क्या है 'दो जून की रोटी' का मतलब, कहावत इस्तेमाल करने से पहले जानिए इसका महत्व
2 June Ki Roti: आज दो जून है। जी हां, दो जून यह वही दो जून है जिसका इस्तेमाल आप अक्सर अपनी कहावत (दो जून की रोटी) में करते हैं, लेकिन क्या आपको इसके बारे में पता है? दो जून की रोटी का मतलब है कि खाने के लिए पर्याप्त भोजन का न होना, बमुश्किल वह बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पा रहा है। यह मुहावरा गरीबी और आर्थिक तंगी को दर्शाता है।
दो जून की रोटी (सांकेतिक तस्वीर)
2 June Ki Roti: आज दो जून है। जी हां, दो जून यह वही दो जून है जिसका इस्तेमाल आप अक्सर अपनी कहावत (दो जून की रोटी) में करते हैं, लेकिन क्या आपको इसके बारे में पता है? आखिर इसका मतलब क्या है? सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली कहावतों में दो जून का सुनने को मिल जाएगा। जैसे- दो जून की रोटी, दो जून की रोटी किस्मत से मिलती है, बस दो जून की रोटी हमें मिल जाए तो बात बन जाए इत्यादि। हर कोई इसका अलग-अलग ढंग से इस्तेमाल करता है, लेकिन हम आपको इसका मतलब समझा देते हैं।
क्या है दो जून की रोटी का मतलब?
दो जून की रोटी का मतलब है कि खाने के लिए पर्याप्त भोजन का न होना, बमुश्किल वह बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पा रहा है। यह मुहावरा गरीबी और आर्थिक तंगी को दर्शाता है। अक्सर इस मुहावरे का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया जाता है कि किसी व्यक्ति की स्थिति कितनी ज्यादा खराब है।
अगर आप यह सोच रहे हैं कि खाना महज दो जून को ही मिलेगा तो यह 'दो जून की रोटी' का शाब्दिक अर्थ नहीं है। यह व्यक्ति की गरीब परिस्थिति को दर्शाता है। अगर हम अपने देश की ही बात करें तो गरीबी के नाम पर नेता चुनाव जीतकर लोकतंत्र के सबसे पवित्र मंदिर में पहुंच जाते हैं। आपको याद है कि नहीं, लेकिन एक नारा जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। वो था- 'वो कहते हैं इंदिरा हटाओ, हम कहते हैं गरीबी हटाओ'। इंदिरा गांधी ने इस नारे के दम पर अपनी सत्ता स्थापित की थी।
दो जून की रोटी (सांकेतिक तस्वीर)
तस्वीर साभार : iStock
बमुश्किल जीवनयापन कर रहे लोग!
देश में बहुत सारे लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं और बमुश्किल अपना और अपने परिवार का पेट भर पाते हैं। हालांकि, सरकार विभिन्न लोक कल्याणकारी स्कीम के जरिए इनका जीवना सुधारने में जुटी हुई है। इस साल की शुरुआत में तो एक उत्साह बढ़ाने वाला आंकड़ा भी सामने आया था जिसमें यह दावा किया गया कि 24.82 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर आ गए हैं।
नीति आयोग की मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इन इंडिया (MPI) की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले नौ सालों में 24.82 करोड़ लोगों का जीवन सुधर गया और वह गरीबी के दायरे से बाहर आ गए। यह लोग अब खुद को गरीब नहीं समझते हैं।
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से गरीब और आर्थिक रूप से असहाय लोगों के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई गई हैं, जिसमें पीएम उज्ज्वला योजना, गरीब कल्याण अन्न योजना, अंत्योदय अन्न योजना, मनरेगा, पीएम स्वनिधि योजना इत्यादि शामिल हैं।
दो जून की रोटी
तस्वीर साभार : iStock
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बेहद पुरानी है यह कहावत
ऐसा माना जाता है कि 'दो जून की रोटी' वाली कहावत बेहद पुरानी है और यह हर किसी की जुबां पर बनी हुई है। आसान भाषा में समझें तो अवधी भाषा से लिए गए शब्द 'जून' का अर्थ 'समय' होता है। इसलिए इस कहावत को आप समय के साथ जोड़कर देख सकते हैं। दो जून की रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती है। मने- दो समय की रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती है। अब आपको यह समझने में आसानी जरूर हुई होगी।
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अनुराग गुप्ता author
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