सुदूर अंतरिक्ष में भटक रहे वॉयजर-1 का बंद पड़ा रेडियो को फिर हुआ चालू; 43 साल बाद पृथ्वी पर भेजा सिग्नल

Voyager-1 Spacecraft: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सुदूर अंतरिक्ष में भटक रहे स्पेसक्राफ्ट के बंद पड़े एक रेडियो एंटीना को 43 साल बाद एक्टिवेट किया है। बता दें कि पुराने हो रहे वॉयजर-1 स्पेसक्राफ्ट की बिजली को बचाने के लिए धीर-धीरे उसके उपकरणों को बंद कर दिय गया। फिलहाल 1981 से बंद पड़े एक रेडियो की बदौलत स्पेसक्राफ्ट से संपर्क स्थापित किया गया है।

Voyager 1 Spacecraft

वॉयजर-1 स्पेसक्राफ्ट (फोटो साभार: NASA)

मुख्य बातें
  • NASA को वॉयजर-1 से मिल रहे दुर्लभ डेटा।
  • हेलियोपॉज के आगे निकला वॉयजर-1

Voyager-1 Spacecraft: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सुदूर अंतरिक्ष में भटक रहे एक अंतरिक्ष यान से फिर से संपर्क स्थापित किया है। दरअसल, नासा ने सबसे दूर के मिशन पर निकले स्पेसक्राफ्टके ऐसे रेडियो एंटीना से संपर्क किया जिसका इस्तेमाल साल 1981 से नहीं हुआ है और वह पूरी तरह से ऑफलाइन था।

नासा ने किस स्पेसक्राफ्टसे किया संपर्क

नासा के इतिहास के सबसे दूर के मिशन पर निकले वॉयजर-1 स्पेसक्राफ्टसे संपर्क स्थापित किया गया है जिसे सिंतबर 1977 में लॉन्च किया गया था, लेकिन स्पेसक्राफ्टकी बिजली बचाने के लिए नासा के इंजीनियरों ने धीरे-धीरे इसके उपकरणों को बंद कर दिया।

कैलिफोर्निया में जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के इंजीनियरों ने 24 अक्टूबर को वॉयजर-1 से संपर्क स्थापित किया। दरअसल, पिछले कुछ समय से वैज्ञानिकों को स्पेसक्राफ्टके साथ संपर्क करने में मुश्किलें हो रही थीं। साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने 16 अक्टूबर उस वक्त समस्या महसूस की जब वॉयजर-1 को कमांड भेजी गई कि वह अपना एक हीटर चालू कर दे, लेकिन इसका ट्रांसमीटर बंद हो गया था।

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सिग्नल आने में कितना समय लगता है?

वैज्ञानिकों को यह समझने में पूरे दिन का समय लगा। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि पृथ्वी से वॉयजर-1 के 15.3 बिलियन मील दूर होने की वजह से उस तक संदेश को पहुंचने में लगभग 23 घंटे का समय लगता है और रिस्पॉन्स में भी इतना समय लग जाता है।

बकौल रिपोर्ट, जब नासा ने वॉयजर-1 को अपने हीटरों में से एक को चालू करने के कमांड भेजा तो किसी वजह से स्पेसक्राफ्ट की फॉल्ट प्रोटेक्शन प्रणाली एक्टिवेट हो गई। जिसका उद्देश्य बहुत अधिक बिजली का इस्तेमाल करने वाले उपकरणों को बंद कर देता है। ऐसे में स्पेसक्राफ्टने आमतौर पर भेजे जाने वाले सिग्नलों की जगह पर दूसरे तरह के सिग्नल भेजना शुरू कर दिया।

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एस बैंड पर मिले सिग्नल

बकौल रिपोर्ट, नासा को एक्स-बैंड पर मिलने वाले सिग्नल बंद हो गए। ऐसे में वैज्ञानिकों को डर था कि कहीं वह वॉयजर-1 को खो न दें। ऐसे में वैज्ञानिकों ने 1981 के बाद बंद पड़े स्पेसक्राफ्टके एस-बैंड का इस्तेमाल किया। बता दें कि एक्स बैंड स्पेसक्राफ्टकी पृथ्वी से संपर्क करने की मुख्य लाइन है, जबकि एस बैंड एक कमजोर लाइन है जिसका इस्तेमाल 43 साल से नहीं हुआ था।

संपर्क साधने में कई बार हुई दिक्कत

वॉयजर स्पेसक्राफ्ट जैसे-जैसे पुराने होते जा रहे हैं उनमें कोई-न-कोई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। साल 2022 में एक गड़बड़ी की वजह से वॉयजर-1 ने कुछ महीनों तक गड़बड़ टेलीमेट्री डेटा भेजा था। नवंबर 2023 और जून 2024 के बीच में तो कोई सही डेटा नहीं भेजा जिसके बाद वॉयजर-1 के मेमोरी सिस्टम में एक खराब चिप की मौजूदगी का पता चला।

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अनुराग गुप्ता author

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