Solar Flare: क्या पृथ्वी पर होगा सूर्य पर हुए सबसे बड़े विस्फोट का असर? ब्लैकआउट हो सकते हैं रेडियो
Solar Flare: सूर्य की सतह से निकलने वाली ऊर्जा के तीव्र विस्फोट को सोलर फ्लेयर कहा जाता है। साधारण शब्दों में समझा जाए तो सूर्य चुंबकीय ऊर्जा छोड़ता है जिससे निकलने वाली चमकदार रोशनी और पार्टिकल्स से ही सोलर फ्लेयर बनते हैं। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं दर्ज की गई है, क्योंकि सौर चक्र का ऐसा चरण चल रहा है जिसे सोलर मैक्सिमम कहते हैं।
सोलर फ्लेयर
- सूर्य में लगातार हो रहे विस्फोट।
- सूर्य से निकल रही सोलर फ्लेयर।
- इस बार X14 कैटिगरी की सोलर फ्लेयर उठी।
Solar Flare: अंतरिक्ष में लगातार ऐसे खगोलीय घटनाएं होती रहती हैं, जिसको लेकर खगोलविद से लेकर अंतरिक्ष प्रेमियों तक की आंखों खुली की खुली रह जाती है। पिछले कुछ समय से सूर्य में लगातार धमाके हो रहे हैं, लेकिन हाल में हुए विस्फोट ने सभी को चौंका दिया। खगोलविदों को 23 जुलाई को X14 कैटिगरी के सोलर फ्लेयर की जानकारी मिली।
विस्फोट का कैसे पता चला?
सूर्य पर हुए सबसे शक्तिशाली विस्फोट का पता यूरोप के सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट की मदद से चला। दरअसल, सूर्य के सुदूरवर्ती इलाके से X14 कैटिगरी की पावरफुल सोलर फ्लेयर उठी। हालांकि, सूर्य पर होने वाली यह सबसे शक्तिशाली सोलर फ्लेयर की घटना नहीं है।
यह भी पढ़ें: क्या है सोलर फ्लेयर? इसके बारे में आप भी जान लें
स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतिम बार 2003 में सबसे शक्तिशाली सोलर फ्लेयर की घटना दर्ज की गई थी। उस वक्त X45 कैटिगरी का शक्तिशाली सौर्य तूफान उठा था। हालांकि, पिछले कुछ समय से लगातार सूर्य से सोलर फ्लेयर उठ रही हैं।
सोलर फ्लेयर की घटनाएं तेजी से बढ़ी
पिछले कुछ समय से सोलर फ्लेयर की घटनाओं में इजाफा हुआ है और इसकी मुख्य वजह सोलर मैक्सिमम है। दरअसल, यह 11 साल के सौर चक्र का ऐसा चरण है जब सूर्य में होने वाली गतिविधियां अपने चरम पर होती हैं। जिसकी वजह से सूर्य पर विस्फोट होते हैं। सोलर मैक्सिमम को आसान शब्दों में सौर अधिकतम कहा जाता है।
यह भी पढ़ें: ये क्या अंतरिक्ष में मौजूद है मिल्की-वे का बड़ा भाई; बनावट एकजैसी, पर आकार जान हो जाएंगे हैरान
क्या पृथ्वी पर पड़ेगा असर
बकौल रिपोर्ट, पृथ्वी के करीब वाले सूर्य के हिस्से में आखिरी बार सबसे शक्तिशाली विस्फोट 14 मई, 2024 को हुआ था। उस वक्त X8.9 कैटिगरी की सोलर फ्लेयर उठी थी। ऐसे में यदि सोलर फ्लेयर की दिशा पृथ्वी की ओर हुई तो रेडियो ब्लैकआउट हो सकते हैं।
बता दें कि सोलर फ्लेयर की वजह से ऑरोरा लाइट्स देखने को मिलती हैं, लेकिन ऊर्जावान कणों वाला विस्फोट साल 1989 की तरह बड़ी तकनीकी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। दरअसल, 1989 में क्यूबेक के बिजली ग्रिड पर इसका असर दिखा था।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। नॉलेज (Knowledge News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों में शुमार हैं और यह टाइम्स नाउ नवभारत की वेबसाइट क...और देखें
आर्कटिक का बदल रहा मौसम; ग्लेशियर के पिघलने से तटीय बाढ़ का बढ़ा खतरा! नई स्टडी ने चौंकाया
डरना मना है! James Webb ने मंगल और बृहस्पति के बीच खोजे 100 से अधिक छोटे एस्टेरॉयड
दिलीप कुमार, प्रणब मुखर्जी की जयंती आज, जानिए और क्यों खास है 11 दिसंबर की तारीख
क्या होता है तख्तापलट? किस देश ने सबसे ज्यादा बार सहा इसका दंश
कब और क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस? जानें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited