क्या है BNS की धारा 163? कोलकाता में दरिंदगी वाली जगह पर हुई लागू; प्रदर्शनों पर भी लगा प्रतिबंध
BNS Section 163: कोलकाता पुलिस ने सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पास 24 अगस्त तक निषेधाज्ञा लागू की है। जिसके तहत पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने और सभा करने पर प्रतिबंध होगा। पुराने कानूनों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की जाती है, लेकिन नए कानूनों में धारा 163 में इसका उल्लेख है।
कोलकाता विरोध प्रदर्शन
- आरजी कर मेडिकल कॉलेज में धारा 163 लागू।
- प्रदर्शन और सभाओं पर लगी रोक।
- पहले धारा 144 के रूप में जानी जाती थी निषेधाज्ञा।
BNS Section 163: कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर से साथ कथित दुष्कर्म और हत्या को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लोगों में जबरदस्त गुस्सा दिखाई दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने तो स्वत: संज्ञान लेते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को जमकर फटकार लगाई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनरत डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई ट्रेनी महिला डॉक्टर से साथ बर्बरता को लेकर सीबीआई जांच में जुटी हुई है और अब सीबीआई जांच को लेकर 22 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी।
इस बीच, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पास 24 अगस्त तक भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 लागू की गई है। आइये समझते हैं कि आखिर BNS की धारा 163 क्या है।
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क्या है BNS की धारा 163?
देशभर में औपनिवेशिक काल के कानूनों की जगह पर एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता लागू हो चुका है। ऐसे में पुराने कानूनों की जगह अब भारतीय न्याय संहिता ने ले ली। भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस की धारा 163 निषेधाज्ञा है। जी हां, पुराने कानूनों वाली धारा 144 अब नए कानून में धारा 163 के रूप में जानी जाती है।
एक आदेश में कहा गया है कि कोलकाता पुलिस ने अस्पताल के आसपास भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा-163(2) लागू कर दी है। इसमें बताया गया है कि अस्पताल के आसपास के क्षेत्र से लेकर श्यामबाजार फाइव-पॉइंट क्रॉसिंग तक निषेधाज्ञा लागू की गई है। आदेश के मुताबिक, निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
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सभाओं पर प्रतिबंध
धारा 163 के तहत पांच से अधिक लोग एकसाथ नहीं निकल सकते हैं। साथ ही धरना, सभाओं इत्यादि पर रोक रहती हैं। आसान शब्दों में कहें तो तनाव पैदा करने वाली तमाम प्रकार की गतिविधियों पर रोक होती है।
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