने ज्यादा शक्तिशाली रहे कि लंबे समय तक ऑरोरा को उत्पन्न किया।
अंतरिक्ष मौसम पर टकटकी लगाए खगोलविद
स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, आधुनिक दुनिया में पृथ्वी के आसपास की तमाम चीजों पर खगोलविदों की नजर रहती है। सैटेलाइट का एक बेड़ा लगातार अंतरिक्ष मौसम पर नजर रखता है, जबकि खगोलविद डेटा का विश्लेषण करते हैं और पृथ्वी पर इसके प्रभावों का अध्ययन करते रहते हैं।
रंग-बिरंगी ध्रुवीय रोशनी
इस बीच, आकाशदर्शी अपनी निगाहें और कैमरे को रात के समय आसमान में टिका कर रहते हैं ताकि भू-चुंबकीय तूफानों से उत्पन्न होने वाली रंग-बिरंगी ऑरोरा को कैद कर सकें, लेकिन आधुनिक तकनीक के निर्माण से पहले आए सौर तूफानों के बारे में क्या? अगर हजारों साल पहले कोई सौर तूफान आया रहा होगा तो उसके बारे में हमें कैसे पता चलेगा?
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प्राचीन तूफान से उठा पर्दा
बकौल रिपोर्ट, प्राचीन पेड़ की मदद से हजारों साल पुराने सौर तूफान के बारे में जानकारियां मिली हैं। एरिजोना यूनिवर्सिटी के इरिना पन्यूशकिना और टिमोथी जुल के नेतृत्व में एक शोध दल पेड़ों के छल्लों का विश्लेषण किया ताकि मियाके इवेंट्स के तौर पर जाने जाने वाले विशाल सौर तूफानों के साक्ष्य प्रकट हो सकें। ये अंतरिक्ष मौसम की घटनाएं इतनी ज्यादा दुर्लभ हैं कि पिछले 14,500 सालों में महज 6 का पता ही चल सका है जिनमें से हालिया घटना 664 और 663 ईसा पूर्व के बीच हुई थी।
शोधकर्ताओं का कहना है कि हम बहुत ज्यादा भाग्यशाली रहे कि सबसे हालिया मियाके इवेंट बहुत पहले हुआ था। अगर वह मौजूदा दौर में होता तो संचार प्रौद्योगिकी पर उनका विनाशकारी प्रभाव होता।
मियाके इवेंट्स चरम सौर गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसकी पहचान सबसे पहले 2012 में जापानी खगोलविद फुसा मियाके ने की थी। शोधकर्ताओं ने एक बयान में बताया कि पेड़ों-छल्लों में इसकी मौजूदगी की पुट्टि हुई। जिसमें कार्बन-14 की मौजूदगी देखी गई।
कार्बन-14 कार्बन का एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला रेडियोधर्मी रूप है, यह वायुमंडल में तब बनता है जब ब्रह्मांडीय विकिरण नाइट्रोजन के साथ क्रिया करता है। अंततः, यह कार्बन-14 ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है। कार्बन डाइऑक्साइड फिर प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पेड़ों में प्रवेश करता है।
बकौल शोधकर्ता, कुछ माह बाद कार्बन-14 समताप मंडल से निचले वायुमंडल में दाखिल हो जाता है, जहां पेड़ इसे खुद में समाहित कर लेते हैं और जब पेड़ों का विकास होता है तो यह उसी में मौजूद रहते हैं।
पेड़ों और बर्फ के टुकड़ों में मिले संकेत
बकौल रिपोर्ट, शोधकर्ताओं ने ध्रुवीय क्षेत्रों से बर्फ के कोर में बंद बेरिलियम-10 आइसोटोप के साथ ट्री-रिंग डेटा की तुलना की। दोनों आइसोटोप में वृद्धि दिखती है तो उससे पता चलता है कि एक सौर तूफान आया था।
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