First AC Train: क्या था भारत की पहली एसी ट्रेन का नाम, बिना एयर कंडीशनर के कैसे ठंडा होता था कोच
First AC Train, First AC Train In India: भारत की पहली एसी ट्रेन आज से करीब 94 साल पहले 1 सितंबर 1928 को संचालित की गई थी। इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर एक्सप्रेस था। इस ट्रेन का किराया अन्य ट्रेनों के मुकाबले काफी ज्यादा था। यहां आप जान सकते हैं कि जब एसी की टेक्नोलॉजी नहीं थी तो ट्रेन को कैसे ठंडा रखा जाता था।

First AC Train: भारत की पहली एसी ट्रेन
First AC Train, First AC Train In India: भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है। इंडियन रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसका इतिहास करीब 150 वर्ष (First AC Train) पुराना है। एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो भारत में रोजाना करीब 2 करोड़ 40 लाख लोग ट्रेन में सफर (First AC Train Name) करते हैं। कॉमर्स मिनिस्ट्री के ट्रस्ट इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार भारत में हर दिन लगभग 22,593 ट्रेन संचालित की (First AC Train Coach) जाती है। बता दें इसमें मेल, एक्सप्रेस और पैसेंजर सभी तरह की ट्रेन (First AC Train In India) शामिल हैं। यहां करीब 13,452 यात्री ट्रेन हैं, जो करीब 7,325 स्टेशनों को कवर करती हैं। तथा माल ढुलाई के लिए रोजाना करीब 9141 ट्रेन चलती हैं।
वहीं दिन प्रतिदिन रेलवे के आधुनिकीकरण पर खास ध्यान दिया जा रहा है। यहां यात्रियों को विमान जैसी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। तेजस, शताब्दी और वंदे भारत जैसी तमाम ट्रेन इसका उदाहरण हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत भारत की पहली एसी ट्रेन का क्या नाम है? भारत में पहली एसी ट्रेन कब चली? जब एसी नहीं हुआ करता था तो कोच को कैसे ठंडा रखा जाता था? यदि आप भी नहीं जानते हैं कि भारत की पहली एसी रेल कब संचालितल कई गई तो यहां जान सकते हैं।
First AC Train In India: भारत की पहली एसी ट्रेनआपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत की पहली एसी ट्रेन आज से करीब 95 साल पहले 1 सितंबर 1928 को संचालित की गई थी। इस ट्रेन का नाम पंजाब एक्सप्रेस था। साल 1934 में इस ट्रेन में एयर कंडीशनर कोच जुड़ने के बाद इसका नाम फ्रंटियर मेल रखा गया था। यह दिखने में बिल्कुल राजधानी ट्रेन की तरह थी तथा अन्य ट्रेनों की तुलना में इसका किराया अधिक रखा गया था।
First AC Train Coach: एसी कोच को कैसे ठंडा रखा जाता थाबता दें उस समय बिना एसी के ट्रेन को ठंडा किया जाता था। इसके लिए बेहद खास उपाय किया जाता था। ट्रेन के कोच के नीचे बड़े-बड़े बॉक्स लगे होते थे, इसमें बर्फ की बड़ी बड़ी सिल्लियां रखकर पंखा चलाया जाता था।पंखा बिल्कुल एसी की तरह ठंडी ठंडी हवा देता था। इससे पैसेंजर्स को गर्मी में काफी राहत महसूस होती थी।
वहीं ट्रेन के लंबी दूरी के कारण यात्रा के दौरान बर्फ पिघल जाती थी। ऐसे में पिघली हुई बर्फ को निकालने के लिए पहले सी ही स्टेशन तय होते थे। यहां दोबारा बड़ी बड़ी सिल्लियां रखी जाती थी ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो।
India First AC Train: ट्रेन में कौन करता था सफरबता दें फ्रंटियर मेल का किराया अन्य ट्रेनों के मुकाबले काफी ज्यादा था। यही कारण है कि ट्रेन में अंग्रेज ही सफर और स्वतंत्रता सेनानी ही सफर करते थे। साल 1950 तक इस ट्रेन में 6 कोच हुआ करते थे और इसमें करीब 400 से ज्यादा यात्री सफर करते थे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस ट्रेन की एक खासियत थी कि यह कभी लेट नहीं होती थी।
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