FIR और तहरीर में क्या होता है अंतर? जानें पुलिस क्या बिना सबूत के दर्ज कर सकती है एफआईआर

What is FIR: क्या आप ये जानते हैं कि तहरीर और प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में आखिर क्या अंतर होता है? ये सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं, ताकि आपके जेहन में जो संदेह है उसे हम अपने इस लेख के माध्यम से दूर कर सकें। भारत के पुलिस एक्ट (Police Act) में अंग्रेजी और उर्दू के कई सारे शब्द हैं, इन्हीं में से तहरीर और एफआईआर भी हैं।

difference between FIR and Tehreer

जानें दोनों शब्दों के मायने।

देश की कानून व्यवस्था (Law and Order) में पुलिस और थाने की अहमियत कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता है। हर जनपद में कई पुलिस थाने होते हैं, जिसे आमजन से जुड़ी समस्याओं का निदान और अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए पहली सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। आए दिन थानों में सैकड़ों हजारों मामले आते हैं, जिसके लिए शिकायतें दर्ज की जाती हैं और आगे की कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है। पुलिस थानों में कई ऐसे शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं, जो साधारण लोगों के जीवन में शायद ही कभी होता है। इसी में से एक शब्द है 'तहरीर', कई लोगों को इस बात का कन्फ्यूजन हो जाता है कि तहरीर और एफआईआर एक ही चीज होती है, जबकि दोनों अलग-अलग प्रक्रिया है।

क्या होती है तहरीर, जानें इस शब्द का मतलब

क्या आप ये जानते हैं कि तहरीर और प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में आखिर क्या अंतर होता है? ये सवाल हम इसलिए पूछ रहे हैं, ताकि आपके जेहन में जो संदेह है उसे हम अपने इस लेख के माध्यम से दूर कर सकें। भारत के पुलिस एक्ट (Police Act) में अंग्रेजी और उर्दू के कई सारे शब्द हैं, इन्हीं में से एक शब्द है तहरीर। आए दिन पुलिस थाने में इस शब्द का इस्तेमाल सैकड़ों बार होता है, इसी तरह आम बोलचाल की भाषा में एफआईआर शब्द का इस्तेमाल होता रहता है। तहरीर एक उर्दू शब्द है, जिसका अर्थ होता है- लिखी हुई बात, लिखना, लिखावट या लिखे गए शब्द। अब आपको बताते हैं कि आखिर ये होता क्या है।

पुलिस की भाषा में तहरीर के मायने समझिए

थाने में वादी, पीड़ित या कोई भी शिकायतकर्ता जो लिखित शिकायत, पत्र या घटनाक्रम लिखकर देता है, उसे पुलिसिया भाषा में तहरीर कहते हैं। इसे किसी भी मामले की जांच या कार्रवाई की सबसे पहली कानूनी प्रक्रिया मानी जाती है। कोई भी शिकायतकर्ता अपनी तहरीर में किसी व्यक्ति के खिलाफ नामजद आरोप या अज्ञात के खिलाफ आरोप के बारे में या घटना के बारे में जानकारी देता है। इसी के बाद एफआईआर की बारी आती है।

क्या होती है FIR, जानें इसे कौन करता है?

जब कोई वादी, पीड़ित या फरियादी अपनी तहरीर यानी शिकायत पुलिस थाने में देता है, तो पुलिस आगे की कार्रवाई को अंजाम देती है। वो शिकायत के बाद पर जुटाए गए सबूतों के आधार पर एफआईआर दर्ज करती है। प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) एक बहुत ही अहम दस्तावेज है, क्योंकि यह आपराधिक न्याय की प्रक्रिया को गति प्रदान करती है। थाने में FIR दर्ज होने के बाद ही पुलिस मामले की जांच शुरू करती है। FIR एक लिखित दस्तावेज है, जो पुलिस द्वारा तब तैयार की जाती है जब उसे किसी संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना प्राप्त होती है। जब कोई वादी या पीड़ित अपनी तहरीर में किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप का जिक्र करता है तो उसके आधार पर नामजद एफआईआर दर्ज की जाती है, यदि अपराध को अंजाम देने वाले के बारे जानकारी मौजूद नहीं होती है, तो अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है।

एफआईआर के लिए तीन महत्त्वपूर्ण तत्व

FIR दर्ज करने के लिए पहली बात ये कि जानकारी एक संज्ञेय अपराध से संबंधित होनी चाहिए। दूसरी अब बात ये कि यह सूचना लिखित या मौखिक रूप में थाने के प्रमुख को दी जानी चाहिए। तीसरी और सबसे अहम बात ये कि इसे मुखबिर द्वारा लिखा और हस्ताक्षरित किया जाना चाहिए और इसके प्रमुख बिंदुओं को दैनिक डायरी में दर्ज किया जाना चाहिए।

एफआईआर और तहरीर में क्या है अंतर?

आसान भाषा में समझा जाए तो तहरीर वो प्रक्रिया है जो किसी अपराध के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई की खातिर वादी, पीड़ित या फरियादी द्वारा लिखित रूप से थाने में दी जाती है, जिसमें शिकायतकर्ता अपराध के बारे में पुलिस को सूचित करता है और अपील करता है। अब बारी आती है एफआईआर की तो तहरीर यानी एप्लिकेशन के आधार पर ही पुलिस आगे की कार्रवाई को अंजाम देती है और अपने रजिस्टर में शिकायतकर्ता की तहरीर को दर्ज करती है, धाराएं लगाती है, इस प्रक्रिया को एफआईआर कहते हैं।

पुलिस की जुबानी जानें दोनों में अंतर

टाइम्स नाउ नवभारत की टीम ने अपने दर्शकों तक सटीक जानकारी पहुंचाने का जिम्मा उठाया, इसलिए इस जानकारी की पुष्टि करने और तथ्यों पर मुहर लगाने के लिए पुलिस महकमे के अधिकारियों और कानून के जानकारों से संपर्क साधा। पहले हमने उत्तर प्रदेश पुलिस के एसीपी (लखनऊ) रजनीश वर्मा से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि फिलहाल व्यस्त हैं और थोड़ी देर बाद हमारे सवालों का जवाब देंगे। इसके तुरंत बाद हमने जौनपुर में तैनात एक थाना के उपनिरीक्षक प्रेमचंद श्रीवास्तव ने हमारे सवालों का जवाब दिया और कहा कि 'तहरीर वो होती है, जो वादी थाने में आकर लिखकर देता है। तहरीर के आधार पर ही हम एफआईआर दर्ज करते हैं। तहरीर एक शिकायत है जो फरियादी देता है और एफआईआर वो प्रक्रिया है जो थाने में पुलिस दर्ज करती है। पुलिस अपने रजिस्टर में धारा लगाते हुए एफआईआर दर्ज करती है और आगे की जांच में जुट जाती है।'

वकील की जुबानी जानें तहरीर और FIR

टाइम्स नाउ नवभारत की टीम ने इस अंतर को और पुख्ता करने के लिए कानून के जानकारों से संपर्क करने का फैसला किया। हमने वाराणसी के जिला अदालत के एक अधिवक्ता विकास सिंह से संपर्क साधा। हमने विकास से सीधा सवाल पूछा कि तहरीर और एफआईआर में क्या अंतर होता है। वकील ने हमें बताया कि तहरीर वो है जो शिकायत थाने में लिखकर दी जाती है, जबकि एफआईआर पुलिस की प्रक्रिया है, पुलिस तहरीर के आधार पर थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करती है। जांच होती है, जिसके बाद चार्जशीट दाखि लिया जाता है। अब बारी आती है कोर्ट की और हमारा काम शुरू होता है।
जब हमने अधिवक्ता विकास सिंह से पूछा कि यदि किसी शिकायतकर्ता की तहरीर पर किसी थाने में एफआईआर दर्ज नहीं जाती है, तो इसके लिए क्या विकल्प हैं? उन्होंने हमारे सवाल का जवाब देते हुए बताया कि 'यदि किसी थाने के प्रभारी अधिकारी ने किसी व्यक्ति की शिकायत को प्राथमिकी (FIR) के रूप में दर्ज करने से इनकार कर देता है तो फरियादी अपनी शिकायत पुलिस अधीक्षक/डीसीपी को भेज सकता है। यदि वो इस बात से संतुष्ट है कि जानकारी से अपराध का खुलासा हो रहा है, तो वो मामले की जांच करेगा या किसी पुलिस अधिकारी को जांच का निर्देश देगा।'

शिकायतकर्ता के पास कोर्ट जाने का विकल्प

वकील ने हमें इस बात की जानकारी भी दी कि यदि इसके बावजूद एफआईआर नहीं दर्ज की जाती है तो वादी, पीड़ित या शिकायकर्ता कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। वो संबंधित न्यायालय के समक्ष CrPC की धारा 156(3) के तहत अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। यदि अदालत इस बात से संतुष्ट होती है कि जो शिकायत की गई है, उसमें अपराध शामिल है, तो वो पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और आगे की कार्रवाई करने का निर्देश देती है।
उम्मीद है कि आपको हमारी इस खास रिपोर्ट में ये समझ आ गया होगा कि तहरीर और एफआईआर में क्या अंतर होता है, एफआईआर कब और कैसे दर्ज की जाती है, इससे जुड़े वो तमाम सवाल जो आपके जेहन में उठ रहे होंगे, उन सभी का जवाब आपको मिल गया होगा। ऐसी ही जानकारी भरी रिपोर्ट्स पढ़ने के लिए जुड़े रहें टाइम्स नाउ नवभारत के डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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