क्या है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी? किसे मिलती है जगह

Cabinet Committee on Security: कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी जिसको सुरक्षा मामलों की समिति भी कहा जाता है। यह केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक समिति है। इसमें प्रधानमंत्री और चार केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं। ऐसा नहीं है कि इसमें किसी भी चार केंद्रीय मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है, बल्कि यह पहले ही तय होता है।

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क्या है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी?

Cabinet Committee on Security: लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और भाजपा नीत 'राजग' सरकार का गठन करने वाली है जिसके बाद नई सरकार का एक्टिव हो जाएगी और माना जा रहा है कि इस बार मोदी 3.0 की सरकार होगी और उसके बाद नई सरकार कैबिनेट कमेटी का गठन या पुनर्गठन करेगी। तो चलिए समझते हैं सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली कैबिनेट कमेटी के बारे में, जिसका मुख्य कार्य देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को सुलझाना है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की।

क्या है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी?

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी जिसको सुरक्षा मामलों की समिति भी कहा जाता है। यह केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक समिति है। इसमें प्रधानमंत्री और चार केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं। ऐसा नहीं है कि इसमें किसी भी चार केंद्रीय मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है, बल्कि यह पहले ही तय होता है।
बता दें कि सुरक्षा मामलों की समिति में प्रधानमंत्री के साथ रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री शामिल होते हैं। हालांकि, जरूरत के आधार पर इसमें अन्य मंत्रालयों के मंत्रियों को भी शामिल किया जा सकता है। यह समिति देश के रक्षा मामलों की प्रभारियों से मिलकर बनी है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
अक्सर आप लोग ऐसी खबरें पढ़ते होंगे कि देश की सुरक्षा के लिए मिसाइल, विमान इत्यादि की खरीद को समिति ने मंजूरी दी। इस साल की शुरुआत में सुरक्षा मामलों की समिति (CCS) ने भारतीय सेना के लिए 200 से अधिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइस और उससे संबंधित उपकरणों के खरीद की मंजूरी दी थी। इसके बाद सीसीएस ने वायुसेना के लिए पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान परियोजना को भी मंजूरी दी थी।

कब होता है कमेटी का गठन?

कैबिनेट कमेटी का गठन और पुनर्गठन उस वक्त होता है जब नई सरकार बनती है या फिर कैबिनेट में फेरबदल होता है।
सनद रहे कि नरेन्द्र मोदी जब पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने यूपीए-2 के समय की ज्यादातर कमेटियों को समाप्त कर दिया था। दरअसल, मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-2 की सरकार में 12 कैबिनेट समितिया थीं, परंतु मोदी सरकार ने छह समितियों को ही बरकरार रखा था और बाकी समितियों को समाप्त कर दिया था। यह समितियां अस्थाई होती हैं।
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अनुराग गुप्ता author

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