क्या है मिड डे मील योजना? किस राज्य से हुई थी शुरुआत; जानें
Mid Day Meal Scheme: मिड डे मील योजना जिसका साल 2021 में नाम बदल दिया गया और अब इसे प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के नाम से जाना जाता है। मिड डे मील योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहयता प्राप्त विद्यालयों में छात्रों को दोपहर का पोषणयुक्त खाना मुहैया कराया जाता है। यह विश्व की सबसे बड़ी विद्यालयों में मुहैया कराई जाने वाली भोजन योजना है।
मिड डे मील योजना
- विद्यालयों में भोजन मुहैया कराने वाली सबसे बड़ी योजना।
- विद्यालयों में छात्रों को पका हुआ भोजना उपलब्ध कराया जाता है।
- योजना का उद्देश्य स्कूलों में वंचिग वर्ग के छात्रों का दाखिला बढ़ाना।
Mid Day Meal Scheme: मिड डे मील या माध्यन्ह भोजन योजना के तहत विद्यालयों में छात्रों को दोपहर में पका हुआ पोषणयुक्त भोजना मुहैया कराना है। मिड डे मील विश्व की सबसे बड़ी विद्यालयों में मुहैया कराई जाने वाली भोजन योजना है। हालांकि, समय के साथ-साथ इसके नियमों को कई बार संशोधित किया गया।
पहले इस योजना के तहत छात्रों को राशन मुहैया कराया जाता था, लेकिन बाद में स्कूलों में पका हुआ भोजना परोसा जाने लगा। यह भोजना सिर्फ स्कूल परिसर में ही उपलब्ध कराया जाता है।
योजना का उद्देश्य
इस योजना के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के सभी छात्रों को दोपहर का भोजन मुहैया कराया जाता है ताकि बच्चों को उचित आहार मिल सके और स्कूलों में छात्रों की संख्या में इजाफा हो। इसके अलावा इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल से बच्चों के ड्रॉप आउट जैसी समस्या को रोकना भी है।
मिड डे मील योजना कब हुई थी लागू?
मिड डे मील योजना या कहें माध्यन्ह भोजन योजना को 15 अगस्त, 1995 में लागू किया गया था। शुरुआती समय में विद्यालयों को पका हुआ भोजन नहीं मिलता था, बल्कि राशन मुहैया कराया जाता है। राजकीय अनुदान प्राप्त प्राथमिक विद्यालय में अगर 80 फीसद बच्चों की उपस्थिति होती थी तो छात्रों को हर माह 3 किलो गेहूं या चावल मुहैया कराया जाता था, लेकिन समय के साथ योजना में संशोधन किया गया और 1 सितंबर, 2004 से प्राथमिक स्कूलों में पका हुआ खाना मुहैया कराया जाने लगा। इसके जरिए सरकार स्कूलों में छात्रों की संख्या और उनकी उपस्थिति को बढ़ावा देना चाहती थी।
साल 2008 में इस योजना में सर्व शिक्षा अभियान समर्थित मदरसों एवं मकतबों को शामिल किया गया था। साल 2021 में इस योजना का नाम बदल दिया गया। जिसके बाद मिड डे मील योजना को 'प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण' योजना के नाम से जाना गया और इसमें पूर्व प्राथमिक छात्रों यानी तीन से पांच साल तक के बच्चों को भी जगह दी गई।
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मिड डे मील योजना
मिड डे मील लागू करने वाला पहला राज्य?
मिड डे मील योजना को सर्वप्रथम तमिलनाडु में लागू की गई थी। यह विश्व की सबसे बड़ी विद्यालयी माध्यन्ह भोजन योजना है। इसे लागू करने का मुख्य उद्देश्य सर्व शिक्षा अभियान को सफल बनाना था। 1990-91 तक इस कार्यक्रम के तहत राज्यों की संख्या बढ़कर 12 हो गई थी।
इस योजना के तहत प्राथमिक स्तर के छात्रों को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन, जबकि उच्च प्राथमिक के लिए 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन वाला पोषणयुक्त भोजन मुहैया कराना है।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना
साल 2021 में मिड डे मील योजना 'प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना' में बदल गई। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने सरकारी और सहायता प्राप्त सरकारी विद्यालयों में पका हुआ पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराने की योजना को मंजूरी दी थी। जिसके तहत देशभर के 11.20 लाख विद्यालयों में पढ़ने वाले 11.80 करोड़ छात्रों को कवर जाना है। केंद्र सरकार ने 2020-21 में इस योजना में 24,400 करोड़ रुपये से अधिक निवेश किए थे।
कौन कितना वहन करता है मील का खर्च?
मिड डे मील योजना का वहन केंद्र और राज्य मिलकर करते हैं। हालांकि, केंद्रशासित प्रदेश, हिमालयी राज्यों, पूर्वोत्तर राज्यों में वहन का अनुपात अलग-अलग है। गैर-पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के साथ विधानसभाओं वाले केंद्रशासित प्रदेशों में वहन का अनुपात 60:40 का है। यानि योजना में खर्च होने वाली 60 फीसद राशि केंद्र, जबकि 40 फीसद राशि राज्य अदा करते हैं। वहीं, केंद्रशासित प्रदेशों का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है।
इन राज्यों में 90 फीसद वहन करती है सरकार
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में यह योजना 90 फीसद केंद्र द्वारा वित्तपोषित होती है, जबकि 10 फीसद खर्च राज्यों द्वारा खुद वहन किया जाता है।
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