शहीद मान चुका था पूरा देश, पर मौत को चकमा देकर चीन से लौटा था जाबाज; कुछ ऐसी है मेजर धन सिंह की कहानी
Dhan Singh Thapa: कहानी एक ऐसे जाबाज की जिन्होंने चीनी सैनिकों को नाक रगड़ने पर मजबूर कर दिया था और असाधारण वीरता का प्रदर्शन करते हुए मौत को मात देकर चीन से वापस लौट आए थे। 1963 में चीन से वापसी पर उनका जोरदार स्वागत हुआ और एक बार फिर वह सेना में शामिल हो गए।
मेजर धन सिंह थापा (फोटो साभार: https://x.com/IaSouthern)
- 1962 में चीन ने किया था हमला।
- मेजर ने खुखरी से कई चीनी सैनिकों को मार गिराया था।
- चीनियों ने मेजर धन सिंह को कब्जे में ले लिया था।
Dhan Singh Thapa: साल 1962 में हमारे पड़ोसी मुल्क चीन (China) ने हमला कर दिया था। सैन्य ताकत हो या फिर गोला बारूद। चीन हर मामले में हम पर भारी पड़ रहा था, लेकिन एक चीज थी जिसमें हिंदुस्तान के सैनिक कम नहीं थे, वो था जज्बा और देश प्रेम।
इस हिम्मत की मिशाल मेजर धन सिंह थापा (Dhan Singh Thapa) थे। उन्होंने 1962 की जंग (1962 Indo China War) में चीनी सैनिकों को नाक रगड़ने पर मजबूर कर दिया था और मौत को मात देकर वतन वापस लौट आए थे।
प्रारंभिक जीवन
10 अप्रैल, 1928 को मेजर धन सिंह थापा का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला में हुआ था। उनके माता-पिता मूल रूप से नेपाली थे। सेना में थापा का सफर 28 अगस्त, 1949 को 1/8 गोरखा राइफल्स बटालियन का हिस्सा बनकर शुरू हुआ। 20 अक्टूबर, 1962 को चीनी सैनिकों ने गलवान की सिरिजाप घाटी चौकी पर हमला कर दिया था। इस पोस्ट की कमान मेजर धन सिंह थापा के हाथों में थी। चीनी सेना काफी बड़ी तादाद में थी और वह आधुनिक हथियारों और युद्धों के सामान से लैस थे।
यह भी पढ़ें: बंगाल के 20 वर्षीय 'शेर' ने हंसते-हंसते चूमा था फांसी का फंदा, अंतिम विदाई में लगा था समर्थकों का तांता
बताया जाता है कि चीनी सैनिकों की तरफ से की गई बमबारी में मेजर धन सिंह थापा की पोस्ट का संपर्क दूसरी चौकी से कट गया था। इसके बाद चीनी सैनिक उनकी पोस्ट की तरफ बढ़ रहे थे, लेकिन उनके इन मंसूबों पर गोरखाओं ने पानी फेर दिया। पहले हमले में विफलता मिलने के बाद चीनी सैनिकों ने और ताकत के साथ दोबारा चौकी पर हमला कर दिया। जिसे मेजर धन सिंह थापा और उनकी रेजिमेंट ने फिर से नाकाम कर दिया।
चीनी सेना ने झोंक दी थी पूरी ताकत
इससे बौखलाकर चीन की सेना ने तीसरी बार इन्फैंट्री के साथ-साथ टैंक की मदद से पोस्ट पर हमला कर दिया। जिसमें भारतीय सेना के कई जवान शहीद गए थे और ज्यादातर जख्मी हो गए थे। ऐसे में चीनी सैनिकों ने पोस्ट पर कब्जा कर लिया था, लेकिन उससे पहले मेजर थापा ने हार नहीं मानी और उन पर धाबा बोल दिया।
उन्होंने खुखरी से कई चीनी सैनिकों को मौत के घाट भी उतार दिया। हालांकि, सैकड़ों की तादाद में आए चीनी सैनिकों ने उन्हें अपने कब्जे में लिया था। जब खबर सेना मुख्यालय में पहुंची कि चीनी सैनिकों ने भारतीय चौकी पर कब्जा कर लिया है, ऐसे में मान लिया गया कि मेजर धन सिंह थापा चीनी सैनिकों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए।
युद्ध बंदियों की सूची में था मेजर थापा का नाम
इतना ही नहीं उनके परिवार वालों को खत लिखकर मेजर थापा की शहादत की जानकारी दी गई। परिवार के लोगों ने उनके अंतिम संस्कार की औपचारिकताएं भी कर दी थीं। भारत सरकार ने उन्हें वीरता के सबसे बड़े सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित भी कर दिया था, मगर जब दोनों देशों के बीच जंग खत्म हुई तो चीन की सरकार ने भारत को युद्ध बंदियों की सूची सौंपी। उसमें मेजर थापा का नाम भी शामिल था। इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
यह भी पढ़ें: ब्रिटिश या अमेरिकी...माउंटबेटन को आखिर किस खुफिया एजेंसी ने मरवाया? जहाज में कुछ यूं हुई थी मौत
परमवीर चक्र से सम्मानित
10 मई, 1963 को जब उनकी रिहाई हुई और स्वदेश वापस लौटे तो उनका जोरदार स्वागत किया गया। इसके बाद मेजर धन सिंह थापा फिर से सेना में शामिल हो गए। उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने परमवीर चक्र से सम्मानित किया। वो लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए। 6 सितंबर, 2005 में 77 साल की आयु में उनका देहांत हो गया था।
(इनपुट: आईएएनएस)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | नॉलेज (knowledge News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें
इतिहास रचने से एक कदम दूर सुनीता विलियम्स; स्पेसवॉक का तोड़ेंगी रिकॉर्ड; यहां देखें लाइव चहलकदमी
आसमान में हो रहा चमत्कार, आज से एक साथ नजर आएंगे 6 ग्रह; इन शहरों से दिखेगा दुर्लभ नजारा
जोधपुर झाल में 9 लुप्तप्राय समेत 62 खूबसूरत प्रजातियों की हुई पहचान, जानें कितनी हैं जलीय पक्षियों की संख्या?
पृथ्वी का कैसे मापते हैं तापमान? जल रहा लॉस एंजिलिस; सबसे गर्म साल रहा 2024
आज तक नहीं सुलझी उस रात की पहेली, ताशकंद में राज बनकर रह गई लाल बहादुर शास्त्री की मौत
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited