क्या होती है 'कंगारू अदालत', पश्चिम बंगाल में आखिर क्यों चर्चा में है यह नाम
Kangaroo Court: पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर में हाल ही में पिटाई के एक मामले ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। बता दें कि पश्चिम बंगाल की कंगारू अदालत में सुनाए गए फैसले के बाद महिला के साथ मारपीट की गई। ग्रामीण इलाकों में कंगारू अदालतों का शासन चलता है और कोई भी इन फैसलों को चुनौती नहीं देता है।
कंगारू कोर्ट
ग्रामीणों में होता है कंगारू कोर्ट का खौफ!
बंगाल में महिला की सरेआम की गई पिटाई।
Kangaroo Court: पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर में हाल ही में सरेआम डंडे की पिटाई वाले वीडियो ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इस संबंध में राज्यपास सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, यह मामला कंगारू अदालत से जुड़ा हुआ है। आप लोगों के लिए यह शब्द भले ही नया हो, लेकिन उत्तर और दक्षिण बंगाल का शायद ही कोई इलाका हो, जो इस असंवैधानिक परंपरा से अछूता रह गया हो।
क्या होती है 'कंगारू अदालतें'
पश्चिम बंगाल सहित देशभर में कानून और सरकार का शासन चल रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में कंगारू अदालतों का अत्याचार आज भी सुनाई दे रहा है। स्थानीय भाषा में इसे 'सालिसी सभा' कहा जाता है। लोगों के बीच में इस सभा का खौफ इतना ज्यादा होता है कि कोई भी किसी अदालत में इसके फैसले को चुनौती नहीं देता है। सालिसी सभा फैसला भी करती है और सजा भी देती है।
TMC के राज में चल रही कंगारू अदालतें
साल 2004 में पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने 'सालिसी सभा' को कानूनी अमलीजामा पहनाने की कोशिश की थी, लेकिन विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के जबरदस्त विरोध की वजह से वाममोर्चा का प्रयास असफल रहा और वह विधायक नहीं पेश कर पाई। इसके जरिए वाममोर्चा सरकार छोटे विवादों के निपटारे के लिए हर ब्लॉक में कौंसिलेशन बोर्ड का गठन करना चाहती थी।
कंगारू अदालतों में कैसे होता है ट्रायल?
किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए कंगारू अदालतें खतरनाक मानी जाती हैं, क्योंकि यहां पर मौलिक अधिकारों का अक्सर हनन होता है और गैर-कानूनी सजा दी जाती है। यह त्वरित कार्रवाई करने पर यकीन करती हैं और सामंती व्यवस्थाओं की याद दिलाती हैं। हाल ही में महिला के साथ बदसलूकी का मामला कंगारू अदालत का एक उदाहरण है।
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