EVM में कब आया NOTA का विकल्प, भारत में कैसे हुई इसकी शुरुआत?

NOTA: अगर आपकी उम्र 18 साल या फिर उससे अधिक है और आप अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर चुके हैं तो ईवीएम में मौजूद NOTA के विकल्प से वाकिफ होंगे। अगर आप इस विकल्प से परिचित नहीं हैं तो कोई बात नहीं। इस आर्टिकल में नोटा के बारे में आपको सबकुछ मिलेगा। जैसे- नोटा की शुरुआत कब हुई थी? इत्यादि

कब हुई थी नोटा की शुरुआत?

NOTA: देशभर में उत्साह के साथ लोकतंत्र का पर्व मनाया जा रहा है। चुनाव आयोग कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता के साथ लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया को पूरा करने में जुटा हुआ है। वहीं, जनता भी बढ़-चढ़कर अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रही है। जनता अपने पसंदीदा उम्मीदवारों का चयन करती है और उसके पक्ष में मतदान करती है, लेकिन कुछ लोगों को अपने क्षेत्र के प्रत्याशी पसंद नहीं आते हैं तो ऐसे में NOTA के विकल्प का इस्तेमाल होता है।

दरअसल, चुनाव आयोग द्वारा एक ऐसी व्यवस्था की गई है कि अगर किसी व्यक्ति को अपने क्षेत्र का किसी भी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आता है तो वह NOTA (None of the Above) को वोट दे सकता है। NOTA का मतलब- इनमें से कोई नहीं है।

देश में कैसे आया NOTA?

भारत में साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद नोटा की शुरुआत हुई। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम भारत सरकार (People's Union Of Civil Liberties Vs Union Of India) के केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था। इस फैसले में कोर्ट ने चुनाव आयोग को जनता के लिए नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

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