Cyclonic Storm: कैसे बनता है 'चक्रवाती तूफान', आखिर ये है क्या?
What is Cyclonic Storm: चक्रवात रेमल की चर्चा के बीच लोग जानना चाहते हैं कि चक्रवात तूफान क्या हैं तो बता दें कि चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास वायुमंडलीय गड़बड़ी के कारण होते हैं, जानें इसके बारे में और...
कैसे बनता है 'चक्रवाती तूफान'?
What is Cyclonic Storm: चक्रवाती तूफान (Cyclonic Storm) की खासी चर्चा हो रही है दरअसल भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक 26 मई की रात तक चक्रवात रेमल बांग्लादेश एवं पश्चिम बंगाल के तटों से टकरा सकता है। इस दौरान 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी और उनका वेग 135 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगा। चक्रवात को देखते हुए पश्चिम बंगाल में हाईअलर्ट जारी किया गया है।
सवाल ये उठता है कि चक्रवाती तूफान आखिर होते क्या हैं और कहां से आते हैं, कैसे उत्पन्न होते हैं? तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि ये आखिर है क्या...
चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्र के आसपास वायुमंडलीय गड़बड़ी के कारण होते हैं जो तेज और अक्सर विनाशकारी वायु परिसंचरण द्वारा प्रतिष्ठित होते हैं। चक्रवातों के साथ आमतौर पर तेज़ तूफ़ान और ख़राब मौसम आता है।
चक्रवर्ती तूफ़ान जिन्हें साइकलोन (Cyclone) के नाम से भी जाना जाता है ये विशाल वायु के घूमने वाले चक्रीय बवंडर होते हैं, ये कोरियोलिस इफेक्ट की वजह से पैदा होते हैं, जिसका संबंध पृथ्वी के अपनी अक्ष पर घूमने से है।
फिर हवा तेजी से खुद घूमती हुई तेजी से ऊपर की ओर उठने लगती है
जब समुद्रों के ऊपर की हवाएं सूर्य से प्राप्त ऊष्मा के कारण गर्म हो जाती है, तो वह तेजी से ऊपर उठती हैं, और अपने पीछे एक कम दवाब का क्षेत्र छोड़ जाती हैं।कम दवाब के क्षेत्र के कारण वहाँ एक शून्य या खालीपन पैदा हो जाता है। हवा के ऊपर उठ जाने के कारण वहाँ उत्पन्न खाली जगह को भरने के लिये आस-पास की ठंडी हवाएं तेजी से दौड़ कर आना चाहती हैं लेकिन पृथ्वी के अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमने के कारण हवा का रुख अंदर की ओर मुड़ जाता है और फिर हवा तेजी से खुद घूमती हुई तेजी से ऊपर की ओर उठने लगती है।
परिधि 2000 किलोमीटर या उससे भी ज्यादा हो सकती है
जब हवा की गति अत्यधिक तेज हो जाती है तो बहुत विशाल मात्रा में हवा घूम-घूम कर नाचने वाले की तरह घूमते हुए एक बड़ा घेरा बनाने लगती है, जिसकी परिधि 2000 किलोमीटर या उससे भी ज्यादा हो सकती है साथ ही हवाओं की रफ्तार भी बेहद अधिक होती है।
चक्रवात (Cyclone) घूमती हुई वायुराशि का नाम है,उत्पत्ति के क्षेत्र के आधार पर चक्रवात के दो भेद हैं -(1) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात या वलकियक चक्रवात (Tropical cyclone)
(2) बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवात या शीतोष्णकटिबंधीय चक्रवात या उष्णवलयपार चक्रवात (Extratropical cyclone या Temperate cyclones)
उष्णवलयिक चक्रवात - ये वायुसंगठन या तूफान हैं, जो उष्ण कटिबंध में तीव्र और अन्य स्थानों पर साधारण होते हैं। इनसे प्रचुर वर्षा होती है। इनका व्यास 50 से लेकर 1,000 मील तक का तथा अपेक्षाकृत निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र होता है। ये 20 से लेकर 30 मील प्रति घण्टा तक के वेग से चलते हैं। इनमें वायुघूर्णन 90 से लेकर 130 मील प्रति घण्टे तक का होता है। ये वेस्ट इंडीज में प्रभंजन (hurricane) तथा चीनसागर एवं फिलिपिन में बवंडर (typhoon) और अमेरिका में टोर्नेडो तथा ऑस्ट्रेलिया में विल्ली विलिज कहे जाते हैं।
उष्णवलयपार चक्रवात - यह मध्य एवं उच्च अक्षांशों का निम्न वायुदाब वाला तूफान है। इसका वेग 20 से लेकर 30 मील प्रति घण्टे के वेग से सर्पिल रूप से चलती है। प्राय: इससे हिमपात एवं वर्षा होती है।
दोनों प्रकार के चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में वामावर्त (counter-clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त (clockwise) रूप में संचारित होते हैं। उष्णवलयपार चक्रवात में साधरणतया वायु-विचनल-रेखा होती है, जो विषुवत की ओर निम्नवायुकेन्द्र में सैकड़ों मील तक बढ़ी रहती है तथा गरम एवं नम वायु को ठण्डी और शुष्क वायु से पृथक् करती है।
चक्रवात एक ऐसा बंद परिपत्र है जिसका तरल पदार्थ, पृथ्वी के समान एक ही दिशा में चक्कर लगाता रहता है, इसमें आमतौर पर हवा सर्पिल आकार में, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त रूप से घूमती है।
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