क्या है CrPC की धारा 164? जिसके तहत स्वाति मालीवाल ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया बयान

राज्यसभा सांसद और आम आदमी पार्टी नेत्री स्वाति मालीवाल ने तीस हजारी कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कर कराया। यह बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज हुआ। तो चलिए जानते हैं कि आखिर सीआरपीसी की धारा 164 के मायने क्या हैं और इसको लेकर क्या-क्या प्रावधान हैं।

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सीआरपीसी की धारा 164

CrPC Section 164: राज्यसभा सांसद और आम आदमी पार्टी नेत्री स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट मामले ने अचानक से कौतुहल पैदा कर दिया। दरअसल, स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ मारपीट मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया और उनसे पूछताछ कर रही है।
वहीं, पुलिस ने स्वाती मालीवाल का मेडिकल कराने के बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। जहां पर सीआरपीसी (CrPC) की धारा 164 के तहत उनका बयान दर्ज हुआ। तो चलिए हम समझते हैं कि सीआरपीसी की धारा 164 के क्या मायने हैं?

क्या है CrPC की धारा 164?

सीआरपीसी की धारा 164 के तहत आरोपी या पीड़िता का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज होता है। अगर मेट्रोपॉलियन क्षेत्र के अंतर्गत मामला हो तो उस स्थिति में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए जाते हैं, लेकिन मामला अगर किसी अन्य क्षेत्र का हो तो न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए जाएंगे।
मजिस्ट्रेट के समक्ष अगर बयान दर्ज हो गया तो वह अदालत में भी मान्य होता है। इस धारा के अंतर्गत पुलिस अधिकारी बयान दर्ज नहीं कर सकते हैं। इससे संबंधित अगर किसी आरोपी या पीड़िता ने पुलिस अधिकारी के समक्ष अपना बयान दिया है तो वह अदालत में मान्य नहीं होगा।

क्या करें, क्या न करें?

आरोपी या पीड़िता का बयान दर्ज करने से पहले मजिस्ट्रेट इस बात पर जरूर ध्यान देते हैं कि बयान बिना किसी प्रलोभन या दबाव के स्वेच्छा से दिया जा रहा है या नहीं? इसके अलावा मजिस्ट्रेट आरोपी या पीड़िता को यह चेतावनी भी देते हैं कि उनकी ओर से दिया गया बयान उन्हीं के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

बयान का सत्यापन भी है जरूरी

आरोपी या पीड़िता का बयान लिखित में दर्ज किया जाता है और उस पर मजिस्ट्रेट अपने दस्तखत करते हैं। बयान देने वाले से भी लिखित बयान को सत्यापित कराया जाता है। यदि आरोपी या पीड़िता लिखित नहीं, बल्कि मौखिक बयान देते हैं तो उसे मजिस्ट्रेट द्वारा लिखित रूप में परिवर्तित किया जाता है।

बदला नहीं जा सकता बयान

आरोपी या पीड़िता अगर मजिस्ट्रेट के सामने एक बार बयान दर्ज करवा देते हैं तो वह बयान कोर्ट में भी मान्य होगा और कोर्ट में उस बयान को बदला नहीं जा सकता है।

VIDEO रिकॉर्डिंग का भी विकल्प

मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी या पीड़िता लिखित और मौखिक बयान दर्ज कराए जाते हैं, लेकिन इस धारा के तहत ऑडियो और वीडियो माध्यम से भी बयान दर्ज किए जा सकते हैं। ताकि बयान की सच्चाई को सुनिश्चित किया जा सके।
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अनुराग गुप्ता author

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