सुदूर अंतरिक्ष में फटा ज्वालामुखी, NASA ने बृहस्पति के चांद का VIDEO किया साझा
Jupiter's Moon Volcano Eruption: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बृहस्पति के तीसरे सबसे बड़े चंद्रमा आयो (Io) पर हुए ज्वालामुखी विस्फोट का वीडियो जारी किया है। बकौल नासा, बृहस्पति ग्रह पर नासा के जूनो मिशन के वैज्ञानिकों ने पाया कि आयो पर मौजूद ज्वालामुखी संभवत: मैग्मा के महासागर के बजाय अलग-अलग मैग्मा चैंबर्स से संचालित होते हैं। इस खोज से 44 साल पुराने रहस्य को सुलझाने में मदद मिली।
आयो चांद (फोटो साभार: NASA)
मुख्य बातें
- Io चांद पर ज्वालामुखी विस्फोट।
- आयो में हैं 400 सक्रिय ज्वालामुखी।
- अंतरिक्ष में लावा और धुआं छोड़ रहे ज्वालामुखी।
Jupiter's Moon Volcano Eruption: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के तीसरे सबसे बड़े चंद्रमा आयो (Io) पर हुए ज्वालामुखी विस्फोट का वीडियो जारी किया है। नासा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक जिप फाइल करते हुए आयो पर हुए ज्वालामुखी विस्फोट की जानकारी दी।
आयो, जो हमारी पृथ्वी के चंद्रमा के लगभग बराबर है, सौरमंडल का सबसे अधिक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय पिंड है। नासा ने पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि हमारे सौरमंडल में सबसे ज्यादा ज्वालामुखी वाला संसार। हमारे जूनो मिशन की नई खोजों से बृहस्पति के आयो चंद्रमा के क्रोध के उग्र हृदय का पता चलता है।
यह भी पढ़ें: डार्क कॉमेट कैसी बला है? सुदूर अंतरिक्ष में खगोलविदों को मिले 7 'अंधकारमय धूमकेतु'; जानें इसके बारे में सबकुछ
44 साल पुराना रहस्य सुलझा
बकौल नासा, बृहस्पति ग्रह पर नासा के जूनो मिशन के वैज्ञानिकों ने पाया कि आयो पर मौजूद ज्वालामुखी संभवत: मैग्मा के महासागर के बजाय अलग-अलग मैग्मा चैंबर्स से संचालित होते हैं। इस खोज से 44 साल पुराने रहस्य को सुलझाने में मदद मिली।
नेचर पत्रिका में 12 दिसंबर को आयो के ज्वालामुखीय स्रोत पर एक शोधपत्र प्रकाशित हुआ। बता दें कि आयो पर लगभग 400 सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो लगातार अंतरिक्ष में लावा और धुएं का उत्सर्जन करते हैं।
यह भी पढ़ें: ऐसे कैसे! सौरमंडल के बाहर साढ़े 5 लाख किमी लंबी पूंछ लिए भ्रमण कर रहा अनोखा ग्रह, खगोलविद भी हैरान
ज्वालामुखीय गतिविधियां
आयो चंद्रमा की खोज गैलीलियो गैलिली ने 8 जनवरी, 1610 को की थी, लेकिन वहां पर ज्वालामुखीय गतिविधियों का पता 1979 तक चला था। उस वक्त ज्वालामुखीय गतिविधियों की पहचान करने में वॉयेजर 1 स्पेसक्राफ्ट की एक तस्वीर से हुई थी।
जूनो स्पेसक्राफ्ट ने दिसंबर 2023 और फरवरी 2024 में आयो के बेहद करीब से उड़ान भरी और इसकी पिज्जा जैसी सतह से लगभग 1,500 किमी की दूरी तय की। आयो विशालकाय गैसीय ग्रह के बेहद करीब है और वह 42.5 घंटे में बृहस्पति का एक बार चक्कर पूरा कर लेता है, लेकिन जैसे-जैसे दूरी बदलती है वैसे वैसे बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव भी बदलता है जिसकी वजह से चंद्रमा लगातार सिकुड़ता रहता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। नॉलेज (Knowledge News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
End of Article
अनुराग गुप्ता author
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों ...और देखें
End Of Feed
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited