El Nino: क्या है अल नीनो? क्यों पड़ रही चिलचिलाती गर्मी; जानिए इसका असल कारण
El Nino: अल नीनो को 'क्राइस्ट चाइल्ड' या 'लिटिल बॉय' कहा जाता है। यूं तो प्रशांत महासागर के समुद्र तट के गर्म होने की घटना को अल नीनो कहते हैं, लेकिन अगर इसे आसान भाषा में समझा जाए तो प्रशांत महासागर के क्षेत्र में समुद्र के तापमान और वायुमंडील परिस्थितियों में बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं।
अल नीनो क्या है?
El Nino: मौसम संबंधी जानकारियों में अक्सर अल नीनो शब्द का इस्तेमाल होता है और आप लोगों ने भी अल नीनो सुना होगा, लेकिन ये होता क्या है? इसका गर्मी से क्या लेना देना है? ऐसे कई सवाल अक्सर ज़हन में उठते हैं। दरअसल, प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर बदलाव होता रहता है जिसका असर दुनियाभर के मौसम पर पड़ता है। इन्हीं घटनाओं से अल नीनो शब्द का इजात हुआ।
क्या है अल नीनो? (What is El Nino)
अल नीनो प्रशांत महासागर में होने वाली जलवायु घटनाओं में से एक है और इसका असर दुनियाभर के मौसम पर पड़ता है। जलवायु की यह घटना हर दो से सात साल में एक बार होती है, लेकिन इसका असर कई महीनों तक रहता है।
स्पेनिश भाषा में अल नीनो को 'क्राइस्ट चाइल्ड' या 'लिटिल बॉय' कहा जाता है। यूं तो प्रशांत महासागर के समुद्र तट के गर्म होने की घटना को अल नीनो कहा जाता है, लेकिन अगर इसे आसान भाषा में समझा जाए तो प्रशांत महासागर के क्षेत्र में समुद्र के तापमान और वायुमंडील परिस्थितियों में बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं।
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अल नीनो के दौरान मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतक का पानी गर्म होता है। पानी का सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा गर्म हो सकता है। जिसका बुरा प्रभाव समुद्री जीव-जंतुओं और मौसम पर पड़ता है। कम बारिश वाली जगहों पर अत्यधिक बारिश होती है। ऐसा भी देखा गया है कि अगर अल नीनो अमेरिका की तरह सक्रिय हो गया तो भारत में औसत से कम बारिश होती है।
कैसे गर्मी का कारण बनता है अल नीनो?
आमतौर पर प्रशांत महासागर के पश्चिमी हिस्से में ठंडी और पूर्वी हिस्से में गर्म समुद्री धाराएं होती हैं, लेकिन अल नीनो के दौरान पश्चिमी हिस्से की ठंडी धाराएं कमजोर हो जाती हैं और प्रशांत महासागर के पूर्वी हिस्से की गर्म समुद्री धाराएं और भी ज्यादा प्रबल हो जाती है। जिसकी वजह से एशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में अधिक नमी पहुंचती है। ऐसे में इन स्थानों में भारी बारिश हो सकती है। इसके अलावा तेज हवाएं भी चल सकती हैं। तेज हवाओं और भारी बारिश की वजह से इन क्षेत्रों में तापमान में वृद्धि हो सकती है जिसकी वजह से गर्मी बढ़ती है।
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अल नीनो का प्रभाव (El Nino Effect)
प्रशांत महासागर से चलने वाली गर्म हवाएं मौसम संबंधी घटनाएं लाती हैं। जिसकी वजह से बारिश, ठंड और गर्मी पड़ती है। इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि अल नीनो की सक्रियता बढ़ने से दक्षिण-पश्चिम मानसून पर इसका प्रभाव दिखाई देता है और कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश होती है, जबकि कुछ हिस्सों को सूखे का सामना करना पड़ता है।
बता दें कि अल नीनो की वजह से देश में सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में औसत से कम फसल होती है या फिर पानी की कमी की चलते फसल चौपट हो जाती है।
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