Dear Santa... बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लिख रहे हैं चिट्ठी; आखिर क्यों मनाया जाता है डियर सांता लेटर वीक?
Dear Santa Letter Week 2024: सांता क्लॉज को चिट्ठी लिखने का चलन लगातार बढ़ रहा है। 19वीं सदी में डियर सांता लेटर वीक की नींव पड़ी और आज भी बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सांता क्लॉज को चिट्ठी लिख रहे हैं, लेकिन डियर सांता लेटर वीक मनाया क्यों जाता है और इसका इतिहास क्या है? चलिए विस्तार से इसके बारे में समझते हैं।
डियर सैंटा लेटर वीक
Dear Santa Letter Week 2024: तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी मुठ्ठी से रेत की तरह समय गुजरा नहीं है, बच्चों के पास सांता क्लॉज को चिट्ठी लिखने का वक्त है। बता दें कि डियर सांता लेटर वीक की 19वीं सदी में नींव पड़ी। 10 नवंबर से शुरू हुआ डियर सांता लेटर वीक 16 फरवरी को समाप्त हो जाएगा। क्यों मनाया जाता है ये? आखिर इसका इतिहास क्या है? कैसे एक छोटी सी कोशिश ने हजारों बच्चों की ख्वाहिशों को पूरा करने का काम किया? एक छोटी सी कोशिश की बड़ी सी कहानी है सांता क्लॉज को चिट्ठी लिखने वाला वीक!
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लिखते हैं खत
भारत में तो कम, लेकिन यूरोप और अमेरिका में तो क्या बच्चे, क्या बड़े और क्या बुजुर्ग सभी खतों के जरिए अपनी बात सांता तक पहुंचाते हैं। हर साल डियर सांता लेटर वीक के दौरान बच्चे और वयस्क समान रूप से बूढ़े एल्फ को व्यक्तिगत संदेश लिखने के लिए कलम उठाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय डियर सांता लेटर वीक की लोकप्रियता कुछ साल में तेजी से बढ़ी है। मूलरूप से सांता क्लॉज को पत्र भेजने की प्रथा 19वीं शताब्दी के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रिय हुई, जो थॉमस नास्ट के इलेस्ट्रेशन से काफी प्रभावित थी। ये बेहद मनमोहक था इसलिए क्योंकि सैंटा बच्चों और उनके माता-पिता के पत्र पढ़ते हुए दिखाए गए थे।
क्या है इसके पीछे की कहानी?
इन पिक्चर्स ने सांता को एक 'डियर क्रिसमस मैन' बना दिया और नॉर्दन पोल को उनके आधिकारिक आवास के रूप में स्थापित कर दिया। बच्चों को एक एड्रेस मिल गया अपने दिल की बात उन तक पहुंचाने का।
डियर सैंटा लेटर वीक
तस्वीर साभार : iStock
इस दिन को औपचारिक मान्यता 20वीं शताब्दी की शुरुआत में मिली। 1912 में पोस्टमास्टर जनरल फ्रैंक हिचकॉक ने पोस्टमास्टर्स की टीम को एक प्यार भरा काम सौंपा। उन्हें बच्चों के पत्रों का जवाब देने के लिए अधिकृत किया और इस प्रथा ने आकार ले लिया।
कौन देता है खतों का जवाब?
1940 के दशक तक, खतों की संख्या इतनी बढ़ गई कि यूएस डाक सेवा ने धर्मार्थ संगठनों और सामुदायिक समूहों को सांता क्लॉज की ओर से पत्रों का जवाब देने की अनुमति देना शुरू कर दिया। धीरे धीरे इसने एक मूवमेंट का रूप ले लिया और कुछ एनजीओ ने पत्रों को समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाया और इनाम दे प्रोत्साहित भी किया।
यह भी पढ़ें: फिर ब्लैक होल ने घुमाया खगोलविदों का सिर! बिना फटे गायब हो गया तारा और दिखा 'ब्रह्मांडीय दैत्य', ऐसे कैसे?
यह पहल एक व्यापक आंदोलन का हिस्सा थी, जहां समाचार पत्रों और धर्मार्थ संगठनों ने बच्चों के पत्रों को प्रकाशित करवाया। फिर समुदाय के सदस्यों को उपहार भेजने के लिए प्रोत्साहित करके उनकी क्रिसमस से जुड़ी इच्छाओं को पूरा करने में मदद की।
डियर सांता लेटर वीक का उद्देश्य सरल लेकिन गहरा है। यह सभी को, खासकर बच्चों को, अपनी छुट्टियों की इच्छाओं और उम्मीदों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह परंपरा रचनात्मकता को बढ़ावा देती है। अपने किसी खास को दिल की बात बताने के लिए उकसाती है और रिश्तों को सहेजने में मदद करती है।
(इनपुट: आईएएनएस)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। नॉलेज (Knowledge News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
End of Article
अनुराग गुप्ता author
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। खबरों की पड़ताल करना इनकी आदतों ...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited