आकाशीय बिजली मचा सकती है तबाही, 30,000 डिग्री तक हो सकता है तापमान; जानिए इसकी रफ्तार
Lightning Strike: आकाशीय बिजली एक कुदरती कहर है। वज्रपात तब होता है जब बादलों के भीतर एवं बादल और जमीन के बीच विद्युत आवेश का निर्माण होता है। देश में सालाना इस कुदरती कहर की वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है। NCRB के मुताबिक, 2021 में आकाशीय बिजली गिरने से 2,880 लोगों की मौत हुई थी।
आकाशीय बिजली
Lightning Strike: सालाना आकाशीय बिजली गिरने से हजारों लोगों की मौत हो जाती है। साल 2021 में तो इस कुदरती कहर की वजह से 2,880 लोग मौत की नींद सो गए। यह आंकड़ा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने जारी किया था। बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में आकाशीय बिजली गिरने की सबसे ज्यादा सूचनाएं मिलती हैं, लेकिन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में आकाशीय कहर की वजह से सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार बिजली क्यों गिरती है?
आकाशीय बिजली
आकाशीय बिजली एक कुदरती कहर है। वज्रपात तब होता है जब बादलों के भीतर एवं बादल और जमीन के बीच विद्युत आवेश का निर्माण होता है। बता दें कि बादलों के भीतर जब बर्फ के क्रिस्टल (यह ठंडी हवा और नमी के कारण बनते हैं) और पानी की बूंदें आपस में टकराती है तो विद्युत आवेश बनता है।
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बादलों से जमीन की सतह पर गिरने वाली बिजली खतरनाक होती है, क्योंकि हाई वोल्टेज और करंज की वजह से लोगों की मौत हो सकती है और हर साल इस कुदरती कहर की वजह से लोगों की मौत की खबरें सामने आती हैं।
आकाशीय बिजली का तापमान (Lightning Strike Temperature)
आकाशीय बिजली का तापमान कई दफा सूर्य के तापमान से भी ज्यादा हो सकता है। हालांकि, ये तापमान तेजी से कम भी होता है। ऐसा कहा जाता है कि बिजली का तापमान 17 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जबकि सूर्य का तापमान 5,500 से 10,000 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है।
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क्या कम नहीं होता तापमान?
आकाशीय बिजली का तापमान तेजी से कम भी होता है। दरअसल, जिस वक्त बिजली चमकती है उस वक्त तापमान सबसे ज्यादा होता है, लेकिन बिजली की चमक जाने के बाद तापमान तेजी से कम हो जाता है और कुछ ही वक्त बाद स्थिति सामान्य हो जाती है।
बिजली के गिरने की रफ्तार कितनी होती है?
आकाशीय बिजली गिरने की रफ्तार प्रकाश की गति से भी बेहद तेज हो सकती है। एक अनुमान के मुताबिक, कुदरती कहर बरपाने वाली यह बिजली 3,00,000 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गिरती है। हालांकि, हमेशा इसी रफ्तार से बिजली गिरे यह जरूरी नहीं है। कई बार इसकी रफ्तार कम भी हो सकती है।
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