क्या होती है मॉब लिंचिंग? जिसकी वजह से त्रिपुरा में पसरा तनाव
Mob Lynching: त्रिपुरा के धलाई जिले में एक छात्र की मौत के बाद हिंसा भड़क गई। इलाके में पसरे तनाव को देखते हुए धारा 144 लागू की गई और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया। बताया जा रहा है कि सात जुलाई को कथित तौर पर मॉब लिंचिंग में एक छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। ऐसे में समझते हैं कि मॉब लिंचिंग आखिर होती क्या है।
मॉब लिंचिंग (सांकेतिक तस्वीर)
मुख्य बातें
- त्रिपुरा में एक छात्र की मौत के बाद पसरी हिंसा।
- हिंसा के बाद इलाके में धारा 144 लागू।
- अबतक चार लोगों की हुई गिरफ्तारी।
Mob Lynching: त्रिपुरा के धलाई जिले में कथित तौर पर हुई मॉब लिंचिंग में एक आदिवासी युवक की मौत के बाद कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया और घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इलाके में पसरे तनाव को देखते हुए धारा 144 लगा दी गई। इस तरह के तमाम मामलों में एक शब्द बार-बार सुनाई देता है और वह मॉब लिंचिंग है। ऐसे में चलिए समझते हैं कि आखिर मॉब लिंचिंग होती क्या है।
क्या होती है मॉब लिंचिंग?
जब भीड़ खुद बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए किसी व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर देते हैं उसे मॉब लिंचिंग कहा जाता है। आसान शब्दों में कहें तो अगर किसी शख्स पर चोरी या फिर दुष्कर्म का आरोप है और कुछ लोगों की भीड़ उस शख्स को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दें तो यह मॉब लिंचिंग कहलाएगी। पिछले कुछ सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।
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मॉब लिंचिंग शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों मॉब और लिंचिंग से मिलकर बना है। मॉब का अर्थ भीड़ और लिंचिंग से तात्पर्य है कि बिना किसी सुनवाई के किसी को मौत की सजा देना। शायद अब आपको यह समझ में आ गया होगा कि मॉब लिंचिंग का मतलब बिना किसी सुनवाई के भीड़ द्वारा किसी शख्स या आरोपी को मौत के घाट उतारना ही मॉब लिंचिंग है।
देश में मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून
देशभर में एक जुलाई को लागू हुए नए आपराधिक कानूनों में मॉब लिंचिंग को लेकर सख्त प्रावधान हैं। बता दें कि देश में अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 लागू हैं। पुराने कानूनों में मॉब लिंचिंग को लेकर कोई सख्त सजा के प्रावधान नहीं थे, लेकिन अब मॉब लिंचिंग को एक घृणित अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है।
बीएनएस की धारा 101(2) में मॉब लिंचिंग के खिलाफ सजा का उल्लेख है। इसके तहत पांच या उससे ज्यादा लोग अगर जाति, नस्ल या भाषा के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो सात साल से लेकर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।
क्या है पूरा मामला?
अब बात वापस त्रिपुरा की करते हैं। उत्तर पूर्वी राज्यों में से एक त्रिपुरा के धलाई जिले में सात जुलाई को मॉब लिंचिंग में 19 वर्षीय छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। जिसके बाद इलाके में हिंसा भड़क गई। एहतियातन इंटरनेट बंद कर दिया गया और धारा 144 लागू की गई। वहीं, छात्र की हत्या के मामले में पुलिस ने अबतक चार लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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अनुराग गुप्ता author
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